"सी. के. नायडू": अवतरणों में अंतर
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सी. के. | |चित्र=C.K. Nayudu.jpg | ||
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'''कोट्टारी कंकैया नायडु''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Cottari Kanakaiya Nayudu'', जन्म- [[13 अक्टूबर]], [[1895]], [[नागपुर]], [[महाराष्ट्र]]; मृत्यु- [[14 नवम्बर]], [[1967]], [[इन्दौर]]) [[भारत]] की क्रिकेट टीम के प्रथम टेस्ट कप्तान रहे थे। सी. के. नायडू उस उम्र तक क्रिकेट खेलते रहे, जिसके बारे में सोचना भी आज के खिलाड़ियों के लिए दिवास्वप्न है। नायडू की उस समय की फिटनेस आज के उन खिलाड़ियों के लिए एक सबक है, जो दूसरे तीसरे मैच के बाद ही चोटिल हो जाते हैं। 37 साल की उम्र में जब आज खिलाडी रिटायर होने लगते है, तब सी. के. नायडू ने टेस्ट मैंच खेलना शुरू किया था। वह 68 साल तक फिट रहकर [[क्रिकेट]] खेलते रहे थे। | |||
==परिचय== | ==परिचय== | ||
भारत की प्रथम टैस्ट टीम के कप्तान सी. के. नायडू का जन्म [[13 अक्टूबर]], [[1895]] ई. को [[नागपुर]], [[महाराष्ट्र]] में हुआ था। कर्नल कोट्टारी कंकैया नायडू को प्यार से सभी लोग सी. के. कहकर पुकारा करते थे। [[भारत]] के प्रथम | भारत की प्रथम टैस्ट टीम के कप्तान सी. के. नायडू का जन्म [[13 अक्टूबर]], [[1895]] ई. को [[नागपुर]], [[महाराष्ट्र]] में हुआ था। कर्नल कोट्टारी कंकैया नायडू को प्यार से सभी लोग सी. के. कहकर पुकारा करते थे। [[भारत]] के प्रथम टेस्ट मैच में वह भारतीय टीम के कप्तान थे। यह मैच [[1932]] में [[इंग्लैंड]] के विरुद्ध खेला गया था। यद्यपि इंग्लैंड की टीम पूरी तरह मज़बूत थी, लेकिन सी. के. नायडू की कप्तानी में भारतीय टीम ने जमकर उनका मुक़ाबला किया। | ||
====शारीरिक बनावट==== | |||
सी. के. नायडू का क़द छह फुट से भी ऊँचा था। वह दाहिने हाथ के खिलाड़ी थे। उनकी शारीरिक बनावट किसी एथलीट की भाँति हृष्ट-पुष्ट थी। अतः अपने ज़ोरदार स्ट्रोक और तेज़ हिट के कारण विरोधियों के खेल के दबाव को कम कर देते थे। होल्कर महाराज ने उनकी शारीरिक मजबूती को देखते हुए उन्हें अपनी सेना में कैप्टन बनाया और यहीं से वह कर्नल सी. के. नायडू बन गए। | |||
==प्रथम टेस्ट कप्तान== | |||
वर्ष [[1926]]-[[1927]] में उन्होंने ख़ासी लोकप्रियता प्राप्त की, जब उन्होंने [[बम्बई]] (वर्तमान मुम्बई) में 100 मिनट में 187 गेंदों पर 153 रन बना दिए, जिनमें 11 छक्के तथा 13 चौके शामिल थे। यह मैच 'हिन्दू' टीम तरफ से ए. ई. आर. गिलीगन की एम. सी.सी. के विरुद्ध खेल रहे थे। बम्बई के जिमखाना मैदान पर 'हिन्दू' टीम के लिए उनकी आखिरी पारी पर उन्हें [[चाँदी]] का बल्ला भी भेंट किया गया था। क्रिकेट जब अभिजात्य और राजा महाराजाओं का खेल हुआ करता था, तब उन्हें इग्लैंड जा रही भारतीय टीम का कप्तान बनाया जाना एक प्रसंग ही था। वर्ष [[1932]] में उस टीम के कप्तान पोरबंदर महाराज थे, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से वह नहीं जा पाए और फिर कर्नल सी. के. नायडू को भारतीय टीम का पहला कप्तान बनने का गौरव प्राप्त हो गया।<ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/sports-cricket-news/68-%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B7-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%89%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%B0-%E0%A4%A4%E0%A4%95-%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%9F-%E0%A4%96%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A5%87-%E0%A4%A5%E0%A5%87-%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%A1%E0%A5%82-1111031004_1.htm|title=68 वर्ष की उम्र तक क्रिकेट खेले थे सी. के. नायडु|accessmonthday=10 अक्टूबर|accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | |||
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सी.के. नायडू ने आंध्र प्रदेश केन्द्रीय भारत, केन्द्रीय प्रोविंसज एंड बरार, हिन्दू, होल्कर यूनाइटेड प्राविंस तथा भारतीय टीमों के लिए क्रिकेट खेला। 1932 में इंग्लैंड दौरे के दौरान सी. के. नायडू ने प्रथम श्रेणी के सभी 26 मैचों में हिस्सा लिया, जिनमें 40.45 की औसत से 1618 रन बनाए और 65 विकेट लिए। 1933 में सी. के. नायडू को विज़डन द्वारा 'क्रिकेटर ऑफ़ द ईयर' | सी. के. नायडू ने 'आंध्र प्रदेश केन्द्रीय भारत', 'केन्द्रीय प्रोविंसज एंड बरार', 'हिन्दू', 'होल्कर यूनाइटेड प्राविंस' तथा भारतीय टीमों के लिए क्रिकेट खेला। [[1932]] में इंग्लैंड दौरे के दौरान सी. के. नायडू ने प्रथम श्रेणी के सभी 26 मैचों में हिस्सा लिया था, जिनमें 40.45 की औसत से 1618 रन बनाए और 65 विकेट लिए। [[1933]] में सी. के. नायडू को विज़डन द्वारा 'क्रिकेटर ऑफ़ द ईयर' चुना गया था। सी. के. नायडू के नाम किसी एक सीज़न में इंग्लैंड में सर्वाधिक छक्के (किसी विदेशी खिलाड़ी द्वारा) लगाने का रिकार्ड भी है। 1932 में सी. के. नायडू ने कमाल का खेल दिखाते हुए 32 छक्के लगाए थे। यद्यपि सी. के. नायडू का अंतरराष्ट्रीय कैरियर बहुत छोटा रहा। उन्होंने मात्र 7 टैस्ट मैच खेले, लेकिन भारतीय क्रिकेट जगत में उन्होंने अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बनाया। उनकी इस उपलब्धि के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा [[1956]] में 'पद्मभूषण' प्रदान किया गया था, जो [[भारत]] का तीसरा बड़ा राष्ट्रीय पुरस्कार है। | ||
==उपलब्धियाँ== | ==उपलब्धियाँ== | ||
*सी. के. नायडू भारत के प्रथम टैस्ट कप्तान बने। | *सी. के. नायडू भारत के प्रथम टैस्ट कप्तान बने। | ||
* | *नायडू को 1933 में विज़डन द्वारा 'क्रिकेटर ऑफ़ द ईयर' चुना गया। | ||
*सी. के. नायडू भारत के पहले क्रिकेटर थे जिन्हें सरकार द्वारा '[[पद्मभूषण]]' (1956) देकर सम्मानित किया गया। | *सी. के. नायडू भारत के पहले क्रिकेटर थे जिन्हें सरकार द्वारा '[[पद्मभूषण]]' (1956) देकर सम्मानित किया गया। | ||
*प्रथम श्रेणी के 26 मैचों में भाग लेकर उन्होंने 40.25 के औसत से 1618 रन बनाए। | *प्रथम श्रेणी के 26 मैचों में भाग लेकर उन्होंने 40.25 के औसत से 1618 रन बनाए। | ||
*'हिन्दू' की टीम की ओर से खेलते हुए बम्बई में 1926-27) उन्होंने 100 मिनट में 11 छक्के व 13 चौके लगाकर 153 रन बनाए। | *'हिन्दू' की टीम की ओर से खेलते हुए बम्बई में 1926-27) उन्होंने 100 मिनट में 11 छक्के व 13 चौके लगाकर 153 रन बनाए। | ||
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भारतीय क्रिकेट को नई ऊँचाईयाँ दिलाने वाले सी. के. नायडू का देहांत [[14 नवम्बर]], [[1967]] को [[इन्दौर]] में हुआ। | |||
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05:20, 14 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
सी. के. नायडू
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पूरा नाम | कोट्टारी कंकैया नायडु |
जन्म | 13 अक्टूबर, 1895 |
जन्म भूमि | नागपुर, महाराष्ट्र |
मृत्यु | 14 नवम्बर, 1967 |
मृत्यु स्थान | इन्दौर, मध्य प्रदेश |
कर्म भूमि | भारत |
खेल-क्षेत्र | क्रिकेट |
पुरस्कार-उपाधि | 'पद्मभूषण', 'क्रिकेटर ऑफ़ द ईयर' (1933), |
प्रसिद्धि | क्रिकेट खिलाड़ी |
नागरिकता | भारतीय |
विशेष | सी. के. नायडु अपनी बेहतरीन फ़िटनेस के लिए भी जाने जाते थे। उन्होंने अपना अंतिम मैच 68 वर्ष की उम्र में खेला था। |
अन्य जानकारी | नायडु भारत की प्रथम टैस्ट टीम के कप्तान थे। वे भारत के पहले ऐसे क्रिकेटर थे, जिन्हें सरकार द्वारा वर्ष 1956 में 'पद्मभूषण' देकर सम्मानित किया गया था। |
कोट्टारी कंकैया नायडु (अंग्रेज़ी: Cottari Kanakaiya Nayudu, जन्म- 13 अक्टूबर, 1895, नागपुर, महाराष्ट्र; मृत्यु- 14 नवम्बर, 1967, इन्दौर) भारत की क्रिकेट टीम के प्रथम टेस्ट कप्तान रहे थे। सी. के. नायडू उस उम्र तक क्रिकेट खेलते रहे, जिसके बारे में सोचना भी आज के खिलाड़ियों के लिए दिवास्वप्न है। नायडू की उस समय की फिटनेस आज के उन खिलाड़ियों के लिए एक सबक है, जो दूसरे तीसरे मैच के बाद ही चोटिल हो जाते हैं। 37 साल की उम्र में जब आज खिलाडी रिटायर होने लगते है, तब सी. के. नायडू ने टेस्ट मैंच खेलना शुरू किया था। वह 68 साल तक फिट रहकर क्रिकेट खेलते रहे थे।
परिचय
भारत की प्रथम टैस्ट टीम के कप्तान सी. के. नायडू का जन्म 13 अक्टूबर, 1895 ई. को नागपुर, महाराष्ट्र में हुआ था। कर्नल कोट्टारी कंकैया नायडू को प्यार से सभी लोग सी. के. कहकर पुकारा करते थे। भारत के प्रथम टेस्ट मैच में वह भारतीय टीम के कप्तान थे। यह मैच 1932 में इंग्लैंड के विरुद्ध खेला गया था। यद्यपि इंग्लैंड की टीम पूरी तरह मज़बूत थी, लेकिन सी. के. नायडू की कप्तानी में भारतीय टीम ने जमकर उनका मुक़ाबला किया।
शारीरिक बनावट
सी. के. नायडू का क़द छह फुट से भी ऊँचा था। वह दाहिने हाथ के खिलाड़ी थे। उनकी शारीरिक बनावट किसी एथलीट की भाँति हृष्ट-पुष्ट थी। अतः अपने ज़ोरदार स्ट्रोक और तेज़ हिट के कारण विरोधियों के खेल के दबाव को कम कर देते थे। होल्कर महाराज ने उनकी शारीरिक मजबूती को देखते हुए उन्हें अपनी सेना में कैप्टन बनाया और यहीं से वह कर्नल सी. के. नायडू बन गए।
प्रथम टेस्ट कप्तान
वर्ष 1926-1927 में उन्होंने ख़ासी लोकप्रियता प्राप्त की, जब उन्होंने बम्बई (वर्तमान मुम्बई) में 100 मिनट में 187 गेंदों पर 153 रन बना दिए, जिनमें 11 छक्के तथा 13 चौके शामिल थे। यह मैच 'हिन्दू' टीम तरफ से ए. ई. आर. गिलीगन की एम. सी.सी. के विरुद्ध खेल रहे थे। बम्बई के जिमखाना मैदान पर 'हिन्दू' टीम के लिए उनकी आखिरी पारी पर उन्हें चाँदी का बल्ला भी भेंट किया गया था। क्रिकेट जब अभिजात्य और राजा महाराजाओं का खेल हुआ करता था, तब उन्हें इग्लैंड जा रही भारतीय टीम का कप्तान बनाया जाना एक प्रसंग ही था। वर्ष 1932 में उस टीम के कप्तान पोरबंदर महाराज थे, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से वह नहीं जा पाए और फिर कर्नल सी. के. नायडू को भारतीय टीम का पहला कप्तान बनने का गौरव प्राप्त हो गया।[1]
क्रिकेट सफर
सी. के. नायडू ने 'आंध्र प्रदेश केन्द्रीय भारत', 'केन्द्रीय प्रोविंसज एंड बरार', 'हिन्दू', 'होल्कर यूनाइटेड प्राविंस' तथा भारतीय टीमों के लिए क्रिकेट खेला। 1932 में इंग्लैंड दौरे के दौरान सी. के. नायडू ने प्रथम श्रेणी के सभी 26 मैचों में हिस्सा लिया था, जिनमें 40.45 की औसत से 1618 रन बनाए और 65 विकेट लिए। 1933 में सी. के. नायडू को विज़डन द्वारा 'क्रिकेटर ऑफ़ द ईयर' चुना गया था। सी. के. नायडू के नाम किसी एक सीज़न में इंग्लैंड में सर्वाधिक छक्के (किसी विदेशी खिलाड़ी द्वारा) लगाने का रिकार्ड भी है। 1932 में सी. के. नायडू ने कमाल का खेल दिखाते हुए 32 छक्के लगाए थे। यद्यपि सी. के. नायडू का अंतरराष्ट्रीय कैरियर बहुत छोटा रहा। उन्होंने मात्र 7 टैस्ट मैच खेले, लेकिन भारतीय क्रिकेट जगत में उन्होंने अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बनाया। उनकी इस उपलब्धि के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा 1956 में 'पद्मभूषण' प्रदान किया गया था, जो भारत का तीसरा बड़ा राष्ट्रीय पुरस्कार है।
उपलब्धियाँ
- सी. के. नायडू भारत के प्रथम टैस्ट कप्तान बने।
- नायडू को 1933 में विज़डन द्वारा 'क्रिकेटर ऑफ़ द ईयर' चुना गया।
- सी. के. नायडू भारत के पहले क्रिकेटर थे जिन्हें सरकार द्वारा 'पद्मभूषण' (1956) देकर सम्मानित किया गया।
- प्रथम श्रेणी के 26 मैचों में भाग लेकर उन्होंने 40.25 के औसत से 1618 रन बनाए।
- 'हिन्दू' की टीम की ओर से खेलते हुए बम्बई में 1926-27) उन्होंने 100 मिनट में 11 छक्के व 13 चौके लगाकर 153 रन बनाए।
मृत्यु
भारतीय क्रिकेट को नई ऊँचाईयाँ दिलाने वाले सी. के. नायडू का देहांत 14 नवम्बर, 1967 को इन्दौर में हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 68 वर्ष की उम्र तक क्रिकेट खेले थे सी. के. नायडु (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 10 अक्टूबर, 2013।
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