"भूली-बिसरी कड़ियों का भारत -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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[[भारतीय संस्कृति|भारत की संस्कृति]], [[विज्ञान]] और [[भारत का इतिहास|इतिहास]] की, कब कहाँ और कौन सी कड़ी खोई हुई है, इसकी चर्चा इस लेख में कर रहा हूँ। | [[भारतीय संस्कृति|भारत की संस्कृति]], [[विज्ञान]] और [[भारत का इतिहास|इतिहास]] की, कब कहाँ और कौन सी कड़ी खोई हुई है, इसकी चर्चा इस लेख में कर रहा हूँ। | ||
आइये फ़ारस ([[ईरान]]) चलते हैं। आज से हज़ार साल पहले का ईरान। रुस्तम-सुहराब के चर्चे हैं यहाँ, उनकी बहादुरी के क़िस्से बयान करते दास्तान गो अपनी रोज़ी रोटी चला रहे हैं तमाम इनाम इक़राम पा रहे हैं। जब फ़ारस (ईरान) के | आइये फ़ारस ([[ईरान]]) चलते हैं। आज से हज़ार साल पहले का ईरान। रुस्तम-सुहराब के चर्चे हैं यहाँ, उनकी बहादुरी के क़िस्से बयान करते दास्तान गो अपनी रोज़ी रोटी चला रहे हैं तमाम इनाम इक़राम पा रहे हैं। जब फ़ारस (ईरान) के महान् कवि [[फ़िरदौसी]] अपने विश्व प्रसिद्ध महाकाव्य, जिसमें 60 हज़ार शेर हैं, की रचना करते हैं तो उसमें [[भारत]] के समृद्ध लौह-शोधन और निर्माण का प्रमाण भी मिलता है। दसवीं शताब्दी के इस महाकाव्य ‘[[शाहनामा]]’ की तुलना व्यासों और सूतों के महाभारत और होमर के इलियड से की जाती है। | ||
इस रचना में अनेक दास्तान हैं, जिनमें दास्तान-ए-सोहराब मेरी पसंदीदा है। एक ज़माने में दास्तानगोई याने कथावाचन एक प्रसिद्ध विधा थी जो आज के टेलीविज़न से ज़्यादा लोकप्रिय थी। यह विधा दोबारा से अपने खोए गौरव की तलाश में है और कुछ सुधी जनों ने इसे फिर से शुरू किया है। | इस रचना में अनेक दास्तान हैं, जिनमें दास्तान-ए-सोहराब मेरी पसंदीदा है। एक ज़माने में दास्तानगोई याने कथावाचन एक प्रसिद्ध विधा थी जो आज के टेलीविज़न से ज़्यादा लोकप्रिय थी। यह विधा दोबारा से अपने खोए गौरव की तलाश में है और कुछ सुधी जनों ने इसे फिर से शुरू किया है। | ||
ख़ैर… | ख़ैर… | ||
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आइये थोड़ा दिल्ली में ही घूमें। मुग़लिया सल्तनत के बादशाह [[औरंगज़ेब]] के शाही हरम में झांकें। ये वही औरंगज़ेब है जो अपने समय का विश्व में सबसे धनाढ्य शासक माना जाता था, जिसका राजस्व अर्जन उस समय तीन अरब पैंतीस करोड़ तक पहुँच गया था। जिसने संगीत को इतना गहरा दफ़्न करने की ताक़ीद की थी कि कभी सर न उठा सके। ख़ैर…औरंगज़ेब की बेटी [[ज़ेबुन्निसा]] ने [[ढाका]] की मलमल का शरारा बनवाया है जिसे पहन कर वह जब औरंगज़ेब के सामने आई तो औरंगज़ेब ने यह कहकर मुँह फेर लिया कि इतने पारदर्शी कपड़े पहनने का क्या अर्थ है ? ज़ेबुन्निसा के बताने पर औरंगज़ेब का मुँह आश्चर्य से खुला रह गया। कहते हैं कि सात पर्तों को मिलाकर शरारा बना था। ये थी ढाका की विश्व प्रसिद्ध मलमल जिसका थान आज भी अंगूठी से निकाल कर दिखाया जाता है, लेकिन अब वह बात नहीं रही जो कि पूरे शॉल को ही अखरोट के छिलके में आ जाने पर हुआ करती थी। कभी ढाका हमारे देश का ही अंग था। जो आज [[बांग्लादेश|बांग्ला देश]] की राजधानी है। ढाका की मलमल के संबंध में अनेक संस्मरण और क़िस्से मशहूर हैं। | आइये थोड़ा दिल्ली में ही घूमें। मुग़लिया सल्तनत के बादशाह [[औरंगज़ेब]] के शाही हरम में झांकें। ये वही औरंगज़ेब है जो अपने समय का विश्व में सबसे धनाढ्य शासक माना जाता था, जिसका राजस्व अर्जन उस समय तीन अरब पैंतीस करोड़ तक पहुँच गया था। जिसने संगीत को इतना गहरा दफ़्न करने की ताक़ीद की थी कि कभी सर न उठा सके। ख़ैर…औरंगज़ेब की बेटी [[ज़ेबुन्निसा]] ने [[ढाका]] की मलमल का शरारा बनवाया है जिसे पहन कर वह जब औरंगज़ेब के सामने आई तो औरंगज़ेब ने यह कहकर मुँह फेर लिया कि इतने पारदर्शी कपड़े पहनने का क्या अर्थ है ? ज़ेबुन्निसा के बताने पर औरंगज़ेब का मुँह आश्चर्य से खुला रह गया। कहते हैं कि सात पर्तों को मिलाकर शरारा बना था। ये थी ढाका की विश्व प्रसिद्ध मलमल जिसका थान आज भी अंगूठी से निकाल कर दिखाया जाता है, लेकिन अब वह बात नहीं रही जो कि पूरे शॉल को ही अखरोट के छिलके में आ जाने पर हुआ करती थी। कभी ढाका हमारे देश का ही अंग था। जो आज [[बांग्लादेश|बांग्ला देश]] की राजधानी है। ढाका की मलमल के संबंध में अनेक संस्मरण और क़िस्से मशहूर हैं। | ||
[[वैदिक साहित्य]] के लिए तो 3-4 हज़ार साल पहले जाना होगा। देखें क्या चल रहा है! आश्रमों में बैठे छात्र हाथों की विभिन्न मुद्राओं के साथ वैदिक ऋचाओं का सस्वर पाठ कर रहे हैं। गायन और कंप्यूटर की प्रोग्रामिंग के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाने वाली भाषा [[संस्कृत]] विश्व की सबसे प्राचीन व्याकरण समृद्ध भाषा है। इसमें कहे गए [[वेद]] विश्व की प्राचीनतम साहित्यिक रचना हैं। भारतीय साहित्य के वेदों, [[महाभारत]] और [[गीता]] का विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय महत्व है। [[ऋग्वेद]] के दसवें मंडल के 129वें सूक्त को, नासदीय सूक्त के रूप में ख्याति मिली। इसने पूरे विश्व को चमत्कृत कर दिया। इसमें [[ब्रह्माण्ड]] की उत्पत्ति के रहस्यात्मक तथ्य की व्याख्या है। वेदों की प्राचीनता आज भी अतुलनीय है। जिस समय वेदों की रचना हुई, उस समय यूरोप की स्थिति इतनी पिछड़ी हुई थी कि [[जर्मनी]] के प्रसिद्ध दार्शनिक [[मैक्स मूलर|मॅक्समूलर]] ने कहा है कि ‘जब ऋग्वेद की रचना हो रही थी तो [[यूरोप]] में लोग वस्त्र पहनना और घरों में रहना भी नहीं जानते थे’। | [[वैदिक साहित्य]] के लिए तो 3-4 हज़ार साल पहले जाना होगा। देखें क्या चल रहा है! आश्रमों में बैठे छात्र हाथों की विभिन्न मुद्राओं के साथ वैदिक ऋचाओं का सस्वर पाठ कर रहे हैं। गायन और कंप्यूटर की प्रोग्रामिंग के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाने वाली भाषा [[संस्कृत]] विश्व की सबसे प्राचीन व्याकरण समृद्ध भाषा है। इसमें कहे गए [[वेद]] विश्व की प्राचीनतम साहित्यिक रचना हैं। भारतीय साहित्य के वेदों, [[महाभारत]] और [[गीता]] का विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय महत्व है। [[ऋग्वेद]] के दसवें मंडल के 129वें सूक्त को, नासदीय सूक्त के रूप में ख्याति मिली। इसने पूरे विश्व को चमत्कृत कर दिया। इसमें [[ब्रह्माण्ड]] की उत्पत्ति के रहस्यात्मक तथ्य की व्याख्या है। वेदों की प्राचीनता आज भी अतुलनीय है। जिस समय वेदों की रचना हुई, उस समय यूरोप की स्थिति इतनी पिछड़ी हुई थी कि [[जर्मनी]] के प्रसिद्ध दार्शनिक [[मैक्स मूलर|मॅक्समूलर]] ने कहा है कि ‘जब ऋग्वेद की रचना हो रही थी तो [[यूरोप]] में लोग वस्त्र पहनना और घरों में रहना भी नहीं जानते थे’। | ||
वेदों के बाद [[उपनिषद]] और उसके बाद आया विश्व का विशालतम महाकाव्य महाभारत। महाभारत ने सदैव ही विश्व भर के विद्वानों को सम्मोहित किया है। जब महाभारत का ज़िक्र आता है तो होमर का इलियड और फ़िरदौसी का शाहनामा बहुत पीछे छूट जाते हैं। हमारे अद्भुत ग्रंथों की श्रृंखला में गीता का अनुवाद विश्व की सभी भाषाओं में हो चुका है। गीता हमें जीवन में सफल होने से लेकर गंभीर दर्शन और | वेदों के बाद [[उपनिषद]] और उसके बाद आया विश्व का विशालतम महाकाव्य महाभारत। महाभारत ने सदैव ही विश्व भर के विद्वानों को सम्मोहित किया है। जब महाभारत का ज़िक्र आता है तो होमर का इलियड और फ़िरदौसी का शाहनामा बहुत पीछे छूट जाते हैं। हमारे अद्भुत ग्रंथों की श्रृंखला में गीता का अनुवाद विश्व की सभी भाषाओं में हो चुका है। गीता हमें जीवन में सफल होने से लेकर गंभीर दर्शन और सन्न्यास तक की शिक्षा देती है। हम सन्न्यस्त होकर सामान्य रूप से सांसारिक जीवन कैसे जी सकते हैं अथवा सांसारिक होकर कैसे सन्न्यस्त रहें, यही गीता का मूल ज्ञान है जो सारी दुनिया को आकर्षित करता है। [[महात्मा गाँधी]] कहा करते थे कि मेरे पास कोई ऐसा प्रश्न नहीं है जिसका कि उत्तर मुझे गीता से मिल न जाए, हो सकता है पढ़ने के कुछ समय बाद मिले लेकिन मिलता अवश्य है। | ||
आइए [[अशोक]] के काल याने तीसरी चौथी शताब्दी ईसा पूर्व चलते हैं, देखें क्या चल रहा है! महर्षि [[पाणिनि]] विश्व प्रसिद्ध संस्कृत व्याकरण के ग्रंथ [[अष्टाध्यायी]] को पूरा करने में निमग्न हैं। ये उस तरफ़ कौन बैठा है ? ये तो महर्षि [[पिंगल महर्षि|पिंगल]] हैं पाणिनि के छोटे भाई, इनकी गणित में रुचि है, संख्याओं से खेलते रहते हैं और शून्य की खोज करके ग्रंथों की रचना कर रहे हैं। साथ ही कंप्यूटर में प्रयुक्त होने वाले बाइनरी सिस्टम को भी खोज कर अपने भुर्जपत्रों में सहेज रहे हैं। | आइए [[अशोक]] के काल याने तीसरी चौथी शताब्दी ईसा पूर्व चलते हैं, देखें क्या चल रहा है! महर्षि [[पाणिनि]] विश्व प्रसिद्ध संस्कृत व्याकरण के ग्रंथ [[अष्टाध्यायी]] को पूरा करने में निमग्न हैं। ये उस तरफ़ कौन बैठा है ? ये तो महर्षि [[पिंगल महर्षि|पिंगल]] हैं पाणिनि के छोटे भाई, इनकी गणित में रुचि है, संख्याओं से खेलते रहते हैं और शून्य की खोज करके ग्रंथों की रचना कर रहे हैं। साथ ही कंप्यूटर में प्रयुक्त होने वाले बाइनरी सिस्टम को भी खोज कर अपने भुर्जपत्रों में सहेज रहे हैं। | ||
कौन थे ये लोग ? क्या ये सब झूठ है ? आज के हालात देखकर तो ऐसा ही लगता है, सब कुछ जैसे विदेश से आ रहा है। दुनिया में [[आइज़ैक न्यूटन|न्यूटन]] और [[अलबर्ट आइंस्टाइन|आइंसटाइन]] को विज्ञान का भगवान माना जाता है तो फिर ये [[कणाद]] ऋषि कौन थे जिन्होंने परमाणु की खोज की, [[ | कौन थे ये लोग ? क्या ये सब झूठ है ? आज के हालात देखकर तो ऐसा ही लगता है, सब कुछ जैसे विदेश से आ रहा है। दुनिया में [[आइज़ैक न्यूटन|न्यूटन]] और [[अलबर्ट आइंस्टाइन|आइंसटाइन]] को विज्ञान का भगवान माना जाता है तो फिर ये [[कणाद]] ऋषि कौन थे जिन्होंने परमाणु की खोज की, [[आर्यभट]] कौन थे, जिन्होंने ‘पाई’ के मान को पहचाना और दुनिया को बताया, [[वराहमिहिर|वाराहमिहिर]] आदि क्या काल्पनिक थे ? | ||
यूरोप चलते हैं, पाँचवीं शताब्दी के रोम साम्राज्य में क्या हो रहा है। कभी [[हूण]] तो कभी गोथ वहाँ तबाही मचाए हुए हैं। इन गोथों ने तो पूरे [[रोम]] को बंधक बना लिया है। ज़बर्दस्त मांग है इनकी, आप जानते हैं वो क्या है? भारत के [[केरल]] राज्य की [[काली मिर्च]]। इन रोमनों की रिहाई 3000 पाउंड काली मिर्च देकर हुई है। यदि [[इंग्लैंड|इंग्लैन्ड]] में चलें तो यहाँ राजकीय वस्त्रों को भारतीय नील से सजाया जा रहा है। | यूरोप चलते हैं, पाँचवीं शताब्दी के रोम साम्राज्य में क्या हो रहा है। कभी [[हूण]] तो कभी गोथ वहाँ तबाही मचाए हुए हैं। इन गोथों ने तो पूरे [[रोम]] को बंधक बना लिया है। ज़बर्दस्त मांग है इनकी, आप जानते हैं वो क्या है? भारत के [[केरल]] राज्य की [[काली मिर्च]]। इन रोमनों की रिहाई 3000 पाउंड काली मिर्च देकर हुई है। यदि [[इंग्लैंड|इंग्लैन्ड]] में चलें तो यहाँ राजकीय वस्त्रों को भारतीय नील से सजाया जा रहा है। | ||
ईराक़ में, जो प्राचीन मेसोपोटामिया था, भारतीय पार्सलों का ढेर लगा है। ईसा पूर्व की 1500 साल पहले समाप्त हुई [[सिंधु घाटी सभ्यता|सिंधु सभ्यता]] में मुहर लगा कर बनाए गए पार्सल ईराक़ में ? हो क्या रहा है यह ? असल में [[मुअन जो दड़ो |मोअन-जो-दाड़ो]] और हड़प्पा के व्यापारिक संबंध न केवल मेसोपोटामिया से हैं बल्कि [[मिस्र]] (ईजिप्ट) से भी हैं। | ईराक़ में, जो प्राचीन मेसोपोटामिया था, भारतीय पार्सलों का ढेर लगा है। ईसा पूर्व की 1500 साल पहले समाप्त हुई [[सिंधु घाटी सभ्यता|सिंधु सभ्यता]] में मुहर लगा कर बनाए गए पार्सल ईराक़ में ? हो क्या रहा है यह ? असल में [[मुअन जो दड़ो |मोअन-जो-दाड़ो]] और हड़प्पा के व्यापारिक संबंध न केवल मेसोपोटामिया से हैं बल्कि [[मिस्र]] (ईजिप्ट) से भी हैं। |
08:35, 15 मार्च 2018 के समय का अवतरण
भूली-बिसरी कड़ियों का भारत -आदित्य चौधरी भारत की संस्कृति, विज्ञान और इतिहास की, कब कहाँ और कौन सी कड़ी खोई हुई है, इसकी चर्चा इस लेख में कर रहा हूँ।
भारत में पुत्री के विवाह की उम्र का शिक्षा पर सीधा असर रहा है।
मध्यकाल में विदेशी मुस्लिम शासन में लड़कियों की सुरक्षा को लेकर उनका विवाह अत्यधिक कम उम्र में होने लगा और शिक्षा ख़त्म होती चली गई। मध्यकाल ने ही नहीं बल्कि अंग्रेज़ी शासन ने भी भारत में शिक्षा को समाप्त करने के पूरे उपाय किए। अंग्रेज़ों द्वारा, यूरोपीय शिक्षा प्रणाली तो लागू कर दी गई लेकिन बजट मात्र 1.7% ही रखा गया। याने विश्व भर में सबसे कम। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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