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*कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने साल [[1978]] में 22 साल की उम्र में कनाडा में सिंग्लस वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था और ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय महिला थीं।
*कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने साल [[1978]] में 22 साल की उम्र में कनाडा में सिंग्लस वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था और ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय महिला थीं।
*अमी घिया अपने जीवन की सबसे बड़ी कामयाबी मानती हैं [[1983]] वर्ल्ड चैंपियनशिप को, जहां उन्होंने उस समय की नंबर एक खिलाड़ी कोरिया की हवांग को प्री-क्वार्टरफाइनल में मात दी थी।
*अमी घिया अपने जीवन की सबसे बड़ी कामयाबी मानती हैं [[1983]] वर्ल्ड चैंपियनशिप को, जहां उन्होंने उस समय की नंबर एक खिलाड़ी कोरिया की हवांग को प्री-क्वार्टरफाइनल में मात दी थी।
*अमि को 'बैडमिंटन की क्वीन' कहा जाता है, जिन्हें [[1976]] में '[[अर्जुन पुरस्कार]]' मिला। हालांकि [[विवाह]] के बाद उन्होंने अपनी मर्जी से इस [[खेल]] को अलविदा कह दिया।
*अमि को 'बैडमिंटन की क्वीन' कहा जाता है, जिन्हें [[1976]] में '[[अर्जुन पुरस्कार]]' मिला। हालांकि [[विवाह]] के बाद उन्होंने अपनी मर्ज़ी
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

09:22, 11 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

अमी घिया शाह

अमी घिया शाह (अंग्रेज़ी: Ami Ghia Shah, जन्म- 8 दिसंबर, 1956, सूरत, गुजरात) भारत की पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। वह सात बार राष्ट्रीय एकल विजेता, बारह बार युगल विजेता और चार बार मिश्रित युगल विजेता रही हैं। उन्हें 1976 में 'अर्जुन पुरस्कार' मिला। 1980 के दशक में जहां प्रकाश पादुकोण 'भारतीय बैडमिंटन के किंग' माने जाते थे, वहीं अमी घिया 'बैडमिंटन की क्वीन' कही जाती थीं। अमी घिया ने 1968 से बैडमिंटन खेलना शुरू किया और देश के लिए कई ऐतिहासिक सफलताएं हासिल कीं।

  • अमी घिया का जन्म गुजरात राज्य के सूरत में हुआ और इसके बाद वह मुंबई में आ गई और वहीं से उनके बैडमिंटन के सफर की शुरुआत हुई। वह शुरुआत में इसे केवल शौक के तौर पर खेला करती थीं और फिर उन्होंने मुबई जिमखाना में प्रशिक्षण लेना शुरू किया। लेकिन हर टूर्नामेंट में जीत के साथ उनका सफर आगे बढ़ा।
  • अमि सिंगल्स, डबल्स और मिक्स्ड डबल्स में हिस्सा लेती थीं और सात साल नेशनल्स में चैंपियन रहीं।
  • साल 1981 में उन्होंने तीनों वर्ग का गोल्ड मेडल अपने नाम किया।
  • अमि घिया ने साल 1982 और 1983 में वर्ल्ड कप में हिस्सा लिया था। उस दौरान दुनिया के टॉप 12 खिलाड़ियों को ही इसमें हिस्सा लेने का मौका दिया जाता था और वह ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी थीं।
  • कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने साल 1978 में 22 साल की उम्र में कनाडा में सिंग्लस वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था और ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय महिला थीं।
  • अमी घिया अपने जीवन की सबसे बड़ी कामयाबी मानती हैं 1983 वर्ल्ड चैंपियनशिप को, जहां उन्होंने उस समय की नंबर एक खिलाड़ी कोरिया की हवांग को प्री-क्वार्टरफाइनल में मात दी थी।
  • अमि को 'बैडमिंटन की क्वीन' कहा जाता है, जिन्हें 1976 में 'अर्जुन पुरस्कार' मिला। हालांकि विवाह के बाद उन्होंने अपनी मर्ज़ी

से इस खेल को अलविदा कह दिया।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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