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==परिचय==
==परिचय==
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==दिग्गज खिलाड़ियों द्वारा सराहना==
==दिग्गज खिलाड़ियों द्वारा सराहना==
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#36 की उम्र में तीन ट्यूमर सर्जरीज और शरीर का निचला हिस्सा सुन्न हो जाने के बावजूद दीपा मलिक ने न केवल शॉटपुट एवं जेबलिन थ्रो में राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक जीते हैं, बल्कि तैराकी एवं मोटर रेसलिंग में भी कई स्पर्धाओं में हिस्सा लिया है।
#36 की उम्र में तीन ट्यूमर सर्जरीज और शरीर का निचला हिस्सा सुन्न हो जाने के बावजूद दीपा मलिक ने न केवल शॉटपुट एवं जेबलिन थ्रो में राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक जीते हैं, बल्कि तैराकी एवं मोटर रेसलिंग में भी कई स्पर्धाओं में हिस्सा लिया है।
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दीपा मलिक
दीपा मलिक
दीपा मलिक
पूरा नाम दीपा मलिक
जन्म 30 सितम्बर, 1970
जन्म भूमि भैंसवाल गाँव, सोनीपत, हरियाणा
कर्म भूमि भारत
खेल-क्षेत्र शॉटपुट, जेवलिन थ्रो एवं मोटर रेसलिंग
पुरस्कार-उपाधि 'अर्जुन पुरस्कार'
प्रसिद्धि भारतीय ऐथलीट
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी दीपा मलिक ने वर्ष 2008 तथा 2009 में यमुना नदी में तैराकी तथा स्पेशल बाइक सवारी में भाग लेकर दो बार लिम्का बूक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज कराया है।

दीपा मलिक (अंग्रेज़ी: Deepa Malik, जन्म- 30 सितम्बर, 1970, सोनीपत, हरियाणा) भारत की शॉटपुट एवं जेवलिन थ्रो की खिलाड़ी हैं। इसके साथ ही वे तैराकी एवं मोटर रेसलिंग से जुड़ी विकलांग भारतीय खिलाड़ी हैं। भारत की दीपा मलिक ने ब्राजील के शहर रियो में पैरालम्पिक खेलों (2016) में शॉटपुट में रजत पदक जीता है। उन्होंने 4.61 मीटर तक गोला फ़ेंका और दूसरे स्थान पर रहीं। पैरालिंपिक खेलों में मेडल जीतने वाली दीपा मलिक पहली भारतीय महिला हैं।

परिचय

दीपा मलिक का जन्म 30 सितम्बर सन 1970 को हरियाणा राज्य के ज़िला सोनीपत में भैंसवाल नामक गाँव में हुआ था। दीपा कमर के नीचे पूरी तरह से पैरालाइज्ड हैं। उनके पति एक आर्मी ऑफिसर हैं और उनके दो बच्चे भी हैं। 17 वर्ष पहले दीपा की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई, जब स्पाइनल ट्यूमर की वजह से उनका चलना-फिरना तक बंद हो गया। शॉर्टपुट के अलावा दीपा जेबलिन थ्रो, स्वीमिंग जैसे खेल में भी हिस्सा लेती हैं। इसके अतिरिक्त वे एक बेहतर वक्ता भी हैं।

दीपा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीमिंग में मेडल जीत चुकी हैं। 2012 में उन्हें 'अर्जुन पुरस्कार' से नवाजा जा चुका है। भाला फेंक में दीपा मलिक के नाम पर एशियाई रिकॉर्ड है, जबकि गोला फेंक और चक्का फेंक में उन्होंने 2011 में विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीते थे। दीपका का रजत पदक भारत का पैरालंपिक खेलों में तीसरा पदक है। उनसे पहले मरियप्पन थंगावेलु और वरुण सिंह भाटी ने पुरूषों की उंची कूद में क्रमश: स्वर्ण और कांस्य पदक जीते हैं।[1]

दिग्गज खिलाड़ियों द्वारा सराहना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर प्रसिद्ध क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और निशानेबाज़ अभिनव बिन्द्रा जैसे दिग्गज खिलाड़ियों ने इतिहास रचने वाली दीपा मलिक की जमकर प्रशंसा की है। दीपा पैरालंपिक खेलों में पदक जीतकर यह कारनामा करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हो गई हैं।

उपलब्धियाँ

  1. 36 की उम्र में तीन ट्यूमर सर्जरीज और शरीर का निचला हिस्सा सुन्न हो जाने के बावजूद दीपा मलिक ने न केवल शॉटपुट एवं जेबलिन थ्रो में राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक जीते हैं, बल्कि तैराकी एवं मोटर रेसलिंग में भी कई स्पर्धाओं में हिस्सा लिया है।
  2. दीपा मलिक ने भारत की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 33 स्वर्ण तथा 4 रजत पदक प्राप्त किये हैं।
  3. वे भारत की एक ऐसी पहली महिला हैंं, जिसे हिमालय कार रैली में आमंत्रित किया गया।
  4. वर्ष 2008 तथा 2009 में उन्होंंने यमुना नदी में तैराकी तथा स्पेशल बाइक सवारी में भाग लेकर दो बार लिम्का बूक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज कराया।
  5. सन 2007 में उन्होने ताइवान तथा 2008 में बर्लिन में जेबलिन थ्रो तथा तैराकी में भाग लेकर रजत एवं कांस्य पदक प्राप्त किया।
  6. कोमनवेल्थ गेम्स की टीम में भी दीपा मलिक चयनित की गईंं।
  7. पैरालंपिक खेलों में उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के कारण उन्हेंं भारत सरकार ने 'अर्जुन पुरस्कार' प्रदान किया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. दीपा ने पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर रचा इतिहास (हिंदी) आज तक। अभिगमन तिथि: 14 सितम्बर, 2016।

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