"सुनीता रानी": अवतरणों में अंतर
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'''सुनीता रानी''' (अंग्रेज़ी: ''Sunita Rani'', जन्म: [[4 दिसंबर]], [[1979]], संगरूर, [[पंजाब]]) भारतीय महिला खिलाड़ी हैं, जिन्होंने [[जून]], [[2005]] में शानदार वापसी करते हुए 1500 मीटर दौड़ 4:20:63 में पूरी करके प्रथम स्थान प्राप्त किया था। सुनीता को [[के. आर. नारायणन|राष्ट्रपति के. आर. नारायणन]] के द्वारा ‘[[अर्जुन पुरस्कार]]’ से सम्मानित किया जा चुका है। | |||
==परिचय== | ==परिचय== | ||
सुनीता रानी का जन्म 4 दिसंबर, 1979 को संगरूर, [[पंजाब]] में हुआ था। इनके पिता का नाम राम सरूप तथा माँ का नाम संतोष रानी है। सुनीता रानी मध्यम परिवार से हैं। उनके पिता [[गांव]] के पटवारी पद से रिटायर हुए हैं। सुनीता का खेल का सफर [[1994]] में स्कूली जीवन से शुरू हुआ। पंजाब के संगरूर ज़िले के सुनाम में 15 वर्षीय सुनीता सोचती थी कि यह तो एक जन्मजात प्रतिभा होती है, तभी व्यक्ति दौड़कर इनाम हासिल कर पाता है। तभी उनकी सीनियर छात्रा गोल्डी रानी ने उन्हें समझाया कि दौड़ में जीतने के लिए मेहनत करो। उसी की प्रेरणा से सुनीता रानी ने ज़िला स्तर पर [[1994]] में 3000 मीटर की दौड़ में भाग लिया और 18 वर्ष से कम आयु वर्ग में गोल्डी के बाद द्वितीय स्थान प्राप्त किया तथा 16 वर्ष से कम आयु वर्ग में प्रथम स्थान पाया। | सुनीता रानी का जन्म 4 दिसंबर, 1979 को संगरूर, [[पंजाब]] में हुआ था। इनके पिता का नाम राम सरूप तथा माँ का नाम संतोष रानी है। सुनीता रानी मध्यम परिवार से हैं। उनके पिता [[गांव]] के पटवारी पद से रिटायर हुए हैं। सुनीता का खेल का सफर [[1994]] में स्कूली जीवन से शुरू हुआ। पंजाब के संगरूर ज़िले के सुनाम में 15 वर्षीय सुनीता सोचती थी कि यह तो एक जन्मजात प्रतिभा होती है, तभी व्यक्ति दौड़कर इनाम हासिल कर पाता है। तभी उनकी सीनियर छात्रा गोल्डी रानी ने उन्हें समझाया कि दौड़ में जीतने के लिए मेहनत करो। उसी की प्रेरणा से सुनीता रानी ने ज़िला स्तर पर [[1994]] में 3000 मीटर की दौड़ में भाग लिया और 18 वर्ष से कम आयु वर्ग में गोल्डी के बाद द्वितीय स्थान प्राप्त किया तथा 16 वर्ष से कम आयु वर्ग में प्रथम स्थान पाया। | ||
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सुनीता सिडनी ओलंपिक में भाग लेने के लिए तैयारियों में लगी रही। उसे महसूस हुआ कि 10000 मीटर की स्पर्धा छोड़कर उसे 50000 मीटर दौड़ने की क्षमता का विकास करना चाहिए, साथ ही 800 मीटर दौड़ का अभ्यास करना चाहिए ताकि स्पीड बनी रहे। उसे यकीन था कि वह अपनी टाइमिंग ठीक करके पदक पा लेगी परन्तु किन्हीं कारणों वश वह सिडनी ओलंपिक में भाग नहीं ले सकी। | सुनीता सिडनी ओलंपिक में भाग लेने के लिए तैयारियों में लगी रही। उसे महसूस हुआ कि 10000 मीटर की स्पर्धा छोड़कर उसे 50000 मीटर दौड़ने की क्षमता का विकास करना चाहिए, साथ ही 800 मीटर दौड़ का अभ्यास करना चाहिए ताकि स्पीड बनी रहे। उसे यकीन था कि वह अपनी टाइमिंग ठीक करके पदक पा लेगी परन्तु किन्हीं कारणों वश वह सिडनी ओलंपिक में भाग नहीं ले सकी। | ||
==पुरस्कार== | ==पुरस्कार== | ||
राष्ट्रपति के. आर. नारायणन के हाथों ‘अर्जुन पुरस्कार’ भी दिया जा चुका है। | राष्ट्रपति के. आर. नारायणन के हाथों ‘अर्जुन पुरस्कार’ भी दिया जा चुका है। | ||
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सुनीता की यह ख्याति रातोंरात बदल गई और उसे उसकी निन्दनीय स्थिति की ओर ले गई। उसका डोप टेस्ट पाजिटिव रहा, जिसके कारण उसकी सर्वत्र निंदा होने लगी। एथलेटिक्स फेडरेशन और भारतीय ओलंपिक संघ ने उसे बचाना तो दूर उससे दूरी बनानी आरम्भ के दी। सुनीता गुमनामी में खोने लगी। जब की यही स्थिति [[श्रीलंका]] की सुशान्तिका जयसिंहे और इंग्लैंड के लिन्फोर्ड क्रिस्टी की हुई थी तो उनके देशों ने उन्हें बचाने का प्रयास किया था। | सुनीता की यह ख्याति रातोंरात बदल गई और उसे उसकी निन्दनीय स्थिति की ओर ले गई। उसका डोप टेस्ट पाजिटिव रहा, जिसके कारण उसकी सर्वत्र निंदा होने लगी। एथलेटिक्स फेडरेशन और भारतीय ओलंपिक संघ ने उसे बचाना तो दूर उससे दूरी बनानी आरम्भ के दी। सुनीता गुमनामी में खोने लगी। जब की यही स्थिति [[श्रीलंका]] की सुशान्तिका जयसिंहे और इंग्लैंड के लिन्फोर्ड क्रिस्टी की हुई थी तो उनके देशों ने उन्हें बचाने का प्रयास किया था। | ||
23 वर्षीय खिलाड़ी को उस वक्त किसी ने ढाढस बंधाने का साहस नहीं किया। कहा जाता है कि भारत में [[1998]] से राज्यों द्वारा स्पांसर किए गए डोपिंग प्रोग्राम चल रहें हैं, ताकि खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन कर सकें और पदक जीत सकें। | 23 वर्षीय खिलाड़ी को उस वक्त किसी ने ढाढस बंधाने का साहस नहीं किया। कहा जाता है कि भारत में [[1998]] से राज्यों द्वारा स्पांसर किए गए डोपिंग प्रोग्राम चल रहें हैं, ताकि खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन कर सकें और पदक जीत सकें। [[24 दिसम्बर]], [[2002]] भारतीय ओलंपिक संघ ने घोषणा की कि अन्तरराष्ट्रीय ओलंपिक मेडिकल कमीशन ने सुनीता के डोप टेस्ट के आरोप वापस ले लिए हैं। सुनीता के लिए यह नए वर्ष के उपहार जैसा ही था जो कुछ समय पूर्व ही आ गया था। जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम में वह [[दिन]] कोई नहीं भूल सकता जब सुनीता सलवान कमेटी के सामने अपना मामला रखने आई थी। मीडिया ने उन्हें घेर लिया तो उन्हें बचाकर ले जाना पड़ा था। ड्रग टेस्ट में विफल होना पहले पृष्ठ की सुर्ख़ियों में रहा था। लेकिन अंत में सुनीता इस मामले से बच निकलने में कामयाब रही। वह अपने पदक भी बचा सकी। कुवैत में ओलंपिक कांउसिल ऑफ एशिया के पास उनके पदक रख दिये गए थे, जो उन्हें अन्त में वापस दे दिए गए। | ||
[[24 दिसम्बर]], [[2002]] भारतीय ओलंपिक संघ ने घोषणा की कि अन्तरराष्ट्रीय ओलंपिक मेडिकल कमीशन ने सुनीता के डोप टेस्ट के आरोप वापस ले लिए हैं। सुनीता के लिए यह नए वर्ष के उपहार जैसा ही था जो कुछ समय पूर्व ही आ गया था। | |||
जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम में वह [[दिन]] कोई नहीं भूल सकता जब सुनीता सलवान कमेटी के सामने अपना मामला रखने आई थी। मीडिया ने उन्हें घेर लिया तो उन्हें बचाकर ले जाना पड़ा था। ड्रग टेस्ट में विफल होना पहले पृष्ठ की सुर्ख़ियों में रहा था। लेकिन अंत में सुनीता इस मामले से बच निकलने में कामयाब रही। वह अपने पदक भी बचा सकी। कुवैत में ओलंपिक कांउसिल ऑफ एशिया के पास उनके पदक रख दिये गए थे, जो उन्हें अन्त में वापस दे दिए गए। | |||
कई वर्षों के अन्तराल के पश्चात् सुनीता रानी ट्रैक पर पुन: लौटी। [[मई]], [[2005]] में [[पंजाब]] पुलिस की सुनीता ने ए. एफ. आई. राष्ट्रीय एथलेटिक सर्किट मीट में 10000 मीटर दौड़ का स्वर्ण पदक हासिल किया। उसने यह दौड़ 34:57:42 सेकंड में पूरी करके पदक प्राप्त किया। | अंत में ओलंपिक काउंसिल ऑफ एशिया की डोपिंग और बायो कैमिस्ट्री कमेटी ने पाया कि सियोल की टेस्ट लेबोरेटरी में कुछ गड़बड़ियां थीं। इस केस को खत्म करने का निर्णय लिया गया। अत: घोषित किया गया कि उनके द्वारा बनाए गए रिकार्ड भी ज्यों के त्यों उन्हीं के नाम रहेंगे। एशियाई खेलों के इतिहास में यह पहला मौका था जब डोपिंग टैस्ट का फैसला बदला गया हो। भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी ने भी सुनीता को बचाने का प्रयास किया था।<ref>{{cite web |url=https://www.kaiseaurkya.com/sunita-rani-biography-in-hindi-language/ |title=सुनीता रानी का जीवन परिचय |accessmonthday=07 अक्टूबर |accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=कैसे और क्या |language=हिंदी }}</ref> कई वर्षों के अन्तराल के पश्चात् सुनीता रानी ट्रैक पर पुन: लौटी। [[मई]], [[2005]] में [[पंजाब]] पुलिस की सुनीता ने ए. एफ. आई. राष्ट्रीय एथलेटिक सर्किट मीट में 10000 मीटर दौड़ का स्वर्ण पदक हासिल किया। उसने यह दौड़ 34:57:42 सेकंड में पूरी करके पदक प्राप्त किया। | ||
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#[[2000]] में सुनीता ने बुसान एशियाई खेलों में 1500 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता। | #[[2000]] में सुनीता ने बुसान एशियाई खेलों में 1500 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता। | ||
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10:36, 15 जनवरी 2022 के समय का अवतरण
सुनीता रानी
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पूरा नाम | सुनीता रानी |
जन्म | 4 दिसंबर, 1979 |
जन्म भूमि | संगरूर, पंजाब |
अभिभावक | पिता-राम सरूप, माता-संतोष रानी |
कर्म भूमि | भारत |
खेल-क्षेत्र | दौड़ |
पुरस्कार-उपाधि | अर्जुन पुरस्कार ए. एफ. आई. राष्ट्रीय एयलेटिक्स मीट, 2005 |
प्रसिद्धि | एथलेटिक्स |
नागरिकता | भारतीय |
संबंधित लेख | पी. टी. उषा, मिलखा सिंह, गुरबचन सिंह रंधावा |
अन्य जानकारी | 'सुनीता रानी' ने वर्ष 2005 में शानदार वापसी करते हुए 1500 मीटर दौड़ 4:20:63 में पूरी करके प्रथम स्थान प्राप्त किया था तथा इनको राष्ट्रपति के. आर. नारायणन के द्वारा ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका है। |
सुनीता रानी (अंग्रेज़ी: Sunita Rani, जन्म: 4 दिसंबर, 1979, संगरूर, पंजाब) भारतीय महिला खिलाड़ी हैं, जिन्होंने जून, 2005 में शानदार वापसी करते हुए 1500 मीटर दौड़ 4:20:63 में पूरी करके प्रथम स्थान प्राप्त किया था। सुनीता को राष्ट्रपति के. आर. नारायणन के द्वारा ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका है।
परिचय
सुनीता रानी का जन्म 4 दिसंबर, 1979 को संगरूर, पंजाब में हुआ था। इनके पिता का नाम राम सरूप तथा माँ का नाम संतोष रानी है। सुनीता रानी मध्यम परिवार से हैं। उनके पिता गांव के पटवारी पद से रिटायर हुए हैं। सुनीता का खेल का सफर 1994 में स्कूली जीवन से शुरू हुआ। पंजाब के संगरूर ज़िले के सुनाम में 15 वर्षीय सुनीता सोचती थी कि यह तो एक जन्मजात प्रतिभा होती है, तभी व्यक्ति दौड़कर इनाम हासिल कर पाता है। तभी उनकी सीनियर छात्रा गोल्डी रानी ने उन्हें समझाया कि दौड़ में जीतने के लिए मेहनत करो। उसी की प्रेरणा से सुनीता रानी ने ज़िला स्तर पर 1994 में 3000 मीटर की दौड़ में भाग लिया और 18 वर्ष से कम आयु वर्ग में गोल्डी के बाद द्वितीय स्थान प्राप्त किया तथा 16 वर्ष से कम आयु वर्ग में प्रथम स्थान पाया।
इसके बाद अपने पिता व भाइयों की प्रेरणा से उन्होंने अनेक प्रतियोगिताओं में भाग लिया। 1995 के फेडरेशन कप में विजय प्राप्त करने के बाद वह खेल अधिकारीयों की निगाह में आई।
सुनीता सिडनी ओलंपिक में भाग लेने के लिए तैयारियों में लगी रही। उसे महसूस हुआ कि 10000 मीटर की स्पर्धा छोड़कर उसे 50000 मीटर दौड़ने की क्षमता का विकास करना चाहिए, साथ ही 800 मीटर दौड़ का अभ्यास करना चाहिए ताकि स्पीड बनी रहे। उसे यकीन था कि वह अपनी टाइमिंग ठीक करके पदक पा लेगी परन्तु किन्हीं कारणों वश वह सिडनी ओलंपिक में भाग नहीं ले सकी।
पुरस्कार
राष्ट्रपति के. आर. नारायणन के हाथों ‘अर्जुन पुरस्कार’ भी दिया जा चुका है।
एशियाई खेल
2002 में हुए बुसान एशियाई खेलों में उन्होंने अपना राष्ट्रीय रिकार्ड तोड़ते हुए 1500 मीटर का स्वर्ण पदक प्राप्त किया। 4:06:03 मिनट में दूरी तय करके सुनीता ने 6 सेकंड से एशियाई रिकार्ड तोड़ दिया। वह दूसरी प्रतियोगियों से भी छह सेकंड आगे थी।
सुनीता की यह ख्याति रातोंरात बदल गई और उसे उसकी निन्दनीय स्थिति की ओर ले गई। उसका डोप टेस्ट पाजिटिव रहा, जिसके कारण उसकी सर्वत्र निंदा होने लगी। एथलेटिक्स फेडरेशन और भारतीय ओलंपिक संघ ने उसे बचाना तो दूर उससे दूरी बनानी आरम्भ के दी। सुनीता गुमनामी में खोने लगी। जब की यही स्थिति श्रीलंका की सुशान्तिका जयसिंहे और इंग्लैंड के लिन्फोर्ड क्रिस्टी की हुई थी तो उनके देशों ने उन्हें बचाने का प्रयास किया था।
23 वर्षीय खिलाड़ी को उस वक्त किसी ने ढाढस बंधाने का साहस नहीं किया। कहा जाता है कि भारत में 1998 से राज्यों द्वारा स्पांसर किए गए डोपिंग प्रोग्राम चल रहें हैं, ताकि खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन कर सकें और पदक जीत सकें। 24 दिसम्बर, 2002 भारतीय ओलंपिक संघ ने घोषणा की कि अन्तरराष्ट्रीय ओलंपिक मेडिकल कमीशन ने सुनीता के डोप टेस्ट के आरोप वापस ले लिए हैं। सुनीता के लिए यह नए वर्ष के उपहार जैसा ही था जो कुछ समय पूर्व ही आ गया था। जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम में वह दिन कोई नहीं भूल सकता जब सुनीता सलवान कमेटी के सामने अपना मामला रखने आई थी। मीडिया ने उन्हें घेर लिया तो उन्हें बचाकर ले जाना पड़ा था। ड्रग टेस्ट में विफल होना पहले पृष्ठ की सुर्ख़ियों में रहा था। लेकिन अंत में सुनीता इस मामले से बच निकलने में कामयाब रही। वह अपने पदक भी बचा सकी। कुवैत में ओलंपिक कांउसिल ऑफ एशिया के पास उनके पदक रख दिये गए थे, जो उन्हें अन्त में वापस दे दिए गए।
अंत में ओलंपिक काउंसिल ऑफ एशिया की डोपिंग और बायो कैमिस्ट्री कमेटी ने पाया कि सियोल की टेस्ट लेबोरेटरी में कुछ गड़बड़ियां थीं। इस केस को खत्म करने का निर्णय लिया गया। अत: घोषित किया गया कि उनके द्वारा बनाए गए रिकार्ड भी ज्यों के त्यों उन्हीं के नाम रहेंगे। एशियाई खेलों के इतिहास में यह पहला मौका था जब डोपिंग टैस्ट का फैसला बदला गया हो। भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी ने भी सुनीता को बचाने का प्रयास किया था।[1] कई वर्षों के अन्तराल के पश्चात् सुनीता रानी ट्रैक पर पुन: लौटी। मई, 2005 में पंजाब पुलिस की सुनीता ने ए. एफ. आई. राष्ट्रीय एथलेटिक सर्किट मीट में 10000 मीटर दौड़ का स्वर्ण पदक हासिल किया। उसने यह दौड़ 34:57:42 सेकंड में पूरी करके पदक प्राप्त किया।
उपलब्धियां
- 2000 में सुनीता ने बुसान एशियाई खेलों में 1500 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता।
- बुसान एशियाई खेलों में उन्होंने 5000 मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीता।
- मई 2005 में ए. एफ. आई. राष्ट्रीय एयलेटिक्स मीट में उन्होंने 10000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक प्राप्त किया।
- जून 2005 में सुनीता रानी ने 1500 मीटर दौड़ में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सुनीता रानी का जीवन परिचय (हिंदी) कैसे और क्या। अभिगमन तिथि: 07 अक्टूबर, 2016।
बाहरी कड़ियाँ
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