"अंजलि भागवत": अवतरणों में अंतर
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'''अंजलि भागवत''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Anjali Bhagwat'',जन्म- [[5 दिसम्बर]], [[1969]], [[मुम्बई]], [[महाराष्ट्र]]) [[भारत]] की प्रसिद्ध महिला निशानेबाज़ हैं। उनका पूरा नाम 'अजंलि वेद पाठक भागवत' है। उन्होंने [[2002]] के मानचेस्टर राष्ट्रमंडल खेलों में अनेकों पदक जीतकर धूम मचा दी थी। वह इन खेलों में व्यक्तिगत व पेयर स्पर्धाओं में 4 स्वर्ण पदक जीतकर सुर्ख़ियों में आ गईं। उन्हें वर्ष 2000 में ‘[[अर्जुन पुरस्कार]]’ दिया गया और [[2002]] के राष्ट्र्मंडल खेलों की उपलब्धियों के लिए वर्ष [[2003]] में ‘[[राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार]]’ दिया गया। यह पुरस्कार उन्हें बीनामोल के साथ सयुंक्त रूप से प्राप्त हुआ। इसके अतिरिक्त अंजलि भागवत को 'छत्रपति पुरस्कार', 'महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार' तथा 'महाराष्ट्र प्रतिष्ठा पुरस्कार' भी प्राप्त हो चुके हैं। | '''अंजलि भागवत''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Anjali Bhagwat'',जन्म- [[5 दिसम्बर]], [[1969]], [[मुम्बई]], [[महाराष्ट्र]]) [[भारत]] की प्रसिद्ध महिला निशानेबाज़ हैं। उनका पूरा नाम 'अजंलि वेद पाठक भागवत' है। उन्होंने [[2002]] के मानचेस्टर राष्ट्रमंडल खेलों में अनेकों पदक जीतकर धूम मचा दी थी। वह इन खेलों में व्यक्तिगत व पेयर स्पर्धाओं में 4 स्वर्ण पदक जीतकर सुर्ख़ियों में आ गईं। उन्हें वर्ष 2000 में ‘[[अर्जुन पुरस्कार]]’ दिया गया और [[2002]] के राष्ट्र्मंडल खेलों की उपलब्धियों के लिए वर्ष [[2003]] में ‘[[राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार]]’ दिया गया। यह पुरस्कार उन्हें बीनामोल के साथ सयुंक्त रूप से प्राप्त हुआ। इसके अतिरिक्त अंजलि भागवत को 'छत्रपति पुरस्कार', 'महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार' तथा 'महाराष्ट्र प्रतिष्ठा पुरस्कार' भी प्राप्त हो चुके हैं। | ||
==परिचय== | ==परिचय== | ||
अंजलि भागवत का जन्म 5 दिसम्बर सन 1969 को [[मुम्बई]], [[महाराष्ट्र]] के एक [[मराठी भाषा|मराठी]] परिवार में हुआ था। अंजलि भागवत ने अपने शूटिंग कॅरियर की शुरुआत मुम्बई के कीर्ति कॉलेज के एन.सी.सी. के कैडेट के रूप में की। उनका पूर्व नाम अंजलि वेद पाठक है। उन्होंने छात्रा के रूप में कैडेट बन कर ही महाराष्ट्र राइफल एसोसिएशन में स्थान पाया। उसके | अंजलि भागवत का जन्म 5 दिसम्बर सन 1969 को [[मुम्बई]], [[महाराष्ट्र]] के एक [[मराठी भाषा|मराठी]] परिवार में हुआ था। अंजलि भागवत ने अपने शूटिंग कॅरियर की शुरुआत मुम्बई के कीर्ति कॉलेज के एन.सी.सी. के कैडेट के रूप में की। उनका पूर्व नाम अंजलि वेद पाठक है। उन्होंने छात्रा के रूप में कैडेट बन कर ही महाराष्ट्र राइफल एसोसिएशन में स्थान पाया। उसके पश्चात् कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।<ref name="a">{{cite web |url=https://www.kaiseaurkya.com/anjali-bhagwat-biography-in-hindi-language/ |title=अंजलि भागवत का जीवन परिचय |accessmonthday= 10 सितम्बर|accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=कैसे और क्या |language=हिंदी }}</ref> | ||
==निशानेबाज़ी में पदार्पण== | ==निशानेबाज़ी में पदार्पण== | ||
अंजलि शूटिंग के क्षेत्र में अकस्मात ही आई। एक बार उन्हें अचानक कीर्ति कॉलेज में पढ़ते समय एन. सी. सी. की इन्टर कालिजिएट शूटिंग प्रतियोगिता में भाग लेना पड़ा, क्योंकि उसमें भाग लेने वाली स्कूल की कैडेट बीमार पड़ गई थी। चूंकि अंजलि जूडो-कराटे में ग्रीन बेल्ट थीं और पर्वतारोहण में सक्रिय छात्रा थींं, अत: उन्हें उसके स्थान पर भाग लेने को कहा गया। प्रारम्भ में अंजलि ने मना किया, परन्तु उन्हें भाग लेना पड़ा। उनके निशाने एक-एक कर के चूकते गए, वह भी इंचों के आधार पर नहीं मीटर की दूरी पर। जब वह वहां से जाने लगींं तो महाराष्ट्र राइफल एसोसिएशन के अध्यक्ष बी.बी राम ने उन्हें देखा और कुछ समझाते हुए पुन: कोशिश करने का आग्रह किया। दरअसल राज्य की टीम में कुछ महिलाओं की आवश्यकता थी। दूसरे स्थानों पर घूमने की लालसा में अंजलि ने शूटिंग में भाग लेना शुरू कर दिया और नए समूह में शामिल हो गई। दस ही दिनों में उन्होंने काफ़ी कुछ सीख लिया और राष्ट्रीय रजत पदक जीत लिया। इससे अंजलि का हौसला बढ़ा और उन्होंने शूटिंग न छोड़ने का निर्णय लिया। बस यहीं से [[भारत]] की शुटिंग स्टार अंजलि वेद पाठक का जन्म हुआ। | अंजलि शूटिंग के क्षेत्र में अकस्मात ही आई। एक बार उन्हें अचानक कीर्ति कॉलेज में पढ़ते समय एन. सी. सी. की इन्टर कालिजिएट शूटिंग प्रतियोगिता में भाग लेना पड़ा, क्योंकि उसमें भाग लेने वाली स्कूल की कैडेट बीमार पड़ गई थी। चूंकि अंजलि जूडो-कराटे में ग्रीन बेल्ट थीं और पर्वतारोहण में सक्रिय छात्रा थींं, अत: उन्हें उसके स्थान पर भाग लेने को कहा गया। प्रारम्भ में अंजलि ने मना किया, परन्तु उन्हें भाग लेना पड़ा। उनके निशाने एक-एक कर के चूकते गए, वह भी इंचों के आधार पर नहीं मीटर की दूरी पर। जब वह वहां से जाने लगींं तो महाराष्ट्र राइफल एसोसिएशन के अध्यक्ष बी.बी राम ने उन्हें देखा और कुछ समझाते हुए पुन: कोशिश करने का आग्रह किया। दरअसल राज्य की टीम में कुछ महिलाओं की आवश्यकता थी। दूसरे स्थानों पर घूमने की लालसा में अंजलि ने शूटिंग में भाग लेना शुरू कर दिया और नए समूह में शामिल हो गई। दस ही दिनों में उन्होंने काफ़ी कुछ सीख लिया और राष्ट्रीय रजत पदक जीत लिया। इससे अंजलि का हौसला बढ़ा और उन्होंने शूटिंग न छोड़ने का निर्णय लिया। बस यहीं से [[भारत]] की शुटिंग स्टार अंजलि वेद पाठक का जन्म हुआ। | ||
==सफलताएँ== | ==सफलताएँ== | ||
[[1988]] में अंजलि ने [[अहमदाबाद]] में होने वाले राष्ट्रीय खेलों में भाग लिया। सिडनी में होने वाले [[ओलंपिक खेल|ओलंपिक]] में वर्ष [[2000]] में अंजलि ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली दूसरी भारतीय महिला बन गई। उससे पूर्व [[पी. टी. उषा|उड़न परी पी.टी. उषा]] ही ऐसी भारतीय एथलीट रहींं, जो ओलंपिक के फाइनल में पहुंच सकी थींं। अंजलि भागवत ने म्यूनिख में होने वाले विश्व कप फाइनल में रजत पदक प्राप्त किया। वर्ष [[2002]] में अंजलि को विश्व की नम्बर एक वरीयता खिलाड़ी चुना गया। इसके अतिरिक्त उन्होंने इसी वर्ष पुरुषों व महिलाओं के मुकाबले में जीत हासिल करके चैंपियन ऑफ चैंपियन का खिताब हासिल किया। [[1998]] तथा [[2001]] में अंजलि ने [[कॉमनवेल्थ खेल|कॉमनवेल्थ खेलों]] में चार स्वर्ण पदक प्राप्त किए। उनकी सफलता का श्रेय उसके कोचों को जाता है। कोच संजय चक्रवर्ती तथा हंगेरियन कोच लेस्लो सुजाक ने अंजलि को खेल की बारीकियां सिखा कर उन्हें सफलता दिलाई। | [[1988]] में अंजलि ने [[अहमदाबाद]] में होने वाले राष्ट्रीय खेलों में भाग लिया। सिडनी में होने वाले [[ओलंपिक खेल|ओलंपिक]] में वर्ष [[2000]] में अंजलि ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली दूसरी भारतीय महिला बन गई। उससे पूर्व [[पी. टी. उषा|उड़न परी पी.टी. उषा]] ही ऐसी भारतीय एथलीट रहींं, जो ओलंपिक के फाइनल में पहुंच सकी थींं। अंजलि भागवत ने म्यूनिख में होने वाले विश्व कप फाइनल में रजत पदक प्राप्त किया। वर्ष [[2002]] में अंजलि को विश्व की नम्बर एक वरीयता खिलाड़ी चुना गया। इसके अतिरिक्त उन्होंने इसी वर्ष पुरुषों व महिलाओं के मुकाबले में जीत हासिल करके चैंपियन ऑफ चैंपियन का खिताब हासिल किया। [[1998]] तथा [[2001]] में अंजलि ने [[कॉमनवेल्थ खेल|कॉमनवेल्थ खेलों]] में चार स्वर्ण पदक प्राप्त किए। उनकी सफलता का श्रेय उसके कोचों को जाता है। कोच संजय चक्रवर्ती तथा हंगेरियन कोच लेस्लो सुजाक ने अंजलि को खेल की बारीकियां सिखा कर उन्हें सफलता दिलाई।<ref name="a"/> | ||
==विवाह== | ==विवाह== | ||
अंजलि के पति मंदार भागवत उन्हें पूरा सहयोग देते हैं। अंजलि की सुन्दर नाकनक्श को देखकर उनके घर विज्ञापन तथा फिल्मों के ऑफर भी आए थे। इस बारे में अंजलि बताती हैंं, मलयालम फिल्म निदेशक जयराज ने मुझे बुलाकर कहा था कि उनके पास मेरे लिए एक फिल्म की स्क्रिप्ट है। मैंने उसे हंस कर टाल दिया। मेरे पास फिल्मों की शूटिंग के लिए वक्त नहीं है, मैं अपनी शूटिंग में ही व्यस्त हूँ।" अंजलि का [[विवाह]] वर्ष [[2000]] में मंदार के साथ हुआ था। अंजलि का कहना था कि विवाह के वक्त मंदार खुश थे कि मेरी पत्नी 9 से 5 बजे तक की नौकरी नहीं करती। इसीलिए मैं भी उत्साहित थी। हमारी तीन मुलाकातों के बाद हमने एक दूसरे को हां कह दिया। लेकिन तभी मैं चैंपियनशिप के लिए बाहर चली गई और डेढ़ माह के पश्चात् लौटी। तब मुझे डर लग रहा था कि लौटते वक्त एयरपोर्ट पर मंदार को कैसे पहचानूंगी। वैसे मैं घर पर सभी घरेलू काम बखूबी निभाती हूं। अंजलि के पति मंदार की इच्छा है कि उनकी पत्नी सुर्खियों में छाई रहेंं और देश का नाम रोशन करेंं। | अंजलि के पति मंदार भागवत उन्हें पूरा सहयोग देते हैं। अंजलि की सुन्दर नाकनक्श को देखकर उनके घर विज्ञापन तथा फिल्मों के ऑफर भी आए थे। इस बारे में अंजलि बताती हैंं, मलयालम फिल्म निदेशक जयराज ने मुझे बुलाकर कहा था कि उनके पास मेरे लिए एक फिल्म की स्क्रिप्ट है। मैंने उसे हंस कर टाल दिया। मेरे पास फिल्मों की शूटिंग के लिए वक्त नहीं है, मैं अपनी शूटिंग में ही व्यस्त हूँ।" अंजलि का [[विवाह]] वर्ष [[2000]] में मंदार के साथ हुआ था। अंजलि का कहना था कि विवाह के वक्त मंदार खुश थे कि मेरी पत्नी 9 से 5 बजे तक की नौकरी नहीं करती। इसीलिए मैं भी उत्साहित थी। हमारी तीन मुलाकातों के बाद हमने एक दूसरे को हां कह दिया। लेकिन तभी मैं चैंपियनशिप के लिए बाहर चली गई और डेढ़ माह के पश्चात् लौटी। तब मुझे डर लग रहा था कि लौटते वक्त एयरपोर्ट पर मंदार को कैसे पहचानूंगी। वैसे मैं घर पर सभी घरेलू काम बखूबी निभाती हूं। अंजलि के पति मंदार की इच्छा है कि उनकी पत्नी सुर्खियों में छाई रहेंं और देश का नाम रोशन करेंं। | ||
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अंजलि भागवत केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में खेल कोटे के अन्तर्गत इंस्पेक्टर पद पर कार्यरत हैंं। अंजलि को विश्वास है कि [[क्रिकेट]] की भांति एक दिन शूटिंग का खेल भी दर्शकों में लोकप्रिय होगा। [[2000]] के सिडनी ओलंपिक में फाइनल में जगह बनाने वाली अंजलि पहली महिला शूटर हैंं। फाइनल में आठ प्रतियोगियों के बीच वह मात्र 493.1 अंक बना कर अंतिम स्थान पर रहींं। वह नियमित रूप से योगाभ्यास, मानसिक व्यायाम, श्वास सम्बन्धी व्यायाम व शूटिंग अभ्यास करती हैंं। वह स्त्री होने पर गर्व महसूस करती हैंं। अंजलि का कहना है- ”राइफल शूटिंग एक दिमागी खेल है और आपकी सफलता मुख्य रूप से आपके मनोवैज्ञानिक संतुलन पर निर्भर करती है।” | अंजलि भागवत केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में खेल कोटे के अन्तर्गत इंस्पेक्टर पद पर कार्यरत हैंं। अंजलि को विश्वास है कि [[क्रिकेट]] की भांति एक दिन शूटिंग का खेल भी दर्शकों में लोकप्रिय होगा। [[2000]] के सिडनी ओलंपिक में फाइनल में जगह बनाने वाली अंजलि पहली महिला शूटर हैंं। फाइनल में आठ प्रतियोगियों के बीच वह मात्र 493.1 अंक बना कर अंतिम स्थान पर रहींं। वह नियमित रूप से योगाभ्यास, मानसिक व्यायाम, श्वास सम्बन्धी व्यायाम व शूटिंग अभ्यास करती हैंं। वह स्त्री होने पर गर्व महसूस करती हैंं। अंजलि का कहना है- ”राइफल शूटिंग एक दिमागी खेल है और आपकी सफलता मुख्य रूप से आपके मनोवैज्ञानिक संतुलन पर निर्भर करती है।” | ||
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12:40, 29 मई 2022 के समय का अवतरण
अंजलि भागवत
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पूरा नाम | अजंलि वेद पाठक भागवत |
जन्म | 5 दिसम्बर, 1969 |
जन्म भूमि | मुम्बई, महाराष्ट्र |
पति/पत्नी | पति: मंदार भागवत |
कर्म भूमि | भारत |
खेल-क्षेत्र | निशानेबाज़ (शूटर) |
पुरस्कार-उपाधि | ‘अर्जुन पुरस्कार’, (2000) ‘राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार’ (2003) 'छत्रपति पुरस्कार', 'महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार' तथा 'महाराष्ट्र प्रतिष्ठा पुरस्कार' |
प्रसिद्धि | भारतीय निशानेबाज़ |
नागरिकता | भारतीय |
विशेष: | आई.एस.एस.एफ. रेटिंग के अनुसार अजंलि काफ़ी समय तक 10 मी. एयर राइफल स्पर्धा में महिलाओं में एक नम्बर स्थान रही। |
अन्य जानकारी | 2000 के सिडनी ओलंपिक में फाइनल में जगह बनाने वाली अंजलि पहली महिला शूटर हैंं। फाइनल में आठ प्रतियोगियों के बीच वह मात्र 493.1 अंक बना कर अंतिम स्थान पर रहींं। |
अद्यतन | 04:08, 13 नवम्बर-2016 (IST) |
अंजलि भागवत (अंग्रेज़ी: Anjali Bhagwat,जन्म- 5 दिसम्बर, 1969, मुम्बई, महाराष्ट्र) भारत की प्रसिद्ध महिला निशानेबाज़ हैं। उनका पूरा नाम 'अजंलि वेद पाठक भागवत' है। उन्होंने 2002 के मानचेस्टर राष्ट्रमंडल खेलों में अनेकों पदक जीतकर धूम मचा दी थी। वह इन खेलों में व्यक्तिगत व पेयर स्पर्धाओं में 4 स्वर्ण पदक जीतकर सुर्ख़ियों में आ गईं। उन्हें वर्ष 2000 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ दिया गया और 2002 के राष्ट्र्मंडल खेलों की उपलब्धियों के लिए वर्ष 2003 में ‘राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार’ दिया गया। यह पुरस्कार उन्हें बीनामोल के साथ सयुंक्त रूप से प्राप्त हुआ। इसके अतिरिक्त अंजलि भागवत को 'छत्रपति पुरस्कार', 'महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार' तथा 'महाराष्ट्र प्रतिष्ठा पुरस्कार' भी प्राप्त हो चुके हैं।
परिचय
अंजलि भागवत का जन्म 5 दिसम्बर सन 1969 को मुम्बई, महाराष्ट्र के एक मराठी परिवार में हुआ था। अंजलि भागवत ने अपने शूटिंग कॅरियर की शुरुआत मुम्बई के कीर्ति कॉलेज के एन.सी.सी. के कैडेट के रूप में की। उनका पूर्व नाम अंजलि वेद पाठक है। उन्होंने छात्रा के रूप में कैडेट बन कर ही महाराष्ट्र राइफल एसोसिएशन में स्थान पाया। उसके पश्चात् कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।[1]
निशानेबाज़ी में पदार्पण
अंजलि शूटिंग के क्षेत्र में अकस्मात ही आई। एक बार उन्हें अचानक कीर्ति कॉलेज में पढ़ते समय एन. सी. सी. की इन्टर कालिजिएट शूटिंग प्रतियोगिता में भाग लेना पड़ा, क्योंकि उसमें भाग लेने वाली स्कूल की कैडेट बीमार पड़ गई थी। चूंकि अंजलि जूडो-कराटे में ग्रीन बेल्ट थीं और पर्वतारोहण में सक्रिय छात्रा थींं, अत: उन्हें उसके स्थान पर भाग लेने को कहा गया। प्रारम्भ में अंजलि ने मना किया, परन्तु उन्हें भाग लेना पड़ा। उनके निशाने एक-एक कर के चूकते गए, वह भी इंचों के आधार पर नहीं मीटर की दूरी पर। जब वह वहां से जाने लगींं तो महाराष्ट्र राइफल एसोसिएशन के अध्यक्ष बी.बी राम ने उन्हें देखा और कुछ समझाते हुए पुन: कोशिश करने का आग्रह किया। दरअसल राज्य की टीम में कुछ महिलाओं की आवश्यकता थी। दूसरे स्थानों पर घूमने की लालसा में अंजलि ने शूटिंग में भाग लेना शुरू कर दिया और नए समूह में शामिल हो गई। दस ही दिनों में उन्होंने काफ़ी कुछ सीख लिया और राष्ट्रीय रजत पदक जीत लिया। इससे अंजलि का हौसला बढ़ा और उन्होंने शूटिंग न छोड़ने का निर्णय लिया। बस यहीं से भारत की शुटिंग स्टार अंजलि वेद पाठक का जन्म हुआ।
सफलताएँ
1988 में अंजलि ने अहमदाबाद में होने वाले राष्ट्रीय खेलों में भाग लिया। सिडनी में होने वाले ओलंपिक में वर्ष 2000 में अंजलि ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली दूसरी भारतीय महिला बन गई। उससे पूर्व उड़न परी पी.टी. उषा ही ऐसी भारतीय एथलीट रहींं, जो ओलंपिक के फाइनल में पहुंच सकी थींं। अंजलि भागवत ने म्यूनिख में होने वाले विश्व कप फाइनल में रजत पदक प्राप्त किया। वर्ष 2002 में अंजलि को विश्व की नम्बर एक वरीयता खिलाड़ी चुना गया। इसके अतिरिक्त उन्होंने इसी वर्ष पुरुषों व महिलाओं के मुकाबले में जीत हासिल करके चैंपियन ऑफ चैंपियन का खिताब हासिल किया। 1998 तथा 2001 में अंजलि ने कॉमनवेल्थ खेलों में चार स्वर्ण पदक प्राप्त किए। उनकी सफलता का श्रेय उसके कोचों को जाता है। कोच संजय चक्रवर्ती तथा हंगेरियन कोच लेस्लो सुजाक ने अंजलि को खेल की बारीकियां सिखा कर उन्हें सफलता दिलाई।[1]
विवाह
अंजलि के पति मंदार भागवत उन्हें पूरा सहयोग देते हैं। अंजलि की सुन्दर नाकनक्श को देखकर उनके घर विज्ञापन तथा फिल्मों के ऑफर भी आए थे। इस बारे में अंजलि बताती हैंं, मलयालम फिल्म निदेशक जयराज ने मुझे बुलाकर कहा था कि उनके पास मेरे लिए एक फिल्म की स्क्रिप्ट है। मैंने उसे हंस कर टाल दिया। मेरे पास फिल्मों की शूटिंग के लिए वक्त नहीं है, मैं अपनी शूटिंग में ही व्यस्त हूँ।" अंजलि का विवाह वर्ष 2000 में मंदार के साथ हुआ था। अंजलि का कहना था कि विवाह के वक्त मंदार खुश थे कि मेरी पत्नी 9 से 5 बजे तक की नौकरी नहीं करती। इसीलिए मैं भी उत्साहित थी। हमारी तीन मुलाकातों के बाद हमने एक दूसरे को हां कह दिया। लेकिन तभी मैं चैंपियनशिप के लिए बाहर चली गई और डेढ़ माह के पश्चात् लौटी। तब मुझे डर लग रहा था कि लौटते वक्त एयरपोर्ट पर मंदार को कैसे पहचानूंगी। वैसे मैं घर पर सभी घरेलू काम बखूबी निभाती हूं। अंजलि के पति मंदार की इच्छा है कि उनकी पत्नी सुर्खियों में छाई रहेंं और देश का नाम रोशन करेंं।
अंजलि भागवत केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में खेल कोटे के अन्तर्गत इंस्पेक्टर पद पर कार्यरत हैंं। अंजलि को विश्वास है कि क्रिकेट की भांति एक दिन शूटिंग का खेल भी दर्शकों में लोकप्रिय होगा। 2000 के सिडनी ओलंपिक में फाइनल में जगह बनाने वाली अंजलि पहली महिला शूटर हैंं। फाइनल में आठ प्रतियोगियों के बीच वह मात्र 493.1 अंक बना कर अंतिम स्थान पर रहींं। वह नियमित रूप से योगाभ्यास, मानसिक व्यायाम, श्वास सम्बन्धी व्यायाम व शूटिंग अभ्यास करती हैंं। वह स्त्री होने पर गर्व महसूस करती हैंं। अंजलि का कहना है- ”राइफल शूटिंग एक दिमागी खेल है और आपकी सफलता मुख्य रूप से आपके मनोवैज्ञानिक संतुलन पर निर्भर करती है।”
उपलब्धियाँ
- 1992 में अंजलि को शिव छत्रपति अवार्ड दिया गया।[1]
- 1993 में अंजलि को ‘महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार’ देकर सम्मानित किया गया।
- वर्ष 2001 में कशाबा जाधव अवार्ड दिया गया।
- वर्ष 2002 में अंजलि को अमेरिकन सोसायटी की ओर से ”यंग एचीवर” अवार्ड दिया गया।
- वर्ष 2003 में उसे ‘महाराष्ट्र शान’ पुरस्कार दिया गया।
- वर्ष 2000 में अजंलि को सर्वाधिक महत्वाकांक्षी पुरस्कार-‘अर्जुन पुरस्कार’ प्रदान किया गया।
- आई.एस.एस.एफ. रेटिंग के अनुसार अजंलि काफ़ी समय तक 10 मी. एयर राइफल स्पर्धा में महिलाओं में एक नम्बर स्थान (रैंक 1) रही।
- वर्ष 2002 में सिडनी विश्व कप में 397/400 अंक पर अजंलि ने रजत पदक प्राप्त किया।
- वर्ष 2002 में ही अटलांटा विश्व कप में अजंलि ने अपना रिकार्ड सुधारते हुए 399/400 का का स्कोर बनाकर रजत पदक जीता।
- म्यूनिख वर्ल्ड कप 2002 में अंजलि ने रजत पदक हासिल किया और इस में पदक जीत कर अजंलि ने यह पदक जीतने वाली प्रथम भारतीय शूटर होने का गौरव हासिल किया।
- अंजलि को वर्ष 2002 का ‘‘चैंपियन ऑफ चैंपियंस’‘ घोषित किया गया। एयर राइफल के महिला, पुरुष व मिश्रित श्रेणी में उसे इस पुरस्कार के लिए चुना गया।
- जनवरी, 2002 में अजंलि ने डेन हेग एयर वेपन चैंपियनशिप में विश्व रिकार्ड की बराबरी करते हुए चार स्वर्ण, सात रजत व एक कांस्य पदक जीते।
- वर्ष 2000 में वह सिडनी ओलंपिक में पहले प्रयास में ओलंपिक फाइनल में पहुंचने वाली प्रथम भारतीय शूटर बन गई।
- वर्ष 2002 में मानचेस्टर राष्ट्रमडल खेलों में 4 स्वर्ण पदक जीते। ये पदक उसने व्यक्ति व पेयर स्पर्धाओं (एयर राइफल, स्माल बोर राइफल थ्री पोजीशन) प्राप्त किए।
- ‘सैमसंग इंडिया’ ने उन्हें ओलंपिक के लिए स्पांसर किया था।
- वर्ष 2005 में हीरो होंडा स्पोर्ट्स अकादमी ने शूटिंग की वर्ष 2004 की श्रेष्ठतम खिलाड़ी के रूप में नामांकित किया।
- वर्ष 2006 में मेलबर्न (आस्ट्रेलिया) में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में अजंलि ने पेयर्स स्पर्धा में रजत पदक प्राप्त किया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 अंजलि भागवत का जीवन परिचय (हिंदी) कैसे और क्या। अभिगमन तिथि: 10 सितम्बर, 2016।
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