"कहता है जुगाड़ सारा ज़माना -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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<div style=text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;><font color=#003333 size=5>कहता है जुगाड़ सारा ज़माना<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div><br /> | <div style=text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;><font color=#003333 size=5>कहता है जुगाड़ सारा ज़माना<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div><br /> | ||
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"ओह ! इसका मतलब है तुमने मेरी बात नहीं मानी और तुम गलियों में घूमे ?" | "ओह ! इसका मतलब है तुमने मेरी बात नहीं मानी और तुम गलियों में घूमे ?" | ||
"यस सर। बहुत अच्छा लगा... खाने की चीज़े तो कमाल थीं..." | "यस सर। बहुत अच्छा लगा... खाने की चीज़े तो कमाल थीं..." | ||
"तुमने वहाँ | "तुमने वहाँ ख़ूब खाया भी होगा ? है ना ?" | ||
"यस सर!" | "यस सर!" | ||
"ठीक है, तुम इस पैकेट में कोई न कोई खाने की चीज़ ही लाए होगे ? | "ठीक है, तुम इस पैकेट में कोई न कोई खाने की चीज़ ही लाए होगे ? | ||
पंक्ति 28: | पंक्ति 27: | ||
"यस सर ! लेकिन आपको कैसे मालूम ?" | "यस सर ! लेकिन आपको कैसे मालूम ?" | ||
"ठहर जाओ। मैं तुम्हें कुछ दिखाता हूँ।" बॉस ने अपने फ़्रिज में से एक समोसा और एक रसगुल्ला निकाल कर मेज़ पर रख दिया और बोला- | "ठहर जाओ। मैं तुम्हें कुछ दिखाता हूँ।" बॉस ने अपने फ़्रिज में से एक समोसा और एक रसगुल्ला निकाल कर मेज़ पर रख दिया और बोला- | ||
"मैं पिछले साल इंडिया गया था। वहाँ से मैं ये रसगुल्ला और समोसा लेकर आया। अब तुम मुझे बताओ कि इस रसगुल्ले के अन्दर रस कैसे आया और इस समोसे के अन्दर आलू कैसे आया? अब तुम्हारी पूरी ज़िन्दगी यही सोचते हुए निकलेगी कि जलेबी में रस कैसे घुसा...मैंने तुम्हें पहले ही कहा था कि | "मैं पिछले साल इंडिया गया था। वहाँ से मैं ये रसगुल्ला और समोसा लेकर आया। अब तुम मुझे बताओ कि इस रसगुल्ले के अन्दर रस कैसे आया और इस समोसे के अन्दर आलू कैसे आया? अब तुम्हारी पूरी ज़िन्दगी यही सोचते हुए निकलेगी कि जलेबी में रस कैसे घुसा...मैंने तुम्हें पहले ही कहा था कि इंडिया जा रहे हो तो चुपचाप ताजमहल देखकर वापस आ जाना। लेकिन तुम नहीं माने।" | ||
"सर, मैंने ये इंडिया में भी पूछा था कि ये कैसे होता है? तो उन्होंने एक कोई टेक्नीक का नाम लिया... क्या नाम लिया था...?" | "सर, मैंने ये इंडिया में भी पूछा था कि ये कैसे होता है? तो उन्होंने एक कोई टेक्नीक का नाम लिया... क्या नाम लिया था...?" | ||
"उस टेक्नीक का नाम है 'जुगाड़'... यही है ना ?" बॉस ने बुझे स्वर में कहा। | "उस टेक्नीक का नाम है 'जुगाड़'... यही है ना ?" बॉस ने बुझे स्वर में कहा। | ||
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आजकल पढ़ाई का तरीक़ा बदल रहा है। नई पीढ़ी की रुचि विज्ञान और कला में कम है। ज़्यादातर छात्र इस तरह के विषय चुन रहे हैं जो व्यापार से और पैसा कमाने से संबंधित हैं। इसलिए 'जुगाड़' करने वाली प्रतिभा कम हो रही है। असल में जुगाड़ करने के लिए ख़ाली वक़्त भी चाहिए। यह कहावत कि 'ख़ाली दिमाग़ शैतान का घर' सही नहीं है, इसे होना चाहिए 'ख़ाली दिमाग़ जुगाड़ का घर'। | आजकल पढ़ाई का तरीक़ा बदल रहा है। नई पीढ़ी की रुचि विज्ञान और कला में कम है। ज़्यादातर छात्र इस तरह के विषय चुन रहे हैं जो व्यापार से और पैसा कमाने से संबंधित हैं। इसलिए 'जुगाड़' करने वाली प्रतिभा कम हो रही है। असल में जुगाड़ करने के लिए ख़ाली वक़्त भी चाहिए। यह कहावत कि 'ख़ाली दिमाग़ शैतान का घर' सही नहीं है, इसे होना चाहिए 'ख़ाली दिमाग़ जुगाड़ का घर'। | ||
शायद शुरुआती जुगाड़, [[महात्मा गांधी]] ने बनाया था। उन्हें एक 'फ़ोर्ड कार' उपहार में मिली। गांधी जी ने कार के आगे बैल लगवा दिए और उसका नाम रख दिया 'ऑक्स-फ़ोर्ड'। इसके बाद तो हरियाणा-पंजाब से प्रसिद्धि प्राप्त करता हुआ 'जुगाड़' लगभग पूरे भारत में चलने लगा। | शायद शुरुआती जुगाड़, [[महात्मा गांधी]] ने बनाया था। उन्हें एक 'फ़ोर्ड कार' उपहार में मिली। गांधी जी ने कार के आगे बैल लगवा दिए और उसका नाम रख दिया 'ऑक्स-फ़ोर्ड'। इसके बाद तो हरियाणा-पंजाब से प्रसिद्धि प्राप्त करता हुआ 'जुगाड़' लगभग पूरे भारत में चलने लगा। | ||
जुगाड़ के लिए एक | जुगाड़ के लिए एक क़िस्सा और मशहूर है-</poem> | ||
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"लेकिन यह जुगाड़ किया कैसे ?" | "लेकिन यह जुगाड़ किया कैसे ?" | ||
पत्नी ने हँसकर कहा, "घर में मूँग की दाल की बड़ी रक्खी थीं, मैंने उनको कूटकर पाँच मिनट पानी में भिगो दिया और फिर घी और ज़ीरे का छौंक लगाकर मूँग की दाल बन गयी।" | पत्नी ने हँसकर कहा, "घर में मूँग की दाल की बड़ी रक्खी थीं, मैंने उनको कूटकर पाँच मिनट पानी में भिगो दिया और फिर घी और ज़ीरे का छौंक लगाकर मूँग की दाल बन गयी।" | ||
वास्तव में यह सही बात है कि भारत की गृहणी और माँ परिवार को अपनी अद्भुत 'जुगाड़ क्षमता' से चलाती है। कुछ साल पहले एक सर्वे में यह रिपोर्ट दी थी कि विषमतम परिस्थितियों में, जिन्होंने कुशल प्रदर्शन किया है, उनमें मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग की भारतीय गृहणियाँ और भारतीय | वास्तव में यह सही बात है कि भारत की गृहणी और माँ परिवार को अपनी अद्भुत 'जुगाड़ क्षमता' से चलाती है। कुछ साल पहले एक सर्वे में यह रिपोर्ट दी थी कि विषमतम परिस्थितियों में, जिन्होंने कुशल प्रदर्शन किया है, उनमें मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग की भारतीय गृहणियाँ और भारतीय ट्रक ड्राइवर विश्व में श्रेष्ठ स्थान पर हैं। | ||
इस सप्ताह इतना ही... अगले सप्ताह कुछ और... | इस सप्ताह इतना ही... अगले सप्ताह कुछ और... | ||
-आदित्य चौधरी | -आदित्य चौधरी | ||
<small> | <small>संस्थापक एवं प्रधान सम्पादक</small> | ||
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14:09, 9 मई 2021 के समय का अवतरण
कहता है जुगाड़ सारा ज़माना -आदित्य चौधरी आज 'अंतर-राष्ट्रीय जुगाड़ दिवस' है ! ... और अगर नहीं है, तो होना चाहिए। इसके साथ ही कुछ ऐसा जुगाड़ भी किया जाना चाहिए, जिससे कि एक जुगाड़ मंत्रालय का जुगाड़ हो जाये। जुगाड़ मंत्रालय की ज़रूरत हमारे देश को किसी भी अन्य मंत्रालय से अधिक है... किसी गाँव की बात है कि अधेड़ उम्र में आकर, छोटे पहलवान की पत्नी स्वर्ग सिधार गई। छोटे पहलवान अकेले रह गए लेकिन बेटे बहू के घर में होने से संतोष कर लिया। एक दिन की बात है शाम के समय छोटे पहलवान खेत से लौटे तो उन्होंने बेटे की बहू से मूँग की दाल बनाने के लिए कहा। बहू ने अपने पति से कहलवा भेजा कि 'अब रात के समय मूँग की दाल कहाँ से आएगी, इसलिए जो कुछ बना है, वही खा लें'। |