"यादों का फंडा -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{| width="100%" class="headbg37" style="border:thin groove #003333; margin-left:5px; border-radius:5px; padding:10px;" | {| width="100%" class="headbg37" style="border:thin groove #003333; margin-left:5px; border-radius:5px; padding:10px;" | ||
|- | |- | ||
| | | | ||
[[चित्र:Bharatkosh-copyright-2.jpg|50px|right|link=|]] | [[चित्र:Bharatkosh-copyright-2.jpg|50px|right|link=|]] | ||
[[चित्र:Facebook-icon-2.png|20px|link=http://www.facebook.com/bharatdiscovery|फ़ेसबुक पर भारतकोश (नई शुरुआत)]] [http://www.facebook.com/bharatdiscovery भारतकोश] <br /> | |||
[[चित्र:Facebook-icon-2.png|20px|link=http://www.facebook.com/profile.php?id=100000418727453|फ़ेसबुक पर आदित्य चौधरी]] [http://www.facebook.com/profile.php?id=100000418727453 आदित्य चौधरी] | |||
<div style=text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;><font color=#003333 size=5>यादों का फंडा<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div><br /> | <div style=text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;><font color=#003333 size=5>यादों का फंडा<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div><br /> | ||
---- | ---- | ||
पंक्ति 15: | पंक्ति 14: | ||
इस धोखे से पिंकी पर जो असर हुए वो थे- हैरानी, रोना, चीख़ना, उदासी, अकेलापन और पिंकू को भुला देने की पूरी कोशिश। पिंकू को भुलाने के लिए पिंकी ने अपने मोबाइल फ़ोन से पिंकू के सारे फ़ोटो, एम.एम.एस और सारे एस.एम.एस डिलीट कर दिये। सारी 'टैक्सटिंग' और 'चैट' अपने कम्प्यूटर से उड़ा दी। हॉलमार्क और आर्चीज़ के जो कार्ड पिंकू ने दिये थे, पिंकी ने, पहले तो वो गुस्से में फाड़े और फिर सत्ताइस नम्बर छाप माचिस से जला दिये। | इस धोखे से पिंकी पर जो असर हुए वो थे- हैरानी, रोना, चीख़ना, उदासी, अकेलापन और पिंकू को भुला देने की पूरी कोशिश। पिंकू को भुलाने के लिए पिंकी ने अपने मोबाइल फ़ोन से पिंकू के सारे फ़ोटो, एम.एम.एस और सारे एस.एम.एस डिलीट कर दिये। सारी 'टैक्सटिंग' और 'चैट' अपने कम्प्यूटर से उड़ा दी। हॉलमार्क और आर्चीज़ के जो कार्ड पिंकू ने दिये थे, पिंकी ने, पहले तो वो गुस्से में फाड़े और फिर सत्ताइस नम्बर छाप माचिस से जला दिये। | ||
ई-मेल इनबॉक्स में जितने याहू और 123 ग्रिटिंग कार्ड थे, वो पहले तो डिलीट किये, फिर अपना ई-मेल एकाउंट pinkylovespinku@gmail.com भी बंद कर दिया। अपने फ़ेसबुक एकाउंट wowpinky94 की 'क्लोज़ फ़्रॅन्ड' लिस्ट से पिंकू को 'अनफ़्रॅन्ड' कर दिया। अपने 'प्रोफ़ाइल' से वो गाने और फ़िल्में भी 'लाइक' से हटा दिये जो पिंकू को पसंद होने की वजह से पिंकी ने 'लाइक' किये थे। पिंकू के दोस्तों और पिंकू की बहन को भी अपनी फ्रेंड लिस्ट में से हटा दिया। पिछले तीन वैलेंटाइन-डे पर जो फूल पिंकू ने दिये थे और उन्हें पिंकी ने अपनी हिंदी की किताब में सुखा के रखा हुआ था उन फूलों को पहले बहुत देर तक देखा फिर पैरों से कुचला और कूड़े में फेंक दिये। जिस किताब में वो रखे थे, वो किताब, अपने सलवार-कुर्ते सिलने वाली चढ्डा आंटी की बेटी को दे दी। पिंकू के दिए तीनों फ़्रॅन्डशिप बॅन्ड क़ैंची से छोटे-छोटे टुकड़ों में काट के बाथरूम में फ्लश कर दिये। | ई-मेल इनबॉक्स में जितने याहू और 123 ग्रिटिंग कार्ड थे, वो पहले तो डिलीट किये, फिर अपना ई-मेल एकाउंट pinkylovespinku@gmail.com भी बंद कर दिया। अपने फ़ेसबुक एकाउंट wowpinky94 की 'क्लोज़ फ़्रॅन्ड' लिस्ट से पिंकू को 'अनफ़्रॅन्ड' कर दिया। अपने 'प्रोफ़ाइल' से वो गाने और फ़िल्में भी 'लाइक' से हटा दिये जो पिंकू को पसंद होने की वजह से पिंकी ने 'लाइक' किये थे। पिंकू के दोस्तों और पिंकू की बहन को भी अपनी फ्रेंड लिस्ट में से हटा दिया। पिछले तीन वैलेंटाइन-डे पर जो फूल पिंकू ने दिये थे और उन्हें पिंकी ने अपनी हिंदी की किताब में सुखा के रखा हुआ था उन फूलों को पहले बहुत देर तक देखा फिर पैरों से कुचला और कूड़े में फेंक दिये। जिस किताब में वो रखे थे, वो किताब, अपने सलवार-कुर्ते सिलने वाली चढ्डा आंटी की बेटी को दे दी। पिंकू के दिए तीनों फ़्रॅन्डशिप बॅन्ड क़ैंची से छोटे-छोटे टुकड़ों में काट के बाथरूम में फ्लश कर दिये। | ||
एक बड़े से पॉलिथिन बैग में तीन परफ़्यूम, दो टी-शर्ट, एक कुर्ता, एक हेयर पिन, दो टॅडीबीयर (एक छोटा और एक बड़ा), एक कड़ा, दो नेलपेंट, दो लिपिस्टिक, एक जोड़ा हॅडफ़ोंस का, एक पर्स, पैक करके अपने यहाँ काम करने वाली को दे दिये (ज़ाहिर है ये गिफ़्ट पिंकू ने दिये थे) साथ ही कह दिया "ये सारी चीज़ें ले जाओ लेकिन ये ध्यान रखना | एक बड़े से पॉलिथिन बैग में तीन परफ़्यूम, दो टी-शर्ट, एक कुर्ता, एक हेयर पिन, दो टॅडीबीयर (एक छोटा और एक बड़ा), एक कड़ा, दो नेलपेंट, दो लिपिस्टिक, एक जोड़ा हॅडफ़ोंस का, एक पर्स, पैक करके अपने यहाँ काम करने वाली को दे दिये (ज़ाहिर है ये गिफ़्ट पिंकू ने दिये थे) साथ ही कह दिया "ये सारी चीज़ें ले जाओ लेकिन ये ध्यान रखना कि इनमें से किसी भी चीज़ को यहाँ पहन कर मत आना"। इसके अलावा भी बहुत से ऐसे काम किये गये जिनसे पिंकू की याद पूरी तरह से मिट जाये जैसे- उन रेस्त्रां, मॉल, पार्क आदि में ना जाना जिनमें पिंकू ले गया था। | ||
कुल-मिलाकर हमारी कहानी की हिरोइन पिंकी ने अपने बॉयफ़्रॅन्ड, पिंकू को भुलाने की पूरी कोशिश की लेकिन जितना ज़्यादा भुलाने की कोशिश की जा रही थी उतनी ही पिंकू की याद और मज़बूत होती जा रही थी। पिंकू को भुलाने की कोशिश ही उसको याद करना बनता जा रहा था। दिन-रात पिंकी के दिमाग में पिंकू का चेहरा, पिंकू की बातें वग़ैरा-वग़ैरा चलती रहती थीं। | कुल-मिलाकर हमारी कहानी की हिरोइन पिंकी ने अपने बॉयफ़्रॅन्ड, पिंकू को भुलाने की पूरी कोशिश की लेकिन जितना ज़्यादा भुलाने की कोशिश की जा रही थी उतनी ही पिंकू की याद और मज़बूत होती जा रही थी। पिंकू को भुलाने की कोशिश ही उसको याद करना बनता जा रहा था। दिन-रात पिंकी के दिमाग में पिंकू का चेहरा, पिंकू की बातें वग़ैरा-वग़ैरा चलती रहती थीं। | ||
पंक्ति 54: | पंक्ति 53: | ||
इस सप्ताह इतना ही... अगले सप्ताह कुछ और... | इस सप्ताह इतना ही... अगले सप्ताह कुछ और... | ||
-आदित्य चौधरी | -आदित्य चौधरी | ||
<small> | <small>संस्थापक एवं प्रधान सम्पादक</small> | ||
</poem> | </poem> | ||
|} | |} | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
==पिछले सम्पादकीय== | |||
{{भारतकोश सम्पादकीय}} | {{भारतकोश सम्पादकीय}} | ||
[[Category:सम्पादकीय]] | [[Category:सम्पादकीय]] | ||
[[Category:आदित्य चौधरी की रचनाएँ]] | [[Category:आदित्य चौधरी की रचनाएँ]] | ||
</noinclude> | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
08:03, 1 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
पिछले सम्पादकीय