"कैसे कह दूँ कि मैं भी इंसा हूँ -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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सर्द फ़ुटपाथ पर पड़ी थी जहाँ बेसुध वो | सर्द फ़ुटपाथ पर पड़ी थी जहाँ बेसुध वो | ||
वहीं छितरे हुए थे अहसास कई | वहीं छितरे हुए थे अहसास कई | ||
लेकिन अब वो | लेकिन अब वो ख़ाब नहीं सदमे थे | ||
इक तरफ़ कुचला हुआ वो घूँघट था | इक तरफ़ कुचला हुआ वो घूँघट था | ||
जिसे उठना था किसी ख़ास रात | जिसे उठना था किसी ख़ास रात | ||
मगर वो रात अब न आएगी कभी | मगर वो रात अब न आएगी कभी | ||
न शहनाई,न | न शहनाई, न सेहरा, न बाबुल गाएगी कभी | ||
लेकिन मुझे तो काम थे बहुत | लेकिन मुझे तो काम थे बहुत |
12:35, 18 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
कैसे कह दूँ कि मैं भी इंसा हूँ -आदित्य चौधरी
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