"भारतकोश सम्पादकीय 22 फ़रवरी 2013": अवतरणों में अंतर
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<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>जश्न मनाया जाय <small>-आदित्य चौधरी</small></font></div> | <div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>जश्न मनाया जाय <small>-आदित्य चौधरी</small></font></div> | ||
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छोड़कर मुझको हर इक दोस्त बुलाया जाय | छोड़कर मुझको हर इक दोस्त बुलाया जाय | ||
रौनक़-ए-बज़्म के लायक़ मेरी हस्ती ही नहीं | रौनक़-ए-बज़्म<ref>बज़्म= सभा, गोष्ठी, महफ़िल</ref> के लायक़ मेरी हस्ती ही नहीं | ||
यही हर बार मुझे याद दिलाया जाय | यही हर बार मुझे याद दिलाया जाय | ||
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कहीं जो भूल से भी ज़िक्र मेरा आता हो | कहीं जो भूल से भी ज़िक्र मेरा आता हो | ||
यही ताकीद कि मक़्ता ही न गाया जाय | यही ताकीद<ref>ताकीद = कोई बात ज़ोर देकर कहना, हठ, ज़िद</ref> कि मक़्ता<ref>ग़ज़ल के आखरी शेर को जिसमें शायर का नाम अथवा उपनाम हो उसे ‘मक़्ता’ कहते हैं।</ref> ही न गाया जाय | ||
मेरे वो ख़ाब में ना आएँ बस इसी के लिए | मेरे वो ख़ाब में ना आएँ बस इसी के लिए | ||
ताउम्र | ताउम्र मुझको अब न सुलाया जाए | ||
कभी सुकून से गुज़रा था जहाँ वक़्त मेरा | कभी सुकून से गुज़रा था जहाँ वक़्त मेरा | ||
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क़ब्र मेरी हो, जिस पे उनका लिखा पत्थर हो | क़ब्र मेरी हो, जिस पे उनका लिखा पत्थर हो | ||
उन्हीं का ज़िक्र हो जब मेरा जनाज़ा जाए | |||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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12:06, 27 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
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टीका टिप्पणी और संदर्भ