"भारतकोश सम्पादकीय 22 फ़रवरी 2013": अवतरणों में अंतर
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उनकी | उनकी ख़्वाहिश, कि इक जश्न मनाया जाय | ||
छोड़कर मुझको हर इक दोस्त बुलाया जाय | छोड़कर मुझको हर इक दोस्त बुलाया जाय | ||
पंक्ति 24: | पंक्ति 24: | ||
मेरे वो ख़ाब में ना आएँ बस इसी के लिए | मेरे वो ख़ाब में ना आएँ बस इसी के लिए | ||
ताउम्र | ताउम्र मुझको अब न सुलाया जाए | ||
कभी सुकून से गुज़रा था जहाँ वक़्त मेरा | कभी सुकून से गुज़रा था जहाँ वक़्त मेरा | ||
पंक्ति 30: | पंक्ति 30: | ||
क़ब्र मेरी हो, जिस पे उनका लिखा पत्थर हो | क़ब्र मेरी हो, जिस पे उनका लिखा पत्थर हो | ||
उन्हीं का ज़िक्र हो जब मेरा जनाज़ा जाए | |||
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12:06, 27 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
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टीका टिप्पणी और संदर्भ