"1857 -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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इसी मैदान में उस शख़्स को फाँसी लगी होगी | इसी मैदान में उस शख़्स को फाँसी लगी होगी | ||
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बड़े सरकार आए हैं, यहाँ पौधा लगाएँगे | बड़े सरकार आए हैं, यहाँ पौधा लगाएँगे | ||
हटाने धूल को मुद्दत में अब | हटाने धूल को मुद्दत में अब झाड़ू लगी होगी | ||
शहर में लोग ज़्यादा हैं जगह रहने की भी कम है | शहर में लोग ज़्यादा हैं जगह रहने की भी कम है |
03:55, 17 मई 2015 के समय का अवतरण
1857 -आदित्य चौधरी
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टीका टिप्पणी और संदर्भ