"योगेश्वर दत्त": अवतरणों में अंतर
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'''योगेश्वर दत्त''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Yogeshwar Dutt'', जन्म- [[2 नवंबर]], [[1982]], [[सोनीपत]], [[हरियाणा]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध पहलवान तथा [[कुश्ती]] के खिलाड़ी हैं। उन्होंने वर्ष [[2012]] में ग्रीष्मकालीन [[ओलम्पिक खेल|ओलम्पिक]] में कुश्ती की 60 कि.ग्रा. भारवर्ग की फ़्रीस्टाइल प्रतियोगिता में देश के लिए काँस्य पदक जीता था। वर्ष [[2014]] में योगेश्वर दत्त ने ग्लास्गो, स्कॉटलैण्ड में आयोजित [[कॉमनवेल्थ खेल|कॉमनवेल्थ खेलों]] में 65 कि.ग्रा. भारवर्ग की फ़्रीस्टाइल कुश्ती में कनाडा के पहलवान को परास्त करके भारत को स्वर्ण दिलाया था। उनकी खेल उपलब्धियों पर [[भारत सरकार]] ने उन्हें '[[राजीव गाँधी खेल रत्न]]' से सम्मानित किया था। योगेश्वर दत्त को 'योगी' के उपनाम से जाना जाता है। | {{सूचना बक्सा खिलाड़ी | ||
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योगेश्वर दत्त [[भारत]] की ओर से [[कुश्ती]] में मेडल जीतने वाले तीसरे पहलवान हैं। सबसे पहले [[1952]] के ओलम्पिक खेलों में [[भारत]] के [[ खाशाबा जाधव]] ने काँस्य पदक जीता था। फिर [[2008]] के बीजिंग ओलम्पिक में पहलवान [[सुशील कुमार पहलवान|सुशील कुमार]] काँस्य जीतने में कामयाब रहे थे। लंदन ओलम्पिक में एक समय ऐसा लग रहा था कि योगश्वर दत्त मेडल नहीं जीत पाएंगे और 60 कि.ग्रा. भार वर्ग में अंतिम 8 के मुकाबले में [[रूस]] के पहलवान से हार गए थे, लेकिन वह भाग्यशाली रहे कि उन्हें कुश्ती के एक नियम का फायदा मिला। उन्हें हराने वाला रूसी पहलवान फ़ाइनल में पहुंच गया और योगेश्वर को रेपचेज राउंड में मौका मिल गया। इसमें उन्हें दो मैच खेलने पड़े। सबसे पहले उन्होंने प्यूर्टोरिको के पहलवान को हराया, फिर दूसरे मुकाबले में ईरान के पहलवान को हराकर काँस्य पर | योगेश्वर दत्त [[भारत]] की ओर से [[कुश्ती]] में मेडल जीतने वाले तीसरे पहलवान हैं। सबसे पहले [[1952]] के ओलम्पिक खेलों में [[भारत]] के [[ खाशाबा जाधव]] ने काँस्य पदक जीता था। फिर [[2008]] के बीजिंग ओलम्पिक में पहलवान [[सुशील कुमार पहलवान|सुशील कुमार]] काँस्य जीतने में कामयाब रहे थे। लंदन ओलम्पिक में एक समय ऐसा लग रहा था कि योगश्वर दत्त मेडल नहीं जीत पाएंगे और 60 कि.ग्रा. भार वर्ग में अंतिम 8 के मुकाबले में [[रूस]] के पहलवान से हार गए थे, लेकिन वह भाग्यशाली रहे कि उन्हें कुश्ती के एक नियम का फायदा मिला। उन्हें हराने वाला रूसी पहलवान फ़ाइनल में पहुंच गया और योगेश्वर को रेपचेज राउंड में मौका मिल गया। इसमें उन्हें दो मैच खेलने पड़े। सबसे पहले उन्होंने प्यूर्टोरिको के पहलवान को हराया, फिर दूसरे मुकाबले में ईरान के पहलवान को हराकर काँस्य पर क़ब्ज़ा कर लिया।<ref name="a">{{cite web |url=http://khabar.ndtv.com/news/sports/rio-olympics-will-wrestler-yogeshwar-dutt-able-to-repeat-london-glory-1446183 |title=पहलवान योगेश्वर दत्त दोहराएंगे 'लंदन' |accessmonthday=21 अगस्त|accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=khabar.ndtv.com |language=हिंदी }}</ref> | ||
==रियो का कोटा== | ==रियो का कोटा== | ||
योगेश्वर दत्त ने एशियन क्वालिफाइंग टूर्नामेंट में 65 कि.ग्रा. फ्रीस्टाइल में ओलम्पिक का कोटा हासिल किया था। उन्होंने पहले दौर में कोरिया के जु सोंग किम को 8-1 से हराया था। इसके बाद वियतनाम के जुआन डिंह न्गुयेन को क्वार्टर फ़ाइनल में तकनीकी वर्चस्व के आधार पर हराया। सेमीफ़ाइनल में योगेश्वर ने कोरिया के सेयुंगचुल ली को 7-2 से मात दी थी। इसी के साथ उन्होंने ओलम्पिक में अपनी जगह पक्की कर ली। गौरतलब है कि हर श्रेणी में से शीर्ष दो खिलाड़ियों को ओलम्पिक में जाने का मौका मिलना था, इसी नियम के तहत योगेश्वर को इसका टिकट मिला था। | योगेश्वर दत्त ने एशियन क्वालिफाइंग टूर्नामेंट में 65 कि.ग्रा. फ्रीस्टाइल में ओलम्पिक का कोटा हासिल किया था। उन्होंने पहले दौर में कोरिया के जु सोंग किम को 8-1 से हराया था। इसके बाद वियतनाम के जुआन डिंह न्गुयेन को क्वार्टर फ़ाइनल में तकनीकी वर्चस्व के आधार पर हराया। सेमीफ़ाइनल में योगेश्वर ने कोरिया के सेयुंगचुल ली को 7-2 से मात दी थी। इसी के साथ उन्होंने ओलम्पिक में अपनी जगह पक्की कर ली। गौरतलब है कि हर श्रेणी में से शीर्ष दो खिलाड़ियों को ओलम्पिक में जाने का मौका मिलना था, इसी नियम के तहत योगेश्वर को इसका टिकट मिला था। | ||
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*कॉमनवेल्थ खेलों में योगेश्वर के रिकॉर्ड का [[भारत]] में कोई सानी नहीं है। उन्होंने दिल्ली कॉमनवेल्थ खेल, [[2010]] और ग्लास्गो कॉमनवेल्थ खेल, 2014 में स्वर्ण जीता था। | *कॉमनवेल्थ खेलों में योगेश्वर के रिकॉर्ड का [[भारत]] में कोई सानी नहीं है। उन्होंने दिल्ली कॉमनवेल्थ खेल, [[2010]] और ग्लास्गो कॉमनवेल्थ खेल, 2014 में स्वर्ण जीता था। | ||
*योगेश्वर की उलब्धियों को देखते हुए उन्हें [[2012]] में '[[राजीव गाँधी खेल रत्न]]' से सम्मानित किया गया था। | *योगेश्वर की उलब्धियों को देखते हुए उन्हें [[2012]] में '[[राजीव गाँधी खेल रत्न]]' से सम्मानित किया गया था। | ||
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योगेश्वर दत्त [[ब्राजील]] में आयोजित रियो ओलम्पिक, 2016 के लिए [[भारत]] की ओर से [[कुश्ती]] में पदक जीतने वाले प्रमुख दावेदार थे, किंतु वे अपना पहला ही मुकाबला हारकर इस प्रतिस्पर्धा से बाहर हो गए। उन्हें मंगोलियाई पहलवान गैंजोरिंग मंदाकनरन ने 3-0 से शिकस्त देकर पदक की दौड़ से बाहर कर दिया। 65 किलोग्राम वर्ग में योगेश्वर दत्त मंगोलियाई पहलवान के सामने अपनी चुनौती दमदार ढंग से पेश नहीं कर पाए। योगेश्वर दत्त के लिए कांस्य पदक हासिल करने की उम्मीद तभी बन पाती, जब मंदाकनरन फ़ाइनल तक पहुंचते, लेकिन मंदाकनरन क्वार्टर फ़ाइनल से आगे नहीं बढ़ पाए और इस तरह योगेश्वर दत्त के रियो ओलंपिक में पदक हासिल करने का सपना टूट गया। | |||
रियो ओलम्पिक में [[भारत]] की मात्र दो महिला खिलाड़ी ही पदक जीत सकीं। [[साक्षी मलिक]] महिलाओं की कुश्ती स्पर्धा में भारत की ओर से काँस्य पदक जीतने में सफल रहीं। जबकि [[बैडमिंटन]] में [[पी. वी. सिंधु]] ने भारत के लिए रजत पदक हासिल किया। | |||
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योगेश्वर दत्त
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पूरा नाम | योगेश्वर दत्त |
अन्य नाम | योगी, पहलवान जी |
जन्म | 2 नवंबर, 1982 |
जन्म भूमि | भैंसवाल, गोहाना सोनीपत, हरियाणा |
कर्म भूमि | भारत |
खेल-क्षेत्र | कुश्ती |
पुरस्कार-उपाधि | राजीव गाँधी खेल रत्न (2012) |
प्रसिद्धि | पहलवान |
नागरिकता | भारतीय |
संबंधित लेख | कुश्ती, खाशाबा जाधव, सुशील कुमार पहलवान, साक्षी मलिक, गामा पहलवान |
ऊँचाई | 5 फ़ुट 7 इंच (1.70 मी.) |
अन्य जानकारी | वर्ष 2014 में योगेश्वर दत्त ने ग्लास्गो, स्कॉटलैण्ड में आयोजित कॉमनवेल्थ खेलों में 65 कि.ग्रा. भारवर्ग की फ़्रीस्टाइल कुश्ती में कनाडा के पहलवान को परास्त करके भारत को स्वर्ण दिलाया था। |
अद्यतन | 03:00, 21 अगस्त 2016 (IST)
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योगेश्वर दत्त (अंग्रेज़ी: Yogeshwar Dutt, जन्म- 2 नवंबर, 1982, सोनीपत, हरियाणा) भारत के प्रसिद्ध पहलवान तथा कुश्ती के खिलाड़ी हैं। उन्होंने वर्ष 2012 में ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में कुश्ती की 60 कि.ग्रा. भारवर्ग की फ़्रीस्टाइल प्रतियोगिता में देश के लिए काँस्य पदक जीता था। वर्ष 2014 में योगेश्वर दत्त ने ग्लास्गो, स्कॉटलैण्ड में आयोजित कॉमनवेल्थ खेलों में 65 कि.ग्रा. भारवर्ग की फ़्रीस्टाइल कुश्ती में कनाडा के पहलवान को परास्त करके भारत को स्वर्ण दिलाया था। उनकी खेल उपलब्धियों पर भारत सरकार ने उन्हें 'राजीव गाँधी खेल रत्न' से सम्मानित किया था। योगेश्वर दत्त को 'योगी' तथा 'पहलवान जी' के उपनाम से भी जाना जाता है।
जन्म
योगेश्वर दत्त का जन्म 2 नवम्बर, 1982 को भैंसवाल कलाँ नामक स्थान पर, गोहाना, ज़िला सोनीपत, हरियाणा राज्य में हुआ था।
लंदन ओलम्पिक के काँस्य विजेता
योगेश्वर दत्त भारत की ओर से कुश्ती में मेडल जीतने वाले तीसरे पहलवान हैं। सबसे पहले 1952 के ओलम्पिक खेलों में भारत के खाशाबा जाधव ने काँस्य पदक जीता था। फिर 2008 के बीजिंग ओलम्पिक में पहलवान सुशील कुमार काँस्य जीतने में कामयाब रहे थे। लंदन ओलम्पिक में एक समय ऐसा लग रहा था कि योगश्वर दत्त मेडल नहीं जीत पाएंगे और 60 कि.ग्रा. भार वर्ग में अंतिम 8 के मुकाबले में रूस के पहलवान से हार गए थे, लेकिन वह भाग्यशाली रहे कि उन्हें कुश्ती के एक नियम का फायदा मिला। उन्हें हराने वाला रूसी पहलवान फ़ाइनल में पहुंच गया और योगेश्वर को रेपचेज राउंड में मौका मिल गया। इसमें उन्हें दो मैच खेलने पड़े। सबसे पहले उन्होंने प्यूर्टोरिको के पहलवान को हराया, फिर दूसरे मुकाबले में ईरान के पहलवान को हराकर काँस्य पर क़ब्ज़ा कर लिया।[1]
रियो का कोटा
योगेश्वर दत्त ने एशियन क्वालिफाइंग टूर्नामेंट में 65 कि.ग्रा. फ्रीस्टाइल में ओलम्पिक का कोटा हासिल किया था। उन्होंने पहले दौर में कोरिया के जु सोंग किम को 8-1 से हराया था। इसके बाद वियतनाम के जुआन डिंह न्गुयेन को क्वार्टर फ़ाइनल में तकनीकी वर्चस्व के आधार पर हराया। सेमीफ़ाइनल में योगेश्वर ने कोरिया के सेयुंगचुल ली को 7-2 से मात दी थी। इसी के साथ उन्होंने ओलम्पिक में अपनी जगह पक्की कर ली। गौरतलब है कि हर श्रेणी में से शीर्ष दो खिलाड़ियों को ओलम्पिक में जाने का मौका मिलना था, इसी नियम के तहत योगेश्वर को इसका टिकट मिला था।
कुश्ती से लगाव
योगेश्वर दत्त को कुश्ती के गुर स्वर्गीय मास्टर सतबीर भैंसवालिया ने सिखाए थे। सतबीर पेशे से पीटीआई थे और रिटायर होने के बाद वह अखाड़ा चलाने लगे थे। योगेश्वर दत्त को अपने कॅरियर के दौरान कई बार चोट लगी है। वास्तव में वह बचपन से ही चोट का शिकार रहे हैं, लेकिन उन्होंने कुश्ती के प्रति अपने लगाव को कम नहीं होने दिया। उन्होंने 8 साल की उम्र से ही कुश्ती से नाता जोड़ लिया था और अब उनकी सफलता से तो हर कोई परिचित ही है। सोनीपत, हरियाणा के योगेश्वर ने अपनी तैयारी किसी और के साथ नहीं बल्कि वर्ल्ड चैंपियनशिप और एशियन गेम्स में मेडल विजेता रहे बजरंग के साथ की है।[1]
उपलब्धियाँ
- सबसे पहले 2008 के बीजिंग ओलम्पिक में योगेश्वर दत्त भाग लिया था, लेकिन वह क्वार्टरफ़ाइनल में हारकर बाहर हो गए थे। इसकी भरपाई उन्होंने लंदन ओलम्पिक, 2012 में की और 60 कि.ग्रा. भार वर्ग में काँस्य पदक जीता था।
- योगेश्वर दत्त के नाम एशियाई खेलों में कई मेडल हैं। उन्होंने इंचियोन, 2014 में 65 कि.ग्रा. भार वर्ग में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। इससे पहले वह दोहा एशियाई खेल, 2006 में 60 किलो भार वर्ग में काँस्य जीत चुके थे।
- कॉमनवेल्थ खेलों में योगेश्वर के रिकॉर्ड का भारत में कोई सानी नहीं है। उन्होंने दिल्ली कॉमनवेल्थ खेल, 2010 और ग्लास्गो कॉमनवेल्थ खेल, 2014 में स्वर्ण जीता था।
- योगेश्वर की उलब्धियों को देखते हुए उन्हें 2012 में 'राजीव गाँधी खेल रत्न' से सम्मानित किया गया था।
रियो ओलम्पिक-2016
योगेश्वर दत्त ब्राजील में आयोजित रियो ओलम्पिक, 2016 के लिए भारत की ओर से कुश्ती में पदक जीतने वाले प्रमुख दावेदार थे, किंतु वे अपना पहला ही मुकाबला हारकर इस प्रतिस्पर्धा से बाहर हो गए। उन्हें मंगोलियाई पहलवान गैंजोरिंग मंदाकनरन ने 3-0 से शिकस्त देकर पदक की दौड़ से बाहर कर दिया। 65 किलोग्राम वर्ग में योगेश्वर दत्त मंगोलियाई पहलवान के सामने अपनी चुनौती दमदार ढंग से पेश नहीं कर पाए। योगेश्वर दत्त के लिए कांस्य पदक हासिल करने की उम्मीद तभी बन पाती, जब मंदाकनरन फ़ाइनल तक पहुंचते, लेकिन मंदाकनरन क्वार्टर फ़ाइनल से आगे नहीं बढ़ पाए और इस तरह योगेश्वर दत्त के रियो ओलंपिक में पदक हासिल करने का सपना टूट गया।
रियो ओलम्पिक में भारत की मात्र दो महिला खिलाड़ी ही पदक जीत सकीं। साक्षी मलिक महिलाओं की कुश्ती स्पर्धा में भारत की ओर से काँस्य पदक जीतने में सफल रहीं। जबकि बैडमिंटन में पी. वी. सिंधु ने भारत के लिए रजत पदक हासिल किया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ इस तक ऊपर जायें: 1.0 1.1 पहलवान योगेश्वर दत्त दोहराएंगे 'लंदन' (हिंदी) khabar.ndtv.com। अभिगमन तिथि: 21 अगस्त, 2016।