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'''देवेन्द्र झाझरिया''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Devendra Jhajharia'', जन्म- [[10 जून]], [[2004]], [[चुरू ज़िला]], [[राजस्थान]]) [[भारत]] के एथलीट हैं। उन्होंने [[ब्राजील]] के शहर रियो में आयोजित पैरालम्पिक खेलों (2016) की भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता है। पैरालंपिक में यह उनका दूसरा स्वर्ण पदक है। 12 साल पहले [[2004]] के एथेंस पैरालंपिक में भी उन्होंने स्वर्ण पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया था।
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==परिचय==
==परिचय==
देवेन्द्र झाझरिया का जन्म 10 जून, 1981 को [[राजस्थान]] के चूरू ज़िले में हुआ था। मात्र आठ साल की उम्र में देवेन्द्र के साथ ऐसा भयानक हादसा हुआ, जिसने उनकी जिंदगी ही बदल दी। वे एक पेड़ पर चढ़ रहे थे कि तभी उनका हाथ बिजली के तार से जा टकराया। 11000 वोल्ट के करंट के कारण पूरा हाथ झुलस गया। तमाम कोशिशों के बावजूद देवेन्द्र का बायां हाथ काटना पड़ा और ये उनके और उनके [[परिवार]] के लिए किसी वज्रपात से काम नहीं था। देवेन्द्र का हाथ कटा, लेकिन इसके बाद भी उनके अंदर जीने का जज्बा बना रहा, उनके मनोबल ने उनके घरवालों को हिम्मत दी और देवेन्द्र ने एथलीट की दुनिया में कॅरियर बनाने का फैसला किया।<ref>{{cite web |url=http://hindi.oneindia.com/news/sports/paralympics-2016-life-history-javelin-thrower-devendra-jhajharia-385196.html |title=देवेंद्र झाझरिया: करंट लगने से काटना पड़ा था हाथ|accessmonthday=14 सितम्बर |accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=oneindia.com |language=हिंदी }}</ref>
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==स्वयं का रिकॉर्ड तोड़ा==
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देवेन्द्र झाझरिया ने ऐथलेटिक्स [[2004]] में ऐथेंस ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीता था। उस समय उन्होंने 62.15 मीटर दूर भाला फेंका था, लेकिन रियो के पैरालम्पिक खेल में देवेन्द्र ने ख़ुद का ही रिकॉर्ड तोड़ दिया। इस बार उन्होंने 63.15 मीटर दूर भाला फेंका।
==टोक्यो पैरालंपिक, 2020==
टोक्यो पैरालंपिक में देवेंद्र झाझरिया और [[सुंदर सिंह गुर्जर]] ने जैवलिन थ्रो (एफ़46 वर्ग) में बेहतरीन प्रदर्शन किया। देवेंद्र झाझरिया ने रजत तो सुंदर सिंह ने कांस्य पदक जीता। स्वर्ण पदक श्रीलंका के दिनेश प्रियान हेराथ ने जीता। उन्होंने 67.79 मीटर का थ्रो किया। वहीं देवेंद्र ने 64.35 मीटर और सुंदर सिंह ने 64.01 मीटर दूर भाला फेंका। [[भारत]] ने इन खेलों में सर्वाधिक पदक जीतने के अपने पिछले रिकॉर्ड को पीछे छोड़ा। एथेंस ([[2004]]) और रियो ([[2016]]) में स्वर्ण पदक जीतने वाले 40 वर्षीय झाझरिया ने एफ46 वर्ग में 64.35 मीटर भाला फेंककर अपना पिछला रिकॉर्ड तोड़ा।<ref name="pp">{{cite web |url=https://www.aajtak.in/sports/tokyo-olympics/story/tokyo-paralympics-javelin-throw-final-devendra-jhajharia-sundar-singh-gurjar-wins-medal-tspo-1318488-2021-08-30 |title=देवेंद्र-सुंदर का धमाल, जैवलिन थ्रो में भारत ने जीते दो पदक|accessmonthday=30 अगस्त|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=aajtak.in |language=हिंदी}}</ref>
श्रीलंका के दिनेश प्रियान हेराथ ने हालांकि 67.79 मीटर भाला फेंककर भारतीय एथलीट का सपना पूरा नहीं होने दिया। श्रीलंकाई एथलीट ने अपने इस प्रयास से झाझरिया का पिछला विश्व रिकॉर्ड भी तोड़ा। झाझरिया जब आठ साल के थे तो पेड़ पर चढ़ते समय दुर्घटनावश बिजली की तार छू जाने से उन्होंने अपना बायां हाथ गंवा दिया था। उनके नाम पर पहले 63.97 मीटर के साथ विश्व रिकॉर्ड दर्ज था।
==पुरस्कार व सम्मान==
देवेन्द्र झाझरिया को [[2004]] में '[[अर्जुन पुरस्कार]]' और [[2012]] में '[[पद्म श्री|पद्मश्री पुरस्कार]]' से नवाज़ा जा चुका है। वे पहले ऐसे पैराओलंपियन खिलाड़ी हैंं, जिन्हें पद्मश्री का खिताब मिला है। वर्ष [[2017]] में उन्हें '[[मेजर ध्यानचंद खेल रत्न]]' से भी सम्मानित किया गया।
==उपलब्धियाँ==
==उपलब्धियाँ==
#[[2012]] में देवेन्द्र झाझरिया '[[पद्मश्री]]' से सम्‍मानित होने वाले देश के पहले पैरालिंपिक खिलाड़ी बने।
#[[2012]] में देवेन्द्र झाझरिया '[[पद्मश्री]]' से सम्‍मानित होने वाले देश के पहले पैरालिंपिक खिलाड़ी बने।
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#[[2014]] में दक्षिण कोरिया में आयोजित एशियन पैरा गेम्‍स और [[2015]] की वर्ल्‍ड चैंपियनशिप में उन्‍होंने रजत पदक हासिल किया था।
#[[2014]] में दक्षिण कोरिया में आयोजित एशियन पैरा गेम्‍स और [[2015]] की वर्ल्‍ड चैंपियनशिप में उन्‍होंने रजत पदक हासिल किया था।
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#टोक्यो पैरालंपिक, 2020 में देवेंद्र झाझरिया ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए रजत पदक जीता।


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देवेन्द्र झाझरिया
देवेन्द्र झाझरिया
देवेन्द्र झाझरिया
पूरा नाम देवेन्द्र झाझरिया
जन्म 10 जून, 1981
जन्म भूमि चुरू ज़िला, राजस्थान
कर्म भूमि भारत
खेल-क्षेत्र भाला फेंक
पुरस्कार-उपाधि मेजर ध्यानचंद खेल रत्न, 2017

अर्जुन पुरस्कार, 2004
पद्मश्री, 2012

प्रसिद्धि ऐथलीट
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी देवेन्द्र झाझरिया ने 2014 में दक्षिण कोरिया में आयोजित एशियन पैरा गेम्‍स और 2015 की वर्ल्‍ड चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया था।
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देवेन्द्र झाझरिया (अंग्रेज़ी: Devendra Jhajharia, जन्म- 10 जून, 1981, चुरू ज़िला, राजस्थान) भारत के एथलीट हैं। उन्होंने ब्राजील के शहर रियो में आयोजित पैरालम्पिक खेलों (2016) की भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। पैरालंपिक में यह उनका दूसरा स्वर्ण पदक रहा। 12 साल पहले 2004 के एथेंस पैरालंपिक में भी उन्होंने स्वर्ण पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया था। टोक्यो पैरालंपिक, 2020 में देवेंद्र झाझरिया ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए रजत पदक जीता, जबकि श्रीलंका के दिनेश प्रियान हेराथ ने स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

परिचय

देवेन्द्र झाझरिया का जन्म 10 जून, 1981 को राजस्थान के चूरू ज़िले में हुआ था। मात्र आठ साल की उम्र में देवेन्द्र के साथ ऐसा भयानक हादसा हुआ, जिसने उनकी जिंदगी ही बदल दी। वे एक पेड़ पर चढ़ रहे थे कि तभी उनका हाथ बिजली के तार से जा टकराया। 11000 वोल्ट के करंट के कारण पूरा हाथ झुलस गया। तमाम कोशिशों के बावजूद देवेन्द्र का बायां हाथ काटना पड़ा और ये उनके और उनके परिवार के लिए किसी वज्रपात से काम नहीं था। देवेन्द्र का हाथ कटा, लेकिन इसके बाद भी उनके अंदर जीने का जज्बा बना रहा, उनके मनोबल ने उनके घरवालों को हिम्मत दी और देवेन्द्र ने एथलीट की दुनिया में कॅरियर बनाने का फैसला किया।[1]

स्वयं का रिकॉर्ड तोड़ा

देवेन्द्र झाझरिया

देवेन्द्र झाझरिया ने ऐथलेटिक्स 2004 में ऐथेंस ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीता था। उस समय उन्होंने 62.15 मीटर दूर भाला फेंका था, लेकिन रियो के पैरालम्पिक खेल में देवेन्द्र ने ख़ुद का ही रिकॉर्ड तोड़ दिया। इस बार उन्होंने 63.15 मीटर दूर भाला फेंका।

टोक्यो पैरालंपिक, 2020

टोक्यो पैरालंपिक में देवेंद्र झाझरिया और सुंदर सिंह गुर्जर ने जैवलिन थ्रो (एफ़46 वर्ग) में बेहतरीन प्रदर्शन किया। देवेंद्र झाझरिया ने रजत तो सुंदर सिंह ने कांस्य पदक जीता। स्वर्ण पदक श्रीलंका के दिनेश प्रियान हेराथ ने जीता। उन्होंने 67.79 मीटर का थ्रो किया। वहीं देवेंद्र ने 64.35 मीटर और सुंदर सिंह ने 64.01 मीटर दूर भाला फेंका। भारत ने इन खेलों में सर्वाधिक पदक जीतने के अपने पिछले रिकॉर्ड को पीछे छोड़ा। एथेंस (2004) और रियो (2016) में स्वर्ण पदक जीतने वाले 40 वर्षीय झाझरिया ने एफ46 वर्ग में 64.35 मीटर भाला फेंककर अपना पिछला रिकॉर्ड तोड़ा।[2]

श्रीलंका के दिनेश प्रियान हेराथ ने हालांकि 67.79 मीटर भाला फेंककर भारतीय एथलीट का सपना पूरा नहीं होने दिया। श्रीलंकाई एथलीट ने अपने इस प्रयास से झाझरिया का पिछला विश्व रिकॉर्ड भी तोड़ा। झाझरिया जब आठ साल के थे तो पेड़ पर चढ़ते समय दुर्घटनावश बिजली की तार छू जाने से उन्होंने अपना बायां हाथ गंवा दिया था। उनके नाम पर पहले 63.97 मीटर के साथ विश्व रिकॉर्ड दर्ज था।

पुरस्कार व सम्मान

देवेन्द्र झाझरिया को 2004 में 'अर्जुन पुरस्कार' और 2012 में 'पद्मश्री पुरस्कार' से नवाज़ा जा चुका है। वे पहले ऐसे पैराओलंपियन खिलाड़ी हैंं, जिन्हें पद्मश्री का खिताब मिला है। वर्ष 2017 में उन्हें 'मेजर ध्यानचंद खेल रत्न' से भी सम्मानित किया गया।

उपलब्धियाँ

  1. 2012 में देवेन्द्र झाझरिया 'पद्मश्री' से सम्‍मानित होने वाले देश के पहले पैरालिंपिक खिलाड़ी बने।
  2. देवेन्द्र झाझरिया ने 2013 में फ़्राँस के लियोन में आयोजित आईपीसी एथलेटिक्‍स विश्‍व चैंपियनशिप में स्‍वर्ण पदक जीता।
  3. 2014 में दक्षिण कोरिया में आयोजित एशियन पैरा गेम्‍स और 2015 की वर्ल्‍ड चैंपियनशिप में उन्‍होंने रजत पदक हासिल किया था।
  4. 2014 में देवेन्द्र झाझरिया फिक्‍की पैरा-स्‍पोर्ट्सपर्सन ऑफ द ईयर चुने गए।[3]
  5. टोक्यो पैरालंपिक, 2020 में देवेंद्र झाझरिया ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए रजत पदक जीता।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. देवेंद्र झाझरिया: करंट लगने से काटना पड़ा था हाथ (हिंदी) oneindia.com। अभिगमन तिथि: 14 सितम्बर, 2016।
  2. देवेंद्र-सुंदर का धमाल, जैवलिन थ्रो में भारत ने जीते दो पदक (हिंदी) aajtak.in। अभिगमन तिथि: 30 अगस्त, 2021।
  3. देवेंद्र झाझरिया ने पैरालिंपिक के जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीता (हिंदी) paisa.khabarindiatv.com। अभिगमन तिथि: 14 सितम्बर, 2016।

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