"चरणजीत सिंह": अवतरणों में अंतर
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'''चरणजीत सिंह''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Charanjit Singh'', जन्म- [[3 फ़रवरी]], [[1931]]; मृत्यु- [[27 जनवरी]], [[2022]]) पूर्व भारतीय [[हॉकी]] खिलाड़ी और सन [[1964]] के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक हॉकी टीम के कप्तान रहे थे। उन्हें [[भारत सरकार]] ने [[1964]] में '[[पद्म श्री]]' से सम्मानित किया था। चरणजीत सिंह हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, [[शिमला]] में शारीरिक शिक्षा विभाग के निदेशक पद पर भी रहे थे। | {{सूचना बक्सा खिलाड़ी | ||
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}}'''चरणजीत सिंह''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Charanjit Singh'', जन्म- [[3 फ़रवरी]], [[1931]]; मृत्यु- [[27 जनवरी]], [[2022]]) पूर्व भारतीय [[हॉकी]] खिलाड़ी और सन [[1964]] के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक हॉकी टीम के कप्तान रहे थे। उन्हें [[भारत सरकार]] ने [[1964]] में '[[पद्म श्री]]' से सम्मानित किया था। चरणजीत सिंह हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, [[शिमला]] में शारीरिक शिक्षा विभाग के निदेशक पद पर भी रहे थे। | |||
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सन 1964 में वह ग्रीष्मकालीन टोक्यो ओलिंपिक हाकी टीम के कप्तान रहे। उन्होंने देश के लिए स्वर्ण पदक जीता था। चरणजीत सिंह, बलबीर सीनियर, पिरथीपाल जैसे धुंरधरों से सजी टीम को उस समय 'स्टार स्टडड' टीम का नाम दिया गया था। सभी दर्शक चाहते थे कि हर प्रतियोगिता में यही टीम खेलने उतरे। गांव में प्राथमिक शिक्षा हासिल करने के बाद लायलपुर एग्रीकल्चरण कॉलेज से बीएससी कृषि की उपाधि हासिल करने के बाद चरणजीत सिंह ने सारा ध्यान हॉकी खेल पर लगा दिया। सन [[1949]] में पहली बार यूनिवर्सिटी की तरफ से खेले। [[1958]] से [[1965]] तक लगातार देश का प्रतिनिधित्व किया। | सन 1964 में वह ग्रीष्मकालीन टोक्यो ओलिंपिक हाकी टीम के कप्तान रहे। उन्होंने देश के लिए स्वर्ण पदक जीता था। चरणजीत सिंह, बलबीर सीनियर, पिरथीपाल जैसे धुंरधरों से सजी टीम को उस समय 'स्टार स्टडड' टीम का नाम दिया गया था। सभी दर्शक चाहते थे कि हर प्रतियोगिता में यही टीम खेलने उतरे। गांव में प्राथमिक शिक्षा हासिल करने के बाद लायलपुर एग्रीकल्चरण कॉलेज से बीएससी कृषि की उपाधि हासिल करने के बाद चरणजीत सिंह ने सारा ध्यान हॉकी खेल पर लगा दिया। सन [[1949]] में पहली बार यूनिवर्सिटी की तरफ से खेले। [[1958]] से [[1965]] तक लगातार देश का प्रतिनिधित्व किया। |
10:43, 16 अक्टूबर 2022 के समय का अवतरण
चरणजीत सिंह
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पूरा नाम | चरणजीत सिंह |
जन्म | 3 फ़रवरी, 1931 |
जन्म भूमि | पंजाब (आज़ादी पूर्व) |
मृत्यु | 27 जनवरी, 2022 |
मृत्यु स्थान | ऊना, हिमाचल प्रदेश |
कर्म भूमि | भारत |
खेल-क्षेत्र | हॉकी |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म श्री, 1964 |
प्रसिद्धि | भारतीय हॉकी खिलाड़ी |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | सन 1964 में चरणजीत सिंह ग्रीष्मकालीन टोक्यो ओलिंपिक हॉकी टीम के कप्तान थे। उन्होंने देश के लिए स्वर्ण पदक जीता था। बलबीर सीनियर, पिरथीपाल जैसे धुंरधरों से सजी टीम को तब 'स्टार स्टडड' नाम दिया गया था। |
चरणजीत सिंह (अंग्रेज़ी: Charanjit Singh, जन्म- 3 फ़रवरी, 1931; मृत्यु- 27 जनवरी, 2022) पूर्व भारतीय हॉकी खिलाड़ी और सन 1964 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक हॉकी टीम के कप्तान रहे थे। उन्हें भारत सरकार ने 1964 में 'पद्म श्री' से सम्मानित किया था। चरणजीत सिंह हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला में शारीरिक शिक्षा विभाग के निदेशक पद पर भी रहे थे।
परिचय
चरणजीत सिंह का जन्म 3 फ़रवरी, 1931 को पंजाब (आज़ादी पूर्व) में हुआ था। वह पूर्व भारतीय हॉकी खिलाड़ी और 1964 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक हॉकी टीम के कप्तान रहे। उनके नेतृत्व में भारतीय टीम ने 1964 में टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। चरणजीत सिंह ने पंजाब के गुरदासपुर और लायलपुर से अपनी स्कूली पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने लुधियाना से एग्रीकल्चर में बीएसई की पढ़ाई की और बाद में वह हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में शारीरिक शिक्षा विभाग के निदेशक पद पर भी रहे। स्कूली स्तर पर उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया था।
कॅरियर
सन 1964 में वह ग्रीष्मकालीन टोक्यो ओलिंपिक हाकी टीम के कप्तान रहे। उन्होंने देश के लिए स्वर्ण पदक जीता था। चरणजीत सिंह, बलबीर सीनियर, पिरथीपाल जैसे धुंरधरों से सजी टीम को उस समय 'स्टार स्टडड' टीम का नाम दिया गया था। सभी दर्शक चाहते थे कि हर प्रतियोगिता में यही टीम खेलने उतरे। गांव में प्राथमिक शिक्षा हासिल करने के बाद लायलपुर एग्रीकल्चरण कॉलेज से बीएससी कृषि की उपाधि हासिल करने के बाद चरणजीत सिंह ने सारा ध्यान हॉकी खेल पर लगा दिया। सन 1949 में पहली बार यूनिवर्सिटी की तरफ से खेले। 1958 से 1965 तक लगातार देश का प्रतिनिधित्व किया।
इसी दौरान 1960 व 1964 के दो ओलिंपिक तथा एक एशियन स्पर्धा में भाग लिया। सन 1960 में सेमीफाइनल में फ्रेक्चर होने के कारण फाइनल नहीं खेल पाए तथा भारत को हार झेलनी पड़ी थी। छात्र जीवन में पढ़ाई में अव्वल रहने वाले चरणजीत सिंह देश के बेहतरीन खिलाडिय़ों में शुमार रहे। पढ़ाई हो या खेल हर क्षेत्र में अव्वल रहने की ललक ने उन्हें एक सफल खिलाड़ी व युवाओं का रोल मॉडल बना दिया था।
सरकारी सेवा
चरणजीत सिंह पंजाब पुलिस में एएसआइ के रूप में भर्ती हुए थे तथा 14 साल की नौकरी के बाद डीएसपी पद से रिटायरमेंट ले ली। इसके बाद लुधियाणा कृषि विश्वविद्यालय में उपनिदेशक स्टूडेंट वेलफेयर व हिसार कृषि विश्वविद्यालय में सात साल काम किया। सन 1972 में पिता के कहने पर हिमाचल प्रदेश में नौकरी की शुरुआत हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला में निदेशक फिजिकल एजुकेशन एंड यूथ प्रोग्राम के रूप में की। सन 1990 से 1992 तक प्रदेश के पहले प्रो. एमीरेटस के रूप में कार्य किया।
पुरस्कार व सम्मान
- चरणजीत सिंह को 1963 में अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया।
- ओलिंपिक में गोल्ड जीतने के बाद उन्हें सरकार ने 1964 में पद्म श्री सम्मान दिया।
- इसके अलावा भी उन्हें राज्य स्तरीय और अन्य सम्मान मिले।
मृत्यु
भारतीय टीम के कप्तान रहे हॉकी खिलाड़ी चरणजीत सिंह का निधन 27 जनवरी, 2022 को ऊना, हिमाचल प्रदेश में हुआ। वह कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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