"एक महान डाकू की शोक सभा -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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आदि कई ऐसे चरित्र हैं जो फ़िल्मों में लोकप्रिय हुए हैं। | आदि कई ऐसे चरित्र हैं जो फ़िल्मों में लोकप्रिय हुए हैं। | ||
इस सूची में एक 'पान सिंह तौमर' फ़िल्म ही ऐसी है जो मैंने अभी तक देखी नहीं है। वजह ये है कि थिएटर में फ़िल्म देखने में मेरा दम घुटता है और 'पाइरेटेड डीवीडी' देखने में मोज़रबेयर और टी सिरीज़ वालों का डर लगता है। वैसे भी 'भारतकोश' से समय बचता ही कहाँ है जो फ़िल्म | इस सूची में एक 'पान सिंह तौमर' फ़िल्म ही ऐसी है जो मैंने अभी तक देखी नहीं है। वजह ये है कि थिएटर में फ़िल्म देखने में मेरा दम घुटता है और 'पाइरेटेड डीवीडी' देखने में मोज़रबेयर और टी सिरीज़ वालों का डर लगता है। वैसे भी 'भारतकोश' से समय बचता ही कहाँ है जो फ़िल्म देखूँ! सुना है कि अच्छी चली है, ख़ास तौर से वो संवाद कि "बीहड़ में बाग़ी होते हैं डक़ैत मिलते हैं पार्लियामेन्ट में", ख़ासा लोकप्रिय हुआ है। | ||
असल ज़िन्दगी में भी डाकुओं के नाम बहुत प्रसिद्ध हुए। सुल्ताना डाकू, डाकू मान सिंह, पुतली बाई, पाना डाकू (पान सिंह), मोहर सिंह, माधो सिंह, मलखान सिंह, फूलन देवी आदि। | असल ज़िन्दगी में भी डाकुओं के नाम बहुत प्रसिद्ध हुए। सुल्ताना डाकू, डाकू मान सिंह, पुतली बाई, पाना डाकू (पान सिंह), मोहर सिंह, माधो सिंह, मलखान सिंह, फूलन देवी आदि। | ||
बात क्या है डाकू हमें क्यों आकर्षित करते रहे हैं ? हर एक जीव स्वभाव से कायर होता है चाहे वह जानवर हो या इंसान। बहादुर तो हमें समाज और [[संस्कृति]] बनाती है। जिसे हम बहादुरी या निडरता कहते हैं उसके मुख्य कारण दो ही होते हैं एक तो उस भय के प्रति पूरी अज्ञानता जैसे बच्चा [[सांप]] से नहीं डरता और दूसरा कारण है, अपने भय को छुपा जाना अर्थात यह ज़ाहिर न होने देना कि हम भयभीत हैं। जिन्हें हम साहसी और बहादुर मानते हैं। उन्होंने अपने भय को कभी किसी के सामने ज़ाहिर नहीं होने दिया, बस यही है बहादुरी। | बात क्या है डाकू हमें क्यों आकर्षित करते रहे हैं ? हर एक जीव स्वभाव से कायर होता है चाहे वह जानवर हो या इंसान। बहादुर तो हमें समाज और [[संस्कृति]] बनाती है। जिसे हम बहादुरी या निडरता कहते हैं उसके मुख्य कारण दो ही होते हैं एक तो उस भय के प्रति पूरी अज्ञानता जैसे बच्चा [[सांप]] से नहीं डरता और दूसरा कारण है, अपने भय को छुपा जाना अर्थात यह ज़ाहिर न होने देना कि हम भयभीत हैं। जिन्हें हम साहसी और बहादुर मानते हैं। उन्होंने अपने भय को कभी किसी के सामने ज़ाहिर नहीं होने दिया, बस यही है बहादुरी। |
15:40, 14 अप्रैल 2012 का अवतरण
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टीका टिप्पणी और संदर्भ