"बस एक चान्स -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
आदित्य चौधरी (वार्ता | योगदान) No edit summary |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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एक बड़े ने पूछा- | एक बड़े ने पूछा- | ||
"अब क्या चलता है मन में ? छोटे !" | "अब क्या चलता है मन में ? छोटे !" | ||
"बात ये है कि पूरी तरह से ऐसा नहीं है कि दुनियाँ में हम ही सबसे ज़्यादा अक़्लमन्द हैं... विद्वान लोग और भी हैं... बहुत बढ़िया लिखते हैं... इन किताबों को पढ़ने के बाद लगा कि हम जो अपने मन में सोच रहे थे कि साहित्य की दुनियाँ के हम | "बात ये है कि पूरी तरह से ऐसा नहीं है कि दुनियाँ में हम ही सबसे ज़्यादा अक़्लमन्द हैं... विद्वान लोग और भी हैं... बहुत बढ़िया लिखते हैं... इन किताबों को पढ़ने के बाद लगा कि हम जो अपने मन में सोच रहे थे कि साहित्य की दुनियाँ के हम रुस्तमे-ज़मा गामा पहलवान हैं, असल में ऐसा नहीं है।" | ||
"कुछ किताबें और पढ़ लो... जैसे इतिहास और दर्शन पर... चाहो तो धर्मों के बारे में भी... " | "कुछ किताबें और पढ़ लो... जैसे इतिहास और दर्शन पर... चाहो तो धर्मों के बारे में भी... " | ||
इस बार ज़रा ज़्यादा लम्बा अन्तराल हो गया... चेहरे पर हल्की-हल्की मूछें भी शोभायमान थीं। | इस बार ज़रा ज़्यादा लम्बा अन्तराल हो गया... चेहरे पर हल्की-हल्की मूछें भी शोभायमान थीं। | ||
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"भाग्य ने मेरा साथ दिया", "भाग्य से मुझे सब कुछ मिला", "ईश्वर की कृपा से मैं यहाँ तक पहुँचा" जैसे वाक्य 'सेलिब्रिटी' अक़्सर कहते हैं। | "भाग्य ने मेरा साथ दिया", "भाग्य से मुझे सब कुछ मिला", "ईश्वर की कृपा से मैं यहाँ तक पहुँचा" जैसे वाक्य 'सेलिब्रिटी' अक़्सर कहते हैं। | ||
क्या यह ठीक है ? या उन लोगों को हतोत्साहित करने के लिए एक ख़ूबसूरत धोखा है जो कि उसी क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं और सही रास्ता खोज रहे हैं। | क्या यह ठीक है ? या उन लोगों को हतोत्साहित करने के लिए एक ख़ूबसूरत धोखा है जो कि उसी क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं और सही रास्ता खोज रहे हैं। | ||
ज़रा सोचिए कि कोई प्रसिद्ध खिलाड़ी, | ज़रा सोचिए कि कोई प्रसिद्ध खिलाड़ी, अभिनेता या उद्योगपति यदि भाग्य के बल पर सफल हुआ है तो फिर क्या कोई उसके भाग्य का अनुसरण करे, वहाँ तक पहुँचने के लिए ? यह तो सम्भव नहीं है। बहुत से लोग जो भाग्य पर भरोसा करते हैं वे तो यह भी सोच सकते हैं कि कोई किसी का भाग्य कैसे पा सकता है। इस भाग्य के भरोसे, भारत के शहरों और गाँवों से अनेक नौजवान ये सपना लेकर मुम्बई जाते हैं कि हीरो, हीरोइन या मॉडल बनेंगे। न जाने कितने लड़के-लड़कियाँ इस मुग़ालते में रहते हैं कि उन्हें मौक़ा या 'चान्स' नहीं मिला वरना... । जो समझदार हैं वे समझते हैं कि किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए मेहनत तो निश्चित रूप से करनी ही पड़ती है। | ||
इस सप्ताह इतना ही... अगले सप्ताह कुछ और... | इस सप्ताह इतना ही... अगले सप्ताह कुछ और... |
13:27, 5 मई 2012 का अवतरण
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टीका टिप्पणी और संदर्भ