"कहता है जुगाड़ सारा ज़माना -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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"यस सर ! लेकिन आपको कैसे मालूम ?" | "यस सर ! लेकिन आपको कैसे मालूम ?" | ||
"ठहर जाओ। मैं तुम्हें कुछ दिखाता हूँ।" बॉस ने अपने फ़्रिज में से एक समोसा और एक रसगुल्ला निकाल कर मेज़ पर रख दिया और बोला- | "ठहर जाओ। मैं तुम्हें कुछ दिखाता हूँ।" बॉस ने अपने फ़्रिज में से एक समोसा और एक रसगुल्ला निकाल कर मेज़ पर रख दिया और बोला- | ||
"मैं पिछले साल इंडिया गया था। वहाँ से मैं ये रसगुल्ला और समोसा लेकर आया। अब तुम मुझे बताओ कि इस रसगुल्ले के अन्दर रस कैसे आया और इस समोसे के अन्दर आलू कैसे आया? अब तुम्हारी पूरी ज़िन्दगी यही सोचते हुए निकलेगी कि जलेबी में रस कैसे घुसा...मैंने तुम्हें पहले ही कहा था कि | "मैं पिछले साल इंडिया गया था। वहाँ से मैं ये रसगुल्ला और समोसा लेकर आया। अब तुम मुझे बताओ कि इस रसगुल्ले के अन्दर रस कैसे आया और इस समोसे के अन्दर आलू कैसे आया? अब तुम्हारी पूरी ज़िन्दगी यही सोचते हुए निकलेगी कि जलेबी में रस कैसे घुसा...मैंने तुम्हें पहले ही कहा था कि इंडिया जा रहे हो तो चुपचाप ताजमहल देखकर वापस आ जाना। लेकिन तुम नहीं माने।" | ||
"सर, मैंने ये इंडिया में भी पूछा था कि ये कैसे होता है? तो उन्होंने एक कोई टेक्नीक का नाम लिया... क्या नाम लिया था...?" | "सर, मैंने ये इंडिया में भी पूछा था कि ये कैसे होता है? तो उन्होंने एक कोई टेक्नीक का नाम लिया... क्या नाम लिया था...?" | ||
"उस टेक्नीक का नाम है 'जुगाड़'... यही है ना ?" बॉस ने बुझे स्वर में कहा। | "उस टेक्नीक का नाम है 'जुगाड़'... यही है ना ?" बॉस ने बुझे स्वर में कहा। | ||
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"लेकिन यह जुगाड़ किया कैसे ?" | "लेकिन यह जुगाड़ किया कैसे ?" | ||
पत्नी ने हँसकर कहा, "घर में मूँग की दाल की बड़ी रक्खी थीं, मैंने उनको कूटकर पाँच मिनट पानी में भिगो दिया और फिर घी और ज़ीरे का छौंक लगाकर मूँग की दाल बन गयी।" | पत्नी ने हँसकर कहा, "घर में मूँग की दाल की बड़ी रक्खी थीं, मैंने उनको कूटकर पाँच मिनट पानी में भिगो दिया और फिर घी और ज़ीरे का छौंक लगाकर मूँग की दाल बन गयी।" | ||
वास्तव में यह सही बात है कि भारत की गृहणी और माँ परिवार को अपनी अद्भुत 'जुगाड़ क्षमता' से चलाती है। कुछ साल पहले एक सर्वे में यह रिपोर्ट दी थी कि विषमतम परिस्थितियों में, जिन्होंने कुशल प्रदर्शन किया है, उनमें मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग की भारतीय गृहणियाँ और भारतीय | वास्तव में यह सही बात है कि भारत की गृहणी और माँ परिवार को अपनी अद्भुत 'जुगाड़ क्षमता' से चलाती है। कुछ साल पहले एक सर्वे में यह रिपोर्ट दी थी कि विषमतम परिस्थितियों में, जिन्होंने कुशल प्रदर्शन किया है, उनमें मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग की भारतीय गृहणियाँ और भारतीय ट्रक ड्राइवर विश्व में श्रेष्ठ स्थान पर हैं। | ||
इस सप्ताह इतना ही... अगले सप्ताह कुछ और... | इस सप्ताह इतना ही... अगले सप्ताह कुछ और... |
04:13, 3 जुलाई 2012 का अवतरण
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