"कैसे कह दूँ कि मैं भी इंसा हूँ -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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कैसे कह दूँ कि मैं भी ज़िन्दा हूँ | |||
कैसे कह दूँ कि मैं भी इंसा हूँ | कैसे कह दूँ कि मैं भी इंसा हूँ | ||
उसने देखे थे यहाँ ख़ाब कई | उसने देखे थे यहाँ ख़ाब कई | ||
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उसे उठाने के लिए तो सारा ज़माना था | उसे उठाने के लिए तो सारा ज़माना था | ||
यूँ ही गिरी पड़ी रही बेसुध वो | यूँ ही गिरी पड़ी रही बेसुध वो | ||
मगर मैं | मगर मैं रुक न सका पल भर को | ||
कैसे कह दूँ कि मैं भी ज़िन्दा हूँ | |||
कैसे कह दूँ कि मैं भी इंसा हूँ | कैसे कह दूँ कि मैं भी इंसा हूँ | ||
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11:57, 18 जनवरी 2013 का अवतरण
कैसे कह दूँ कि मैं भी इंसा हूँ -आदित्य चौधरी
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