"कैसे कह दूँ कि मैं भी इंसा हूँ -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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जिसे उठना था किसी ख़ास रात | जिसे उठना था किसी ख़ास रात | ||
मगर वो रात अब न आएगी कभी | मगर वो रात अब न आएगी कभी | ||
न शहनाई, न | न शहनाई, न सेहरा, न बाबुल गाएगी कभी | ||
लेकिन मुझे तो काम थे बहुत | लेकिन मुझे तो काम थे बहुत |
12:34, 18 जनवरी 2013 का अवतरण
कैसे कह दूँ कि मैं भी इंसा हूँ -आदित्य चौधरी
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