"जोगिया मोर जगत सुखदायक -विद्यापति": अवतरणों में अंतर

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आगे माई, जोगिया मोर जगत सुखदायक, दुःख ककरो नहिं देल
आगे माई, जोगिया मोर जगत् सुखदायक, दुःख ककरो नहिं देल


दुःख ककरो नहिं देल महादेव, दुःख ककरो नहिं देल !
दुःख ककरो नहिं देल महादेव, दुःख ककरो नहिं देल !

14:07, 30 जून 2017 के समय का अवतरण

जोगिया मोर जगत सुखदायक -विद्यापति
विद्यापति का काल्पनिक चित्र
विद्यापति का काल्पनिक चित्र
कवि विद्यापति
जन्म सन् 1350 से 1374 के मध्य
जन्म स्थान बिसपी गाँव, मधुबनी ज़िला, बिहार
मृत्यु सन् 1440 से 1448 के मध्य
मृत्यु स्थान मगहर, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ कीर्तिलता, मणिमंजरा नाटिका, गंगावाक्यावली, भूपरिक्रमा आदि
भाषा संस्कृत, अवहट्ट और मैथिली
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
विद्यापति की रचनाएँ

आगे माई, जोगिया मोर जगत् सुखदायक, दुःख ककरो नहिं देल

दुःख ककरो नहिं देल महादेव, दुःख ककरो नहिं देल !
एही जोगिया के भाँग भुलैलक, धतुर खोआई धन लेल !

आगे माई, कार्तिक गणपति दुई जन बालक, जन भरी के नहिं जान !
तिनक अभरन किछओ न टिकइन, रतियक सन नहिं कान !

आगे माई, सोना रूपा अनका सूत अभरन, अपने रुद्रक माल !
अपना मँगलो किछ नै जुरलनी, अनका लै जंजाल !

आगे माई, छन में हेरथी कोटिधन बकसथी, वाहि देवा नहिं थोर !
भनहिं विद्यापति सुनू हे मनाइनि, इहो थिका दिगम्बर मोर !


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