"कबीर का कमाल -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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महान संत [[कबीर|कबीर दास]] के संबंध में अनेक क़िस्से और किंवदंतियाँ मशहूर हैं लेकिन मुझे जो बहुत प्रेरित करते हैं उनका ज़िक्र कर रहा हूँ। | महान संत [[कबीर|कबीर दास]] के संबंध में अनेक क़िस्से और किंवदंतियाँ मशहूर हैं लेकिन मुझे जो बहुत प्रेरित करते हैं उनका ज़िक्र कर रहा हूँ। | ||
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"मैं आप सभी की अपराधी हूँ, मुझे क्षमा कीजिए जो मैंने एक देवता समान संत पर ऐसा घिनौना आरोप लगाया। इस सबके लिए मुझे कबीर साहब के विरोधियों ने पैसा दिया था क्योंकि मेरे दोनों बच्चों को पालने के लिए मेरे पास फूटी कौड़ी भी नहीं है।" | "मैं आप सभी की अपराधी हूँ, मुझे क्षमा कीजिए जो मैंने एक देवता समान संत पर ऐसा घिनौना आरोप लगाया। इस सबके लिए मुझे कबीर साहब के विरोधियों ने पैसा दिया था क्योंकि मेरे दोनों बच्चों को पालने के लिए मेरे पास फूटी कौड़ी भी नहीं है।" | ||
इतना सुनने पर उपस्थित लोगों ने नर्तकी के लिए तुरंत धन इकट्ठा करके उसे दे दिया और सत्संग फिर प्रारम्भ हो गया। कबीर साहब के विरोधी पंडे और मुल्ला थे जिनकी अंधविश्वास की बातों का कबीर विरोध करते थे। | इतना सुनने पर उपस्थित लोगों ने नर्तकी के लिए तुरंत धन इकट्ठा करके उसे दे दिया और सत्संग फिर प्रारम्भ हो गया। कबीर साहब के विरोधी पंडे और मुल्ला थे जिनकी अंधविश्वास की बातों का कबीर विरोध करते थे। | ||
दुनिया की रीत निराली है। लोग प्रयासों को नहीं, परिणामों को देख शाबाशी देते हैं। पश्चाताप को नहीं, प्रायश्चित को सराहते हैं। खेती को नहीं, फ़सल को देखकर मुग्ध होते हैं। सुन्दरता की प्रशंसा फूल की होती है न कि बीज की। इसलिए कबीर के इस क़िस्से से हम यह समझ सकते हैं कि कबीर ने किसी को सफ़ाई नहीं दी कि वह स्त्री झूठ बोल रही है बल्कि उस स्त्री के मुख से ही सच कहलवा किया और वह भी पूर्णत: अहिंसक | दुनिया की रीत निराली है। लोग प्रयासों को नहीं, परिणामों को देख शाबाशी देते हैं। पश्चाताप को नहीं, प्रायश्चित को सराहते हैं। खेती को नहीं, फ़सल को देखकर मुग्ध होते हैं। सुन्दरता की प्रशंसा फूल की होती है न कि बीज की। इसलिए कबीर के इस क़िस्से से हम यह समझ सकते हैं कि कबीर ने किसी को सफ़ाई नहीं दी कि वह स्त्री झूठ बोल रही है बल्कि उस स्त्री के मुख से ही सच कहलवा किया और वह भी पूर्णत: अहिंसक तरीक़े से। | ||
कबीर की मां चाहती थी कि कबीर विवाह कर लें। कबीर ने अपनी मां की इच्छा पूरी करने के लिए विवाह कर लिया। विवाह की रात को उनकी पत्नी 'लोई' लगातार रो रही थी। कबीर ने कारण पूछा तो लोई ने कहा- | कबीर की मां चाहती थी कि कबीर विवाह कर लें। कबीर ने अपनी मां की इच्छा पूरी करने के लिए विवाह कर लिया। विवाह की रात को उनकी पत्नी 'लोई' लगातार रो रही थी। कबीर ने कारण पूछा तो लोई ने कहा- | ||
"मैं किसी और से प्रेम करती हूँ, किन्तु मेरे माता-पिता ने मेरा विवाह आपसे कर दिया।" | "मैं किसी और से प्रेम करती हूँ, किन्तु मेरे माता-पिता ने मेरा विवाह आपसे कर दिया।" |
14:20, 19 मार्च 2013 का अवतरण
कबीर का कमाल -आदित्य चौधरी महान संत कबीर दास के संबंध में अनेक क़िस्से और किंवदंतियाँ मशहूर हैं लेकिन मुझे जो बहुत प्रेरित करते हैं उनका ज़िक्र कर रहा हूँ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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