"तुमको बताने का क्या फ़ायदा -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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वास्ता उनसे जान-ओ-जिगर का भी था | वास्ता उनसे जान-ओ-जिगर का भी था | ||
जान देने की | जान देने की ख़्वाहिश तो उनकी भी थी | ||
दूर जाते रहे | दूर जाते रहे | ||
कसमसाते रहे | कसमसाते रहे |
08:41, 23 अगस्त 2013 के समय का अवतरण
तुमको बताने का क्या फ़ायदा -आदित्य चौधरी
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टीका टिप्पणी और संदर्भ