"इस शहर में -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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इस शहर में अब कोई मरता नहीं | इस शहर में अब कोई मरता नहीं | ||
वो मरें भी कैसे जो ज़िन्दा नहीं | |||
हो रहे नीलाम चौराहों पे रिश्ते | हो रहे नीलाम चौराहों पे रिश्ते | ||
क्या कहें कोई दोस्त शर्मिंदा नहीं | |||
घूमता है हर कोई कपड़े उतारे | घूमता है हर कोई कपड़े उतारे | ||
शहर भर में अब कोई नंगा नहीं | |||
कौन किसको भेजता है आज लानत | कौन किसको भेजता है आज लानत | ||
इस तरह का अब यहाँ मसला नहीं | |||
हो गया है एक मज़हब 'सिर्फ़ पैसा' | हो गया है एक मज़हब 'सिर्फ़ पैसा' | ||
अब कहीं पर मज़हबी दंगा नहीं | |||
मर गये, आज़ाद हमको कर गये वो | मर गये, आज़ाद हमको कर गये वो | ||
उनका महफ़िल में कहीं चर्चा नहीं | |||
अब यहाँ खादी वही पहने हुए हैं | अब यहाँ खादी वही पहने हुए हैं | ||
जिनकी यादों में भी अब चरख़ा नहीं | |||
इस शहर में अब कोई मरता नहीं | इस शहर में अब कोई मरता नहीं | ||
वो मरें भी कैसे जो ज़िन्दा नहीं | |||
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06:26, 24 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण
इस शहर में -आदित्य चौधरी
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