"कभी ख़ुशी कभी ग़म -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं में निचले क्रम की नौकरी के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण उनका हो जिनकी न्यूनतम शैक्षिक योग्यता स्नातक हो। ये नौकरियाँ वाहन चालक, चपरासी आदि जैसे कार्य की हों। इससे किसी भी स्नातक को साधारण नौकरी करने में शर्म महसूस नहीं होगी। | सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं में निचले क्रम की नौकरी के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण उनका हो जिनकी न्यूनतम शैक्षिक योग्यता स्नातक हो। ये नौकरियाँ वाहन चालक, चपरासी आदि जैसे कार्य की हों। इससे किसी भी स्नातक को साधारण नौकरी करने में शर्म महसूस नहीं होगी। | ||
इसे यूँ भी कह सकते हैं कि वाहन चालक, सुरक्षाकर्मी, चपरासी के लिए यदि न्यूनतम शैक्षिक योग्यता स्नातक हो तो पढ़े लिखे बेरोज़गार इन नौकरियों को करने में शर्मिंदगी महसूस नहीं करेंगे। | इसे यूँ भी कह सकते हैं कि वाहन चालक, सुरक्षाकर्मी, चपरासी के लिए यदि न्यूनतम शैक्षिक योग्यता स्नातक हो तो पढ़े लिखे बेरोज़गार इन नौकरियों को करने में शर्मिंदगी महसूस नहीं करेंगे। | ||
भारत में अभी तक शिक्षार्थियों का पढ़ाई लिए नौकरी करना या पढ़ाई के साथ-साथ नौकरी करने का प्रचलन उतना नहीं है जितना कि पश्चिमी देशों में है। इन शिक्षार्थियों को होटलों या | भारत में अभी तक शिक्षार्थियों का पढ़ाई लिए नौकरी करना या पढ़ाई के साथ-साथ नौकरी करने का प्रचलन उतना नहीं है जितना कि पश्चिमी देशों में है। इन शिक्षार्थियों को होटलों या रेस्तराओं में काम करने में शर्म महसूस होती है। यदि सरकार की ओर से इन शिक्षार्थियों को एक बिल्ला (Badge) दिया जाय जो इनके शिक्षार्थी-कर्मी होने की पहचान हो तो लोग इस बिल्ले को देखकर इनसे अपेक्षाकृत अच्छा व्यवहार करेंगे। जब सम्मान पूर्ण व्यवहार होगा तो शिक्षार्थियों को किसी भी नौकरी में लज्जा का अनुभव नहीं होगा। | ||
'''दु:ख और अवसाद का एक कारण है असुरक्षा-''' | '''दु:ख और अवसाद का एक कारण है असुरक्षा-''' | ||
जैसे कि न्यायपालिका का सूत्र है कि 'अपराधी का नहीं बल्कि अपराध का उन्मूलन करना है'। यह सूत्र सुनने में काफ़ी प्रभावशाली है लेकिन अपने अभियान में सफल कितना है इसका उल्लेख करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसकी सफलता-असफलता सभी जानते हैं। असल में हमारा केन्द्र बिन्दु सदैव अपराध और अपराधी रहता है। उस सामान्य प्रकृति के व्यक्ति की ओर हमारा ध्यान ही नहीं रहता जो आपराधिक कृत्य से बचता रहता है। यदि एक मात्र ज़िक्र होता भी है तो इस सूत्र से कि 'चाहे दस अपराधी छूट जाएँ किन्तु एक निरपराधी को सज़ा नहीं होनी चाहिए।</poem> {{बाँयाबक्सा|पाठ=सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं में निचले क्रम की नौकरी के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण उनका हो जिनकी न्यूनतम शैक्षिक योग्यता स्नातक हो। ये नौकरियाँ वाहन चालक, चपरासी आदि जैसे कार्य की हों। इससे किसी भी स्नातक को साधारण नौकरी करने में शर्म महसूस नहीं होगी।|विचारक=}} | जैसे कि न्यायपालिका का सूत्र है कि 'अपराधी का नहीं बल्कि अपराध का उन्मूलन करना है'। यह सूत्र सुनने में काफ़ी प्रभावशाली है लेकिन अपने अभियान में सफल कितना है इसका उल्लेख करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसकी सफलता-असफलता सभी जानते हैं। असल में हमारा केन्द्र बिन्दु सदैव अपराध और अपराधी रहता है। उस सामान्य प्रकृति के व्यक्ति की ओर हमारा ध्यान ही नहीं रहता जो आपराधिक कृत्य से बचता रहता है। यदि एक मात्र ज़िक्र होता भी है तो इस सूत्र से कि 'चाहे दस अपराधी छूट जाएँ किन्तु एक निरपराधी को सज़ा नहीं होनी चाहिए।</poem> {{बाँयाबक्सा|पाठ=सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं में निचले क्रम की नौकरी के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण उनका हो जिनकी न्यूनतम शैक्षिक योग्यता स्नातक हो। ये नौकरियाँ वाहन चालक, चपरासी आदि जैसे कार्य की हों। इससे किसी भी स्नातक को साधारण नौकरी करने में शर्म महसूस नहीं होगी।|विचारक=}} |
12:12, 8 नवम्बर 2013 का अवतरण
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