"दिलों के टूट जाने की -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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<poem style="color=#003333"> | <poem style="color=#003333"> | ||
नहीं आवाज़ होती है, दिलों के टूट जाने की | नहीं आवाज़ होती है, दिलों के टूट जाने की | ||
ज़रूरत क्या है फिर तुमको, इसे सुनने-सुनाने की | ज़रूरत क्या है फिर तुमको, इसे सुनने-सुनाने की | ||
मेरे तन्हाई के आलम में सारे ख़ाब फीके थे | |||
तुम्हारी ज़िद थी फिर इनको, बहारों से सजाने की | |||
जो मैं था वो तो रहने ही कहाँ तुमने दिया मुझको | जो मैं था वो तो रहने ही कहाँ तुमने दिया मुझको | ||
जो मैं अब हो गया तुम सा, तो ज़िद है छोड़ जाने की | जो मैं अब हो गया तुम सा, तो ज़िद है छोड़ जाने की | ||
मैं ख़ुश कितना हूँ ये तुमको बताने के लिए आया | |||
तुम्हें फ़ुर्सत कहाँ नाचीज़ को दिल से लगाने की | |||
हज़ारों ख़्वाइशों को छोड़ के तुमको ही चाहा था | हज़ारों ख़्वाइशों को छोड़ के तुमको ही चाहा था |
07:14, 23 नवम्बर 2014 का अवतरण
![]() दिलों के टूट जाने की -आदित्य चौधरी
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