"यमलोक में एक निर्भय अमानत 'दामिनी' -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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"पुत्री ! कर्म का लेखा तो सब विधाता के हाथ में है। जो भाग्य में लिखा था, वही तुमने भोगा। इसमें न तो मैं कुछ कर सकता हूँ और न तुम ही..." | "पुत्री ! कर्म का लेखा तो सब विधाता के हाथ में है। जो भाग्य में लिखा था, वही तुमने भोगा। इसमें न तो मैं कुछ कर सकता हूँ और न तुम ही..." | ||
"वो कौन विधाता है जो अबोध बच्चियों और अशक्त नारियों के साथ दुष्कर्म होते देखकर चैन की नींद सो पाता है ? उस विधाता से ये तो पूछिए कि हमारे साथ बलात्कार होने की घटना का ज़िम्मेदार कौन है ? यदि वही सब कुछ करवाता है तो फिर ये बलात्कार भी वही करवा रहा है ! काश आप स्त्री होते और धरती पर जन्म लेते तब आपको पता चलता कि किस प्रकार स्त्री के जन्मने से पहले से ही मृत्यु, दुर्भाग्य और भय हर समय उसका पीछा करते रहते हैं।..." | "वो कौन विधाता है जो अबोध बच्चियों और अशक्त नारियों के साथ दुष्कर्म होते देखकर चैन की नींद सो पाता है ? उस विधाता से ये तो पूछिए कि हमारे साथ बलात्कार होने की घटना का ज़िम्मेदार कौन है ? यदि वही सब कुछ करवाता है तो फिर ये बलात्कार भी वही करवा रहा है ! काश आप स्त्री होते और धरती पर जन्म लेते तब आपको पता चलता कि किस प्रकार स्त्री के जन्मने से पहले से ही मृत्यु, दुर्भाग्य और भय हर समय उसका पीछा करते रहते हैं।..." | ||
"हम उन नीच दुष्कर्मियों को | "हम उन नीच दुष्कर्मियों को कुम्भीपाकनरककी भयानक यातनाओं में अनंत काल तक रखेंगें पुत्री! तेरे साथ न्याय होगा..." | ||
"कब ?... लेकिन कब ? उनको फाँसी होने के बाद ! न जाने कब होगी उन्हें फाँसी और पता नहीं होगी भी या नहीं ? धर्मराज जी ये ग़नीमत जानिए कि उन अपराधियों में से कोई अरबपति नहीं है वरना फाँसी तो दूर की बात है, केस भी नहीं बनता... केस चलता भी तो गवाह ''होस्टाइल'' हो जाते या ''रोड ऍक्सीडेन्ट'' में मारे जाते... | "कब ?... लेकिन कब ? उनको फाँसी होने के बाद ! न जाने कब होगी उन्हें फाँसी और पता नहीं होगी भी या नहीं ? धर्मराज जी ये ग़नीमत जानिए कि उन अपराधियों में से कोई अरबपति नहीं है वरना फाँसी तो दूर की बात है, केस भी नहीं बनता... केस चलता भी तो गवाह ''होस्टाइल'' हो जाते या ''रोड ऍक्सीडेन्ट'' में मारे जाते... | ||
"लेकिन दुष्कर्म के अभियोग में तो किसी साक्षी की आवश्यकता नहीं है बिटिया... जैसा कि पृथ्वी का विधि-विधान है..." चित्रगुप्त धीरे से बोले | "लेकिन दुष्कर्म के अभियोग में तो किसी साक्षी की आवश्यकता नहीं है बिटिया... जैसा कि पृथ्वी का विधि-विधान है..." चित्रगुप्त धीरे से बोले |
10:52, 11 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
यमलोक में एक निर्भय अमानत 'दामिनी' -आदित्य चौधरी यमलोक में यमराज अपने सिंहासन पर विराजमान हैं। चित्रगुप्त अपने बही खाते से अपरिमित ब्रह्माण्ड में व्याप्त 84 लाख योनियों का असंख्य-असंख्य युगों, चतुर्युगों और मंवंतरों का लेखा-जोखा देख रहे हैं। किसने क्या कर्म किए और वे कैसे थे, किसे स्वर्ग दें किसे नर्क, किसे मोक्ष मिले और किसे पशु योनि। यह सब चल ही रहा था कि सचिव ने घोषणा की-
यदि इस प्रकार की व्यवस्था हो सके तो सुधार संभव है वरना तो सब बेकार की बातें हैं।..." |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ यह व्यवस्था बड़े शहरों के लिए ही होगी इस कड़े में यह व्यवस्था होती है कि जैसे ही इस कड़े पर दवाब बढ़ता है या इसे खोला जाता है इसकी सूचना निकटतम पुलिस तंत्र को मिल जाती है और पुलिस वहाँ पहुंच जाती है। इसके बटन को दबाने से ही पुलिस को बुलाया जा सकता है।
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