"फवाद मिर्ज़ा": अवतरणों में अंतर
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'''फवाद मिर्ज़ा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Fouaad Mirza'', जन्म- [[6 मार्च]], [[1992]], [[बैंगलौर]], [[कर्नाटक]]) भारतीय घुड़सवार हैं। [[जापान]] की राजधानी [[टोक्यो]] में हुये ओलंपिक खेलों (ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक, 2020) में भारतीय घुड़सवार फवाद | {{सूचना बक्सा खिलाड़ी | ||
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}}'''फवाद मिर्ज़ा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Fouaad Mirza'', जन्म- [[6 मार्च]], [[1992]], [[बैंगलौर]], [[कर्नाटक]]) भारतीय घुड़सवार हैं। [[जापान]] की राजधानी [[टोक्यो]] में हुये ओलंपिक खेलों (ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक, 2020) में भारतीय घुड़सवार फवाद मिर्ज़ा पहली बार खेलों के महाकुंभ का हिस्सा बने और पदक की रेस में फाइनल तक का सफर तय किया। हालांकि [[भारत]] के लिये यह खिलाड़ी पदक जीत पाने में नाकाम रहा, लेकिन अपने डेब्यू ओलंपिक में ही फैन्स का दिल जीत लिया। टोक्यो ओलंपिक में फवाद मिर्ज़ा ने 23वें पायदान पर रहकर अपने सफर का अंत किया। | |||
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घुड़सवारी फवाद मिर्ज़ा को विरासत में मिली थी। उनके [[पिता]] डॉ हसनिन | घुड़सवारी फवाद मिर्ज़ा को विरासत में मिली थी। उनके [[पिता]] डॉ. हसनिन मिर्ज़ा एक घुड़सवार पशु चिकित्सक हैं और घोड़ों के प्रति स्नेह को उन्होंने अपने बेटों फवाद और एली आस्कर में भी जगाया। डॉ. हसनिन मिर्ज़ा के अनुसार- "मैं एक स्टड फार्म पर काम करता था। यह हमारा पुस्तैनी काम था और हमारे कुछ साथी भी थे। एली आस्कर (सबसे बड़ा बेटा) और फवाद दोनों खेत पर घोड़ों के आसपास काफी समय बिताते हुए बड़े हुए हैं। मैं अपने [[परिवार]] की छठी पीढ़ी का घुड़सवार हूं। मेरे पिता 61वीं घुड़सवार सेना में सेना अधिकारी थे और [[राष्ट्रपति]] के बॉडी गार्ड का जिम्मा संभालते थे।"<ref>{{cite web |url=https://olympics.com/hi/news/who-is-fouaad-mirza-the-indian-equestrian-who-qualified-for-tokyo-2020 |title=जानिए, कौन हैं टोक्यो 2020 का टिकट हासिल करने वाले भारतीय घुड़सवार फवाद मिर्ज़ा|accessmonthday=14 अगस्त|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=olympics.com |language=हिंदी}}</ref> | ||
==रखते थे गिरने का रिकॉर्ड== | ==रखते थे गिरने का रिकॉर्ड== | ||
जब फवाद मिर्ज़ा पहली बार घोड़े पर बैठे तो उनके पिता ने उनसे कहा था कि वह तब तक घुड़सवारी नहीं सीख पाएंगे, जब तक वह सौ बार घोड़े से गिरते नहीं हैं। इसके बाद से फवाद मिर्ज़ा ने इसका रिकॉर्ड रखना शुरू किया। फवाद मिर्ज़ा एक डायरी रखते जिसमें वह रिकॉर्ड रखते कि वह कब, कहां और कैसे घोड़े से गिरे। एक इंटरव्यू ने फवाद ने बताया कि पांच साल की उम्र में ही एक बार वह घोड़े से गिरे और घोड़े ने उनके चेहरे पर पैर रख दिया जिससे वह गंभीर चोट लगी। उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उनके चेहरे पर 16 टांके आए। हालांकि फवाद मिर्ज़ा रोए नहीं। जब उनके पिता ने उनसे बात की तो फवाद बोले कि यह 98वीं बार था, जब वह घोड़े से गिरे हैं। उन टांकों के निशान आज भी उनके चेहरे पर हैं। हालांकि 134 के बाद उन्होंने रिकॉर्ड रखना बंद कर दिया क्योंकि उन्हें खुद पर विश्वास आ चुका था।<ref | जब फवाद मिर्ज़ा पहली बार घोड़े पर बैठे तो उनके पिता ने उनसे कहा था कि वह तब तक घुड़सवारी नहीं सीख पाएंगे, जब तक वह सौ बार घोड़े से गिरते नहीं हैं। इसके बाद से फवाद मिर्ज़ा ने इसका रिकॉर्ड रखना शुरू किया। फवाद मिर्ज़ा एक डायरी रखते जिसमें वह रिकॉर्ड रखते कि वह कब, कहां और कैसे घोड़े से गिरे। एक इंटरव्यू ने फवाद ने बताया कि पांच साल की उम्र में ही एक बार वह घोड़े से गिरे और घोड़े ने उनके चेहरे पर पैर रख दिया जिससे वह गंभीर चोट लगी। उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उनके चेहरे पर 16 टांके आए। हालांकि फवाद मिर्ज़ा रोए नहीं। जब उनके पिता ने उनसे बात की तो फवाद बोले कि यह 98वीं बार था, जब वह घोड़े से गिरे हैं। उन टांकों के निशान आज भी उनके चेहरे पर हैं। हालांकि 134 के बाद उन्होंने रिकॉर्ड रखना बंद कर दिया क्योंकि उन्हें खुद पर विश्वास आ चुका था।<ref>{{cite web |url=https://hindi.news18.com/news/sports/others-story-of-history-maker-equestrian-fouaad-mirza-who-will-represent-india-in-tokyo-olympics-2020-2761849.html |title=अपने दम पर फवाद ने रचा इतिहास|accessmonthday=14 अगस्त|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindi.news18.com |language=हिंदी}}</ref> | ||
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वहीं पर ग्रेट ब्रिटेन के टॉम मैक्वेन ने अपने घोड़े टोलेडो डि कर्सेर के साथ सिल्वर और [[ऑस्ट्रेलिया]] के एंड्रयू हॉय ने अपने घोड़े वसिलि डे लॉसेस के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीता। '''गौरतलब है कि फवाद | वहीं पर ग्रेट ब्रिटेन के टॉम मैक्वेन ने अपने घोड़े टोलेडो डि कर्सेर के साथ सिल्वर और [[ऑस्ट्रेलिया]] के एंड्रयू हॉय ने अपने घोड़े वसिलि डे लॉसेस के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीता। '''गौरतलब है कि फवाद मिर्ज़ा [[भारत]] की ओर से ओलंपिक का हिस्सा बनने वाले तीसरे घुड़सवार हैं। उनसे पहले [[1996]] में [[इंद्रजीत लांबा]] और [[इम्तिया अनीस]] ने 2000 ओलंपिक्स की घुड़सवारी प्रतिस्पर्धा में भाग लिया था'''। फवाद मिर्ज़ा ने अपने ओलंपिक के फाइनल मैच का आगाज बाजी कोइन इक्वीस्ट्रीयन पार्क में शानदार प्रदर्शन के साथ किया और 9वें पायदान पर रहे। हालांकि सी फॉरेस्ट कंट्री कोर्स में खेले गये क्रॉस कंट्री राउंड में उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ा जिसके चलते वह 22 वें पायदान पर खिसक गये। इस भारतीय घुड़सवार ने 63 देशों के खिलाड़ियों के बीच हुई इस प्रतिस्पर्धा के सेमीफाइनल मैच में 47.20 पेनाल्टी अंक हासिल करते हुए 25वां स्थान अपने नाम किया। फाइनल में पहुंचने के लिये सिर्फ टॉप 25 खिलाड़ियों को ही जगह दी गई थी।<ref>{{cite web |url= https://hindi.mykhel.com/more-sports/tokyo-2020-olympics-equestrian-fouaad-mirza-misses-out-medal-but-shines-on-his-debut-finishes-on-23-055358.html?story=4|title=पदक नहीं मिला तो क्या फवाद मिर्ज़ा ने जीता दिल|accessmonthday=14 अगस्त|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindi.mykhel.com |language=हिंदी}}</ref> | ||
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09:48, 14 अगस्त 2021 का अवतरण
फवाद मिर्ज़ा
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पूरा नाम | फवाद मिर्ज़ा |
जन्म | 6 मार्च, 1992 |
जन्म भूमि | बैंगलौर, कर्नाटक |
अभिभावक | पिता- डॉ. हसनिन मिर्ज़ा |
कर्म भूमि | भारत |
खेल-क्षेत्र | घुड़सवारी |
प्रसिद्धि | भारतीय घुड़सवार खिलाड़ी |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | जकार्ता 2018 में फवाद मिर्ज़ा 1982 के बाद से घुड़सवारी स्पर्धा में एशियाई खेलों में व्यक्तिगत पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने थे। |
अद्यतन | 15:18, 14 अगस्त 2021 (IST)
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फवाद मिर्ज़ा (अंग्रेज़ी: Fouaad Mirza, जन्म- 6 मार्च, 1992, बैंगलौर, कर्नाटक) भारतीय घुड़सवार हैं। जापान की राजधानी टोक्यो में हुये ओलंपिक खेलों (ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक, 2020) में भारतीय घुड़सवार फवाद मिर्ज़ा पहली बार खेलों के महाकुंभ का हिस्सा बने और पदक की रेस में फाइनल तक का सफर तय किया। हालांकि भारत के लिये यह खिलाड़ी पदक जीत पाने में नाकाम रहा, लेकिन अपने डेब्यू ओलंपिक में ही फैन्स का दिल जीत लिया। टोक्यो ओलंपिक में फवाद मिर्ज़ा ने 23वें पायदान पर रहकर अपने सफर का अंत किया।
परिचय
घुड़सवारी फवाद मिर्ज़ा को विरासत में मिली थी। उनके पिता डॉ. हसनिन मिर्ज़ा एक घुड़सवार पशु चिकित्सक हैं और घोड़ों के प्रति स्नेह को उन्होंने अपने बेटों फवाद और एली आस्कर में भी जगाया। डॉ. हसनिन मिर्ज़ा के अनुसार- "मैं एक स्टड फार्म पर काम करता था। यह हमारा पुस्तैनी काम था और हमारे कुछ साथी भी थे। एली आस्कर (सबसे बड़ा बेटा) और फवाद दोनों खेत पर घोड़ों के आसपास काफी समय बिताते हुए बड़े हुए हैं। मैं अपने परिवार की छठी पीढ़ी का घुड़सवार हूं। मेरे पिता 61वीं घुड़सवार सेना में सेना अधिकारी थे और राष्ट्रपति के बॉडी गार्ड का जिम्मा संभालते थे।"[1]
रखते थे गिरने का रिकॉर्ड
जब फवाद मिर्ज़ा पहली बार घोड़े पर बैठे तो उनके पिता ने उनसे कहा था कि वह तब तक घुड़सवारी नहीं सीख पाएंगे, जब तक वह सौ बार घोड़े से गिरते नहीं हैं। इसके बाद से फवाद मिर्ज़ा ने इसका रिकॉर्ड रखना शुरू किया। फवाद मिर्ज़ा एक डायरी रखते जिसमें वह रिकॉर्ड रखते कि वह कब, कहां और कैसे घोड़े से गिरे। एक इंटरव्यू ने फवाद ने बताया कि पांच साल की उम्र में ही एक बार वह घोड़े से गिरे और घोड़े ने उनके चेहरे पर पैर रख दिया जिससे वह गंभीर चोट लगी। उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उनके चेहरे पर 16 टांके आए। हालांकि फवाद मिर्ज़ा रोए नहीं। जब उनके पिता ने उनसे बात की तो फवाद बोले कि यह 98वीं बार था, जब वह घोड़े से गिरे हैं। उन टांकों के निशान आज भी उनके चेहरे पर हैं। हालांकि 134 के बाद उन्होंने रिकॉर्ड रखना बंद कर दिया क्योंकि उन्हें खुद पर विश्वास आ चुका था।[2]
एशियाई खेलों में सफलता
जकार्ता 2018 में फवाद मिर्ज़ा 1982 के बाद से घुड़सवारी स्पर्धा में एशियाई खेलों में व्यक्तिगत पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने। इससे पहले रघुबीर सिंह ने नई दिल्ली में 1982 के एशियाई खेलों में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता था। फवाद मिर्ज़ा ने 26.40 के जम्पिंग स्कोर के साथ रजत पदक जीता, जबकि जापान के ओइवा योशियाकी ने 22.70 के स्कोर के साथ स्वर्ण पदक जीता। चीन की हुआ तियान एलेक्स ने 27.10 के स्कोर के साथ कांस्य पदक अपने नाम किया था। वह राकेश कुमार, आशीष मलिक और जितेंद्र सिंह के साथ भारतीय टीम का भी हिस्सा थे, जिन्होंने 121.30 के स्कोर के साथ रजत पदक जीता था।
ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक, 2020
2 अगस्त, 2021 को घुड़सवारी के इंडिविजुअल जम्पिंग के टूर्नामेंट में फवाद मिर्ज़ा ने अपने घोड़े मेडिकॉट के साथ फाइनल में सभी राउंड के खत्म होने पर ड्रेसेज, क्रॉस कंट्री, जम्पिंग क्वालिफायर और जम्पिंग फाइनल को पार करते हुए 59.60 पेनाल्टी अंक हासिल किये और 23वें पायदान पर खत्म किया। इससे पहले सेमीफाइनल मैच में फवाद मिर्ज़ा ने 25वें पायदान पर रहते फाइनल के लिये क्वालिफाई किया और डेब्यू सीजन में ओलंपिक के फाइनल तक पहुंचने वाले पहले घुड़सवार बने। फाइनल मैच में जर्मनी के जुलिया क्रजेवस्की ने अपने घोड़े अमांडे डे ब निवेल के साथ 26.00 पेनाल्टी स्कोर कर गोल्ड मेडल जीता और ओंलपिक के इतिहास में गोल्ड हासिल करने वाली पहली महिला घुड़सवार बनी।
वहीं पर ग्रेट ब्रिटेन के टॉम मैक्वेन ने अपने घोड़े टोलेडो डि कर्सेर के साथ सिल्वर और ऑस्ट्रेलिया के एंड्रयू हॉय ने अपने घोड़े वसिलि डे लॉसेस के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीता। गौरतलब है कि फवाद मिर्ज़ा भारत की ओर से ओलंपिक का हिस्सा बनने वाले तीसरे घुड़सवार हैं। उनसे पहले 1996 में इंद्रजीत लांबा और इम्तिया अनीस ने 2000 ओलंपिक्स की घुड़सवारी प्रतिस्पर्धा में भाग लिया था। फवाद मिर्ज़ा ने अपने ओलंपिक के फाइनल मैच का आगाज बाजी कोइन इक्वीस्ट्रीयन पार्क में शानदार प्रदर्शन के साथ किया और 9वें पायदान पर रहे। हालांकि सी फॉरेस्ट कंट्री कोर्स में खेले गये क्रॉस कंट्री राउंड में उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ा जिसके चलते वह 22 वें पायदान पर खिसक गये। इस भारतीय घुड़सवार ने 63 देशों के खिलाड़ियों के बीच हुई इस प्रतिस्पर्धा के सेमीफाइनल मैच में 47.20 पेनाल्टी अंक हासिल करते हुए 25वां स्थान अपने नाम किया। फाइनल में पहुंचने के लिये सिर्फ टॉप 25 खिलाड़ियों को ही जगह दी गई थी।[3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ जानिए, कौन हैं टोक्यो 2020 का टिकट हासिल करने वाले भारतीय घुड़सवार फवाद मिर्ज़ा (हिंदी) olympics.com। अभिगमन तिथि: 14 अगस्त, 2021।
- ↑ अपने दम पर फवाद ने रचा इतिहास (हिंदी) hindi.news18.com। अभिगमन तिथि: 14 अगस्त, 2021।
- ↑ पदक नहीं मिला तो क्या फवाद मिर्ज़ा ने जीता दिल (हिंदी) hindi.mykhel.com। अभिगमन तिथि: 14 अगस्त, 2021।