"चमचारथी -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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अधिकारी और कर्मचारी सब कुछ 'ठीक-ठाक' करने में जुट गए। पत्रकार 'सॅट' कर दिए गए। धरने प्रदर्शन करने वाले महारथियों को 'संतुष्ट' कर दिया गया। शासक पार्टी के अध्यक्ष का भतीजा 'ऐडहॉक नियुक्ति' पा गया। महिला-समाज प्रतिनिधि मंडल सज-सँवर कर तैयार हो गया। | अधिकारी और कर्मचारी सब कुछ 'ठीक-ठाक' करने में जुट गए। पत्रकार 'सॅट' कर दिए गए। धरने प्रदर्शन करने वाले महारथियों को 'संतुष्ट' कर दिया गया। शासक पार्टी के अध्यक्ष का भतीजा 'ऐडहॉक नियुक्ति' पा गया। महिला-समाज प्रतिनिधि मंडल सज-सँवर कर तैयार हो गया। | ||
वंदनवार और स्वागतद्वार सजने लगे, माला और हार बनने लगे और अधिकारियों के साथ-साथ ठेकेदार भी सहमने लगे... फिर वी.आई.पी आ गए... | वंदनवार और स्वागतद्वार सजने लगे, माला और हार बनने लगे और अधिकारियों के साथ-साथ ठेकेदार भी सहमने लगे... फिर वी.आई.पी आ गए... | ||
"सर एक डेलीगेशन आपसे मिलना चाहता है।" | "सर एक डेलीगेशन आपसे मिलना चाहता है।" वी.आई.पी. के सचिव ने पूछा | ||
"बुलाओ" | "बुलाओ" वी.आई.पी. ने सचिव से कहा | ||
"नमस्कार सर ! सर ! हम आपके दादाजी पर रिसर्च कर रहे हैं रिसर्च पूरी हो चुकी है... | "नमस्कार सर ! सर ! हम आपके दादाजी पर रिसर्च कर रहे हैं रिसर्च पूरी हो चुकी है... | ||
"अच्छा ? क्या रिसर्च की है आपने ?" | "अच्छा ? क्या रिसर्च की है आपने ?" | ||
"सर आपके दादा जी एक महान समाज सेवी, दार्शनिक, विचारक थे। सादा जीवन उच्च विचार उनका मूल मंत्र था। बहुत महान व्यक्तित्व था उनका सर !" | "सर आपके दादा जी एक महान समाज सेवी, दार्शनिक, विचारक थे। सादा जीवन उच्च विचार उनका मूल मंत्र था। बहुत महान व्यक्तित्व था उनका सर !" | ||
"लेकिन मेरे मदर-फ़ादर ने कभी बताया नहीं दादाजी के बारे में...लगता है आपने काफ़ी रिसर्च की है, दादाजी पर" | "लेकिन मेरे मदर-फ़ादर ने कभी बताया नहीं दादाजी के बारे में...लगता है आपने काफ़ी रिसर्च की है, दादाजी पर" वी.आई.पी. के चेहरे पर मासूमियत का वह भाव था | ||
जो कि नागरिक अभिनंदन के समय 'अभिनंदित' होने वाले 'नागरिक महोदय', अपनी उस प्रशंसा के समय इस्तेमाल करते हैं, जो कि प्रत्येक नागरिक अभिनंदन में, एक पुराने और पिटे हुए रिवाज़ के चलते की जाती है। | जो कि नागरिक अभिनंदन के समय 'अभिनंदित' होने वाले 'नागरिक महोदय', अपनी उस प्रशंसा के समय इस्तेमाल करते हैं, जो कि प्रत्येक नागरिक अभिनंदन में, एक पुराने और पिटे हुए रिवाज़ के चलते की जाती है। | ||
"बड़े लोग कहाँ कुछ बताते हैं सर ! ये तो औरों को ही खोजना होता है... उनकी मूर्ति भी बन चुकी है..." | "बड़े लोग कहाँ कुछ बताते हैं सर ! ये तो औरों को ही खोजना होता है... उनकी मूर्ति भी बन चुकी है..." |
15:28, 17 जून 2012 का अवतरण
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