"चौकोर फ़ुटबॉल -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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"मैं शहरों और गाँवो में अपने व्यापार के कारण घूमता रहता हूँ... अक्सर रात में भी सफ़र करना पड़ता है… अगर ये पहलवान सफ़र में मेरे साथ रहेगा तो चोर-डाकुओं का ख़तरा नहीं रहेगा" सेठ ने मन ही मन सोचा और पहलवान को अपने साथ चलने को राज़ी कर लिया। | "मैं शहरों और गाँवो में अपने व्यापार के कारण घूमता रहता हूँ... अक्सर रात में भी सफ़र करना पड़ता है… अगर ये पहलवान सफ़र में मेरे साथ रहेगा तो चोर-डाकुओं का ख़तरा नहीं रहेगा" सेठ ने मन ही मन सोचा और पहलवान को अपने साथ चलने को राज़ी कर लिया। | ||
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{{दाँयाबक्सा|पाठ=तीन तरह के व्यक्ति होते हैं। पहले वे जो ज़रूरत को देखते हुए बिना कहे ही काम करते हैं, दूसरे वे जो कहने से काम कर देते हैं और तीसरे वे जो कहने से भी काम नहीं करते बल्कि उनको किसी परिस्थिति में फँसाकर ही काम 'कराया' जा सकता है। ये | {{दाँयाबक्सा|पाठ=तीन तरह के व्यक्ति होते हैं। पहले वे जो ज़रूरत को देखते हुए बिना कहे ही काम करते हैं, दूसरे वे जो कहने से काम कर देते हैं और तीसरे वे जो कहने से भी काम नहीं करते बल्कि उनको किसी परिस्थिति में फँसाकर ही काम 'कराया' जा सकता है। ये दुनिया जितनी भी तरक़्क़ी कर रही है वह पहली श्रेणी वाले लोगों के कारण कर रही है और दुनिया में व्यवस्था संभालने का ज़िम्मा उनका है जो दूसरी श्रेणी के लोग हैं, अब रह जाते हैं तीसरी श्रेणी के लोग... तो आप ख़ुद ही सोच सकते हैं कि वे किस श्रेणी में आते हैं। ये लोग होते हैं चौकोर फ़ुटबॉल।|विचारक=}} | ||
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छोटे पहलवान की तो मौज आ गई। अच्छा खाना-पीना मिलने लगा तो पहलवान की सेहत और अच्छी हो गई। सेठ भी बेखटके अपनी व्यापारिक यात्राएँ करने लगा। एक दिन शाम के झुटपुटे में सेठ की गाड़ी को कुछ लुटेरों ने घेर लिया और गाड़ी को लूट लिया। सेठ ने देखा कि इस पूरे हादसे में पहलवान कुछ नहीं बोला और एक तरफ़ जा कर बैठ गया। जब सेठ का सारा माल लूटकर और सेठ जी की अच्छी पिटाई करने के बाद वहाँ से चलने लगे तो सेठ ने लुटेरों को रोका और कहा- | छोटे पहलवान की तो मौज आ गई। अच्छा खाना-पीना मिलने लगा तो पहलवान की सेहत और अच्छी हो गई। सेठ भी बेखटके अपनी व्यापारिक यात्राएँ करने लगा। एक दिन शाम के झुटपुटे में सेठ की गाड़ी को कुछ लुटेरों ने घेर लिया और गाड़ी को लूट लिया। सेठ ने देखा कि इस पूरे हादसे में पहलवान कुछ नहीं बोला और एक तरफ़ जा कर बैठ गया। जब सेठ का सारा माल लूटकर और सेठ जी की अच्छी पिटाई करने के बाद वहाँ से चलने लगे तो सेठ ने लुटेरों को रोका और कहा- | ||
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पहले तो मैं पिटूँ... फिर लुटूँ... फिर एक हीरे की अँगूठी दूँ...फिर तुमको पिटवाऊँ... तब कहीं जाकर तुमको होश आएगा और तुम मुझे बचाओगे... तो भैया तुम अपने घर और हम अपने घर भले...। | पहले तो मैं पिटूँ... फिर लुटूँ... फिर एक हीरे की अँगूठी दूँ...फिर तुमको पिटवाऊँ... तब कहीं जाकर तुमको होश आएगा और तुम मुझे बचाओगे... तो भैया तुम अपने घर और हम अपने घर भले...। | ||
चलिए वापस चलते हैं- | चलिए वापस चलते हैं- | ||
तीन तरह के व्यक्ति होते हैं। पहले वे जो ज़रूरत को देखते हुए बिना कहे ही काम करते हैं, दूसरे वे जो कहने से काम कर देते हैं और तीसरे वे जो कहने से भी काम नहीं करते बल्कि उनको किसी परिस्थिति में फँसाकर ही काम 'कराया' जा सकता है। ये | तीन तरह के व्यक्ति होते हैं। पहले वे जो ज़रूरत को देखते हुए बिना कहे ही काम करते हैं, दूसरे वे जो कहने से काम कर देते हैं और तीसरे वे जो कहने से भी काम नहीं करते बल्कि उनको किसी परिस्थिति में फँसाकर ही काम 'कराया' जा सकता है। ये दुनिया जितनी भी तरक़्क़ी कर रही है वह पहली श्रेणी वाले लोगों के कारण कर रही है और दुनिया में व्यवस्था संभालने का ज़िम्मा उनका है जो दूसरी श्रेणी के लोग हैं, अब रह जाते हैं तीसरी श्रेणी के लोग... तो आप ख़ुद ही सोच सकते हैं कि वे किस श्रेणी में आते हैं। ये लोग होते हैं चौकोर फ़ुटबॉल। जितना लात मारोगे उतना ही सरकेगी; गोल फ़ुटबॉल की तरह नहीं कि एक किक लगाते ही ये जा-वो जा... | ||
सार्वजनिक क्षेत्र में किस तरह से काम होता है यह तो आप जानते ही हैं। डाकखाना, बिजलीघर, सरकारी अस्पताल आदि में चले जायें तो लगता है जैसे दुनिया रुक सी गई है। निजी क्षेत्र में भी जिन्होंने अनुभव किए हैं वे काफ़ी दिलचस्प हैं। किसी भी प्रतिष्ठान में 10 में से 2 व्यक्ति ही कर्मठ होते हैं। ये दो व्यक्ति वे होते हैं जिनके बल पर कम्पनियाँ प्रगति करती हैं, विकास करती हैं। | सार्वजनिक क्षेत्र में किस तरह से काम होता है यह तो आप जानते ही हैं। डाकखाना, बिजलीघर, सरकारी अस्पताल आदि में चले जायें तो लगता है जैसे दुनिया रुक सी गई है। निजी क्षेत्र में भी जिन्होंने अनुभव किए हैं वे काफ़ी दिलचस्प हैं। किसी भी प्रतिष्ठान में 10 में से 2 व्यक्ति ही कर्मठ होते हैं। ये दो व्यक्ति वे होते हैं जिनके बल पर कम्पनियाँ प्रगति करती हैं, विकास करती हैं। | ||
;काम के बारे में कुछ मशहूर हस्तियों के उद्धरण- | ;काम के बारे में कुछ मशहूर हस्तियों के उद्धरण- |
14:56, 22 सितम्बर 2012 का अवतरण
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