"जश्न मनाया जाय -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
आदित्य चौधरी (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 23: | पंक्ति 23: | ||
मेरे वो ख़ाब में ना आएँ बस इसी के लिए | मेरे वो ख़ाब में ना आएँ बस इसी के लिए | ||
ताउम्र मुझे अब न सुलाया | ताउम्र मुझे अब न सुलाया जाय | ||
कभी सुकून से गुज़रा था जहाँ वक़्त मेरा | कभी सुकून से गुज़रा था जहाँ वक़्त मेरा | ||
उसी जगह मुझे हर रोज़ रुलाया | उसी जगह मुझे हर रोज़ रुलाया जाय | ||
क़ब्र मेरी हो, जिस पे उनका लिखा पत्थर हो | क़ब्र मेरी हो, जिस पे उनका लिखा पत्थर हो | ||
उन्ही का ज़िक्र हो जब मेरा जनाज़ा | उन्ही का ज़िक्र हो जब मेरा जनाज़ा जाय | ||
</poem> | </poem> | ||
| style="width:30%"| | | style="width:30%"| |
04:43, 24 फ़रवरी 2013 का अवतरण
जश्न मनाया जाय -आदित्य चौधरी
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ