"अहम का वहम -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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आइए इस पर चर्चा करते हैं... | आइए इस पर चर्चा करते हैं... | ||
इन तीनों की कम से कम एक बात ऐसी है जिसे लगभग सभी जानते हैं- | इन तीनों की कम से कम एक बात ऐसी है जिसे लगभग सभी जानते हैं- | ||
धीरूभाई अंबानी अक्सर कहा करते थे "मुझे किसी भी सरकारी व्यक्ति का अभिवादन करने में कोई संकोच नहीं है और मुझे इस बात से कोई | धीरूभाई अंबानी अक्सर कहा करते थे "मुझे किसी भी सरकारी व्यक्ति का अभिवादन करने में कोई संकोच नहीं है और मुझे इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि उसका पद क्या है, भले ही वह चपरासी ही क्यों न हो।" | ||
नारायण मूर्ति ने इंफ़ोसिस में सभी कर्मचारियों को निवेशक के रूप में हिस्सेदार बना लिया। बताया जाता है कि उनके वाहन चालक को भी इंफ़ोसिस में निवेशक होने का गर्व था। | नारायण मूर्ति ने इंफ़ोसिस में सभी कर्मचारियों को निवेशक के रूप में हिस्सेदार बना लिया। बताया जाता है कि उनके वाहन चालक को भी इंफ़ोसिस में निवेशक होने का गर्व था। | ||
सुब्रतो राय ने अधिकतर ऐसे समय में प्रसिद्ध लोगों की आर्थिक सहायता की जब वे किसी न किसी कारण संकटग्रस्त थे। वे सभी व्यक्ति हमेशा के लिए सुब्रतो राय के समर्थक हो गए | सुब्रतो राय ने अधिकतर ऐसे समय में प्रसिद्ध लोगों की आर्थिक सहायता की जब वे किसी न किसी कारण संकटग्रस्त थे। वे सभी व्यक्ति हमेशा के लिए सुब्रतो राय के समर्थक हो गए |
13:18, 2 सितम्बर 2013 का अवतरण
अहम का वहम -आदित्य चौधरी कहते हैं कि बादशाह अकबर वृन्दावन में स्वामी हरिदास के दर्शन करने संगीत सम्राट तानसेन के साथ आया था। स्वामी जी के मुख से यमुना की महिमा सुनकर अकबर की इच्छा यमुना पूजन करने की हुई। सभी पंडे पुजारी जानते थे कि जो भी अकबर को यमुना पूजन करवाएगा उसे अकबर बहुत बड़ा इनाम देगा। सभी में होड़ लगी थी कि कौन कराएगा पूजन ! |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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