"मर गए होते -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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अब दुश्मनी के तौर बता कर गए होते<ref>तौर = शैली, आचरण, व्यवहार, रंगढंग </ref> | अब दुश्मनी के तौर बता कर गए होते<ref>तौर = शैली, आचरण, व्यवहार, रंगढंग </ref> | ||
'बंदा' नहीं है मुंतज़िर अब रहमतों का यार<ref>मुंतज़िर = इंतज़ार या प्रतीक्षा करने वाला</ref><ref>रहमत = दया, कृपा, करुणा, तरस</ref> | 'बंदा' नहीं है मुंतज़िर अब रहमतों का यार<ref>मुंतज़िर = इंतज़ार या प्रतीक्षा करने वाला</ref><ref>रहमत = दया, कृपा, करुणा, तरस</ref> | ||
ताकीद हर एक दोस्त को हम कर गये होते<ref>ताकीद = कोई बात ज़ोर देकर कहना, किसी बात का करने या न करने का हुक्म देना</ref> | |||
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09:09, 5 दिसम्बर 2013 का अवतरण
मर गए होते -आदित्य चौधरी
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मुफ़लिसी = दरिद्रता, ग़रीबी, फ़कीरी
- ↑ आसाइश = सुख, चैन, आराम, समृद्धि, खुशहाली
- ↑ बज़्म = सभा, महफिल
- ↑ माज़ूर = जिसे किसी श्रम या सेवा का फल दिया गया हो, प्रतिफलित
- ↑ पास = रक्षा, हिफ़ाज़त, निगरानी, लिहाज़
- ↑ तौर = शैली, आचरण, व्यवहार, रंगढंग
- ↑ मुंतज़िर = इंतज़ार या प्रतीक्षा करने वाला
- ↑ रहमत = दया, कृपा, करुणा, तरस
- ↑ ताकीद = कोई बात ज़ोर देकर कहना, किसी बात का करने या न करने का हुक्म देना