"ये दास्तान कुछ ऐसी है -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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लिखने के लिए काग़ज़ कम थे | लिखने के लिए काग़ज़ कम थे | ||
जब आँख अचानक भर आई | |||
रोने के लिए कोने कम थे | रोने के लिए कोने कम थे | ||
अब सुकूं आख़री ढूंढ लिया | |||
अर्थी के लिए कांधे कम थे | अर्थी के लिए कांधे कम थे | ||
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13:38, 5 दिसम्बर 2013 के समय का अवतरण
![]() ये दास्तान कुछ ऐसी है -आदित्य चौधरी
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टीका टिप्पणी और संदर्भ