"दिल को ही सुनाने दो -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर

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गर जो गुमनाम हैं गुमनाम ही मर जाने दो  
गर जो गुमनाम हैं, गुमनाम ही मर जाने दो  
अब तो कोई और करो बात चलो जाने दो
अब तो कोई और करो बात, इसे जाने दो  
 
           दिल की सुनते हैं, जीते हैं अपनी शर्तों पे  
           दिल की सुनते हैं, जीते हैं अपनी शर्तों पे  
           शौक़ ए शौहरत है जिसे उसे ही कमाने दो  
           शौक़ ए शौहरत है जिसे, उसे ही कमाने दो  


बात बन जाएगी कोई दिल जो हमें चाहेगा
बात बन जाएगी कोई दिल जो हमें चाहेगा  
जो भी अपना है उसे पास तो बुलाने दो  
जो भी अपना है उसे पास तो बुलाने दो  


           चंद तनहाई भरे लम्हे अपनी दौलत है
           चंद तनहाई भरे लम्हे, अपनी दौलत है  
           अब किसी यार से मिल के इसे लुटाने दो  
           अब किसी यार से मिल के इसे लुटाने दो  


ख़ुद ही कहते हैं ख़ुद से, ख़ुद ही सुनते हैं
कहते हैं ख़ुद से, ख़ुद ही सुन भी लेते हैं  
दिल के नग़्में हैं इन्हें दिल को ही सुनाने दो
दिल के नग़्में हैं इन्हें दिल को ही सुनाने दो  


           एक तो इश्क़ है, दूजा है ग़म जुदाई का  
           एक तो इश्क़ है, दूजा है ग़म जुदाई का  
           और कोई बात नहीं यही हैं फ़साने दो
           और कोई बात नहीं यही हैं फ़साने दो  


किसी का तोड़ के दिल चैन कहाँ मिलता है
किसी का तोड़ के दिल चैन कहाँ मिलता है  
प्यार से मौत भी आए तो उसे आने दो
प्यार से मौत भी आए तो उसे आने दो
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14:39, 3 जुलाई 2014 का अवतरण

दिल को ही सुनाने दो -आदित्य चौधरी

गर जो गुमनाम हैं, गुमनाम ही मर जाने दो
अब तो कोई और करो बात, इसे जाने दो

          दिल की सुनते हैं, जीते हैं अपनी शर्तों पे
          शौक़ ए शौहरत है जिसे, उसे ही कमाने दो

बात बन जाएगी कोई दिल जो हमें चाहेगा
जो भी अपना है उसे पास तो बुलाने दो

          चंद तनहाई भरे लम्हे, अपनी दौलत है
          अब किसी यार से मिल के इसे लुटाने दो

कहते हैं ख़ुद से, ख़ुद ही सुन भी लेते हैं
दिल के नग़्में हैं इन्हें दिल को ही सुनाने दो

          एक तो इश्क़ है, दूजा है ग़म जुदाई का
          और कोई बात नहीं यही हैं फ़साने दो

किसी का तोड़ के दिल चैन कहाँ मिलता है
प्यार से मौत भी आए तो उसे आने दो