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14:09, 7 दिसम्बर 2014 का अवतरण
भक्तिमार्ग के सिद्धान्तानुसार भक्त उसे कहा जाता है, जिसने ईश्वर के भजन में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया हो। साधारण आत्माओं को चार भागों में विभक्त किया गया है -
- बद्ध - जो इस जीवन की समस्याओं से बँधा है।
- मुमुक्षु - जिसमें मुक्ति की चेतना जागृत हो, किन्तु उसके योग्य अभी नहीं है।
- भक्त अथवा केवली - जो मात्र ईश्वर की उपासना में ही लीन हो, पवित्र हृदय हो और जो भक्ति गुण के कारण मुक्ति के मार्ग पर चल रहा हो और
- मुक्त - जो भगवन - पद को प्राप्त कर चुका हो।
शाब्दिक अर्थ
हिन्दी | बाँटा हुआ, विभाजित, (किसी के प्रति) श्रद्धा तथा अनुराग से युक्त, भक्ति-भाव, अलग या पृथक किया हुआ, किसी का पक्ष लेनेवाला, अनुगामी, अनुयायी, किसी पर भक्ति और श्रद्धा रखनेवाला, पका हुआ चावल, धन, वह जो श्रद्धापूर्वक किसी को उपासना या पूजा करता या किसी पर पूरी निष्ठा रखता हो, वह जो धार्मिक दृष्टि से मांस-मछली खाना पाप समझता हो। |
-व्याकरण | विशेषण, पुल्लिंग |
-उदाहरण | रामायण में हनुमान को बहुत बड़ा राम भक्त बताया गया है। |
-विशेष | |
-विलोम | |
-पर्यायवाची | अनुचर, अनुपालक, अनुयायी, पंथी, हामी, समर्थक, श्रपितम श्रित, भात। |
संस्कृत | भज्+क्त |
अन्य ग्रंथ | |
संबंधित शब्द | |
संबंधित लेख |
अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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