"भूली-बिसरी कड़ियों का भारत -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
आदित्य चौधरी (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 67: | पंक्ति 67: | ||
<poem> | <poem> | ||
मध्यकाल में विदेशी मुस्लिम शासन में लड़कियों की सुरक्षा को लेकर उनका विवाह अत्यधिक कम उम्र में होने लगा और शिक्षा ख़त्म होती चली गई। मध्यकाल ने ही नहीं बल्कि अंग्रेज़ी शासन ने भी भारत में शिक्षा को समाप्त करने के पूरे उपाय किए। अंग्रेज़ों द्वारा, यूरोपीय शिक्षा प्रणाली तो लागू कर दी गई लेकिन बजट मात्र 1.7% ही रखा गया। याने विश्व भर में सबसे कम। | मध्यकाल में विदेशी मुस्लिम शासन में लड़कियों की सुरक्षा को लेकर उनका विवाह अत्यधिक कम उम्र में होने लगा और शिक्षा ख़त्म होती चली गई। मध्यकाल ने ही नहीं बल्कि अंग्रेज़ी शासन ने भी भारत में शिक्षा को समाप्त करने के पूरे उपाय किए। अंग्रेज़ों द्वारा, यूरोपीय शिक्षा प्रणाली तो लागू कर दी गई लेकिन बजट मात्र 1.7% ही रखा गया। याने विश्व भर में सबसे कम। | ||
आइए भारत के खेतों में घूम कर पुरवाई का आनंद लें, लेकिन ये क्या हो रहा है ? नील की खेती को अंग्रेज़ों ने हथिया लिया, बुनकर मज़दूरों के अंगूठे कटवा दिए। क्लाइव ने ऐसा क्यों करवाया, सिर्फ़ अंग्रेज़ी कपड़े को भारत में बेचने के लिए ? भारत ने तो कभी किसी के साथ ऐसा नहीं किया। ये सब तो हुआ ही लेकिन ये लगान ? 50 प्रतिशत लगान ? कौन दे पाएगा इतना लगान ? इस जानकारी के लिए शायद आश्चर्य बहुत छोटा शब्द है। इसका नतीजा क्या हुआ और यह लगान कैसे वसूल हुआ होगा इसके लिए, हिन्दी ग्रंथमाला में राष्ट्रकवि [[मैथिलीशरण गुप्त]] का लिखा हुआ पढ़ना चाहिए, वे लिखते हैं “कुल दुनिया की लड़ाइयों में सौ वर्षों के अन्दर (सन् 1793 से सन् 1900 तक) सिर्फ़ पचास लाख आदमी मारे गए थे, पर हमारे हिन्दुस्तान के केवल दस वर्ष में (1891 से 1901 तक), भूख, अकाल, के मारे एक करोड़ नब्बे लाख मनुष्यों ने प्राण त्याग दिए। | आइए भारत के खेतों में घूम कर पुरवाई का आनंद लें, लेकिन ये क्या हो रहा है ? नील की खेती को अंग्रेज़ों ने हथिया लिया, बुनकर मज़दूरों के अंगूठे कटवा दिए। क्लाइव ने ऐसा क्यों करवाया, सिर्फ़ अंग्रेज़ी कपड़े को भारत में बेचने के लिए ? भारत ने तो कभी किसी के साथ ऐसा नहीं किया। ये सब तो हुआ ही लेकिन ये लगान ? 50 प्रतिशत लगान ? कौन दे पाएगा इतना लगान ? इस जानकारी के लिए शायद आश्चर्य बहुत छोटा शब्द है। इसका नतीजा क्या हुआ और यह लगान कैसे वसूल हुआ होगा इसके लिए, हिन्दी ग्रंथमाला में राष्ट्रकवि [[मैथिलीशरण गुप्त]] का लिखा हुआ पढ़ना चाहिए, वे लिखते हैं “कुल दुनिया की लड़ाइयों में सौ वर्षों के अन्दर (सन् 1793 से सन् 1900 तक) सिर्फ़ पचास लाख आदमी मारे गए थे, पर हमारे हिन्दुस्तान के केवल दस वर्ष में (1891 से 1901 तक), भूख, अकाल, के मारे एक करोड़ नब्बे लाख मनुष्यों ने प्राण त्याग दिए।" | ||
अंग्रेज़ों ने लगान 10, 15, 25 आदि से बढ़ा कर 50 प्रतिशत कर दिया। साथ ही दस वर्षों की फ़सल के मूल्य का औसत लगा कर लगान को फ़सल में हिस्से की बजाय रुपयों में निश्चित कर दिया। अब हालत यह हो गई कि फ़सल के सस्ते होने पर भी किसान को पूर्व निश्चित लगान ही देना होता था, जो भुखमरी और अकाल मृत्यु का कारण बना। इन विषयों पर और अधिक जानने के लिए श्री धर्मपाल जी की पुस्तक ‘भारत की पहचान’ पढ़ें। | अंग्रेज़ों ने लगान 10, 15, 25 आदि से बढ़ा कर 50 प्रतिशत कर दिया। साथ ही दस वर्षों की फ़सल के मूल्य का औसत लगा कर लगान को फ़सल में हिस्से की बजाय रुपयों में निश्चित कर दिया। अब हालत यह हो गई कि फ़सल के सस्ते होने पर भी किसान को पूर्व निश्चित लगान ही देना होता था, जो भुखमरी और अकाल मृत्यु का कारण बना। इन विषयों पर और अधिक जानने के लिए श्री धर्मपाल जी की पुस्तक ‘भारत की पहचान’ पढ़ें। | ||
01:09, 18 जनवरी 2015 का अवतरण
भूली-बिसरी कड़ियों का भारत -आदित्य चौधरी भारत की संस्कृति, विज्ञान और इतिहास की, कब कहाँ और कौन सी कड़ी खोई हुई है, इसकी चर्चा इस लेख में कर रहा हूँ।
भारत में पुत्री के विवाह की उम्र का शिक्षा पर सीधा असर रहा है।
मध्यकाल में विदेशी मुस्लिम शासन में लड़कियों की सुरक्षा को लेकर उनका विवाह अत्यधिक कम उम्र में होने लगा और शिक्षा ख़त्म होती चली गई। मध्यकाल ने ही नहीं बल्कि अंग्रेज़ी शासन ने भी भारत में शिक्षा को समाप्त करने के पूरे उपाय किए। अंग्रेज़ों द्वारा, यूरोपीय शिक्षा प्रणाली तो लागू कर दी गई लेकिन बजट मात्र 1.7% ही रखा गया। याने विश्व भर में सबसे कम। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
पिछले सम्पादकीय