"दिलों के टूट जाने की -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) छो ("दिलों के टूट जाने की -आदित्य चौधरी" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (अनिश्चित्त अवधि) [move=sysop] (अनिश्चित्त अवध�) |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 9: | पंक्ति 9: | ||
| style="width:35%"| | | style="width:35%"| | ||
| style="width:35%"| | | style="width:35%"| | ||
<poem | <poem> | ||
नहीं आवाज़ होती है, दिलों के टूट जाने की | नहीं आवाज़ होती है, दिलों के टूट जाने की | ||
ज़रूरत क्या है फिर तुमको, इसे सुनने-सुनाने की | ज़रूरत क्या है फिर तुमको, इसे सुनने-सुनाने की | ||
पंक्ति 24: | पंक्ति 24: | ||
हज़ारों ख़्वाइशों को छोड़ के तुमको ही चाहा था | हज़ारों ख़्वाइशों को छोड़ के तुमको ही चाहा था | ||
तुम्हें बेचौनियां रहती हैं अब सारे ज़माने की | तुम्हें बेचौनियां रहती हैं अब सारे ज़माने की | ||
</poem> | </poem> | ||
| style="width:30%"| | | style="width:30%"| |
13:12, 18 फ़रवरी 2015 का अवतरण
दिलों के टूट जाने की -आदित्य चौधरी
|