"कुछ तो कह जाते -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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आप किसी रजवाड़े से सम्बन्धित हों, किसी महाराजाधिराज के साले-जीजा हों तो वैसे ही आपकी जय-जयकार होगी, आराम से नेता बन जायेंगे। राजा नहीं तो बहुत बड़े रिटायर्ड अधिकारी हों। | आप किसी रजवाड़े से सम्बन्धित हों, किसी महाराजाधिराज के साले-जीजा हों तो वैसे ही आपकी जय-जयकार होगी, आराम से नेता बन जायेंगे। राजा नहीं तो बहुत बड़े रिटायर्ड अधिकारी हों। | ||
या फिर | या फिर | ||
किसी नेता के दूर के या पास के रिश्तेदार हों, फिर तो जनता यूं ही आपको नेता मान लेगी। अगर कोई नेता रिश्तेदार नहीं भी हुआ तो किसी साधु- | किसी नेता के दूर के या पास के रिश्तेदार हों, फिर तो जनता यूं ही आपको नेता मान लेगी। अगर कोई नेता रिश्तेदार नहीं भी हुआ तो किसी साधु-सन्न्यासी के चेले बनने की कला आती हो। साधु-सन्न्यासी ऐसा हो जिसके हज़ारों चेले हों। आजकल इस लाइन में बड़ा स्कोप है। | ||
या फिर | या फिर | ||
आप घरेलू कामों में एक्सपर्ट हों। जैसे - खाना बनाना, बर्तन मांजना, बच्चे खिलाना, कपड़े धोना, मालिश करना, जिससे कि आपको किसी बड़े नेता के घर पर रखवा दिया जाए और वह नेता आपसे खुश हो जाये। कुछ नेता ऐसे भी हैं, जो इसी रास्ते को अपना कर नेता बने हैं। | आप घरेलू कामों में एक्सपर्ट हों। जैसे - खाना बनाना, बर्तन मांजना, बच्चे खिलाना, कपड़े धोना, मालिश करना, जिससे कि आपको किसी बड़े नेता के घर पर रखवा दिया जाए और वह नेता आपसे खुश हो जाये। कुछ नेता ऐसे भी हैं, जो इसी रास्ते को अपना कर नेता बने हैं। |
13:53, 2 मई 2015 का अवतरण
![]() कुछ तो कह जाते -आदित्य चौधरी ![]() "हम नेता बनना चाहते हैं।" छोटे पहलवान ने अपनी पहचान वाले एक नेता जी से सकुचाने का हास्यास्पद उपक्रम करते हुए कहा।
अगर इतनी लम्बी लिस्ट में से, कुछ भी ऐसा नहीं है, जो कि आप कर सकते हों तो आप नेता नहीं बन सकते।"
स्वामी विवेकानंद का एक संस्मरण देखिए- |
टीका टिप्पणी और संदर्भ