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'''सीमा पुनिया''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Seema Punia'', जन्म- [[27 जुलाई]], [[1983]]) भारतीय महिला चक्का फेंक (डिस्कस थ्रोअर) एथलीट हैं। ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक, 2020 (टोक्यो) के पूल ए में वह 60.57 के थ्रो के साथ छठे स्थान पर रहीं। उन्होंने [[2006]] के मेलबर्न कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीतकर पूरे देश को गौरवान्वित किया था। उन्होंने [[2010]] दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में भी कांस्य पदक जीता था। | {{सूचना बक्सा खिलाड़ी | ||
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[[हरियाणा]] के सोनीपत जिले के खेवड़ा नामक एक छोटे से गाँव में सीमा अंतिल के रूप में जन्मी सीमा पुनिया हमेशा से जानती थीं कि वह एथलेटिक्स के लिए हैं। उनकी खेल पारिवारिक पृष्ठभूमि ने भी इस निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसके दोनों भाई, अमितपाल और आनंदपन, खेल में हैं। अमित एक [[हॉकी]] खिलाड़ी है और आनंद एक पहलवान है। जब सीमा पुनिया 11 साल की थीं, तब अपने खेल करियर की शुरुआत एक हर्डलर और लॉन्ग-जम्पर के रूप में की थी। बाद में डिस्कस थ्रो का प्रयास करने का फैसला किया और महसूस किया कि वह इसमें कितनी अच्छी थीं। उनकी प्रतिभा कई अंतर-राज्यीय बैठकों में दिखाई देती थी।<ref name="pp">{{cite web |url=https://www.kreedon.com/hi/seema-punia-biography/?amp |title=सीमा पुनिया जीवनी|accessmonthday=19 अगस्त|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=kreedon.com |language=हिंदी}}</ref> | [[हरियाणा]] के सोनीपत जिले के खेवड़ा नामक एक छोटे से गाँव में सीमा अंतिल के रूप में जन्मी सीमा पुनिया हमेशा से जानती थीं कि वह एथलेटिक्स के लिए हैं। उनकी खेल पारिवारिक पृष्ठभूमि ने भी इस निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसके दोनों भाई, अमितपाल और आनंदपन, खेल में हैं। अमित एक [[हॉकी]] खिलाड़ी है और आनंद एक पहलवान है। जब सीमा पुनिया 11 साल की थीं, तब अपने खेल करियर की शुरुआत एक हर्डलर और लॉन्ग-जम्पर के रूप में की थी। बाद में डिस्कस थ्रो का प्रयास करने का फैसला किया और महसूस किया कि वह इसमें कितनी अच्छी थीं। उनकी प्रतिभा कई अंतर-राज्यीय बैठकों में दिखाई देती थी।<ref name="pp">{{cite web |url=https://www.kreedon.com/hi/seema-punia-biography/?amp |title=सीमा पुनिया जीवनी|accessmonthday=19 अगस्त|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=kreedon.com |language=हिंदी}}</ref> |
12:25, 19 अगस्त 2021 के समय का अवतरण
सीमा पुनिया
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पूरा नाम | सीमा पुनिया |
जन्म | 27 जुलाई, 1983 |
जन्म भूमि | खेवड़ा, ज़िला सोनीपत, हरियाणा |
पति/पत्नी | अंकुश पुनिया |
कर्म भूमि | भारत |
खेल-क्षेत्र | चक्का फेंक (डिस्कस थ्रो) |
प्रसिद्धि | भारतीय चक्का फेंक खिलाड़ी |
नागरिकता | भारतीय |
क़द | 5 फीट 11 इंच |
अन्य जानकारी | सीमा पुनिया ने 2006 के मेलबर्न कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीतकर पूरे देश को गौरवान्वित किया था। |
अद्यतन | 17:55, 19 अगस्त 2021 (IST)
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सीमा पुनिया (अंग्रेज़ी: Seema Punia, जन्म- 27 जुलाई, 1983) भारतीय महिला चक्का फेंक (डिस्कस थ्रोअर) एथलीट हैं। ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक, 2020 (टोक्यो) के पूल ए में वह 60.57 के थ्रो के साथ छठे स्थान पर रहीं। उन्होंने 2006 के मेलबर्न कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीतकर पूरे देश को गौरवान्वित किया था। उन्होंने 2010 दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में भी कांस्य पदक जीता था।
परिचय
हरियाणा के सोनीपत जिले के खेवड़ा नामक एक छोटे से गाँव में सीमा अंतिल के रूप में जन्मी सीमा पुनिया हमेशा से जानती थीं कि वह एथलेटिक्स के लिए हैं। उनकी खेल पारिवारिक पृष्ठभूमि ने भी इस निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसके दोनों भाई, अमितपाल और आनंदपन, खेल में हैं। अमित एक हॉकी खिलाड़ी है और आनंद एक पहलवान है। जब सीमा पुनिया 11 साल की थीं, तब अपने खेल करियर की शुरुआत एक हर्डलर और लॉन्ग-जम्पर के रूप में की थी। बाद में डिस्कस थ्रो का प्रयास करने का फैसला किया और महसूस किया कि वह इसमें कितनी अच्छी थीं। उनकी प्रतिभा कई अंतर-राज्यीय बैठकों में दिखाई देती थी।[1]
कॉलेज में सीमा पुनिया ने 57.30 मीटर के थ्रो के साथ राष्ट्रीय चैम्पियनशिप जीती। जल्द ही सीनियर-स्तरीय चैंपियनशिप भी जीतना शुरू कर दिया। सीमा ने 2006 के मेलबर्न कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीतकर पूरे देश को गौरवान्वित किया था। उन्होंने 2010 दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में भी कांस्य पदक जीता था।
विवाह
सीमा पुनिया ने अपने कोच अंकुश पुनिया के रूप में अपना जीवन साथी पाया। उत्तर प्रदेश के मेरठ के रहने वाले अंकुश पूर्व डिस्कस थ्रोअर हैं। उन्होंने 2004 एथेंस ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया था। यह जोड़ा फ़रवरी 2011 में हरियाणा के सोनीपत में शादी के बंधन में बंध गया। अंकुश ने सीमा के करियर में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने अपनी तकनीकों को बेहतर बनाने में उनकी काफी मदद की।
डोपिंग विवाद
सीमा पुनिया अपने करियर में दो बार डोपिंग विवादों में घिरी रहीं। पहली बार वर्ष 2000 में। उनका स्यूडोएफ़ेड्रिन के लिए सकारात्मक परीक्षण आया था और 2000 विश्व जूनियर चैंपियनशिप में जीता हुआ स्वर्ण हारकर समाप्त हुआ। सीमा ने बस अपनी सर्दी के लिए दवा ली थी। उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि उसमें प्रतिबंधित पदार्थ है। उन्हें एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एएफआई) से चेतावनी मिली, क्योंकि यह एक ईमानदार गलती थी। डोपिंग के साथ उनके दूसरे मामले ने मीडिया का बहुत ध्यान आकर्षित किया, क्योंकि उन्होंने 2006 के एशियाई खेलों में भाग नहीं लिया था। हालांकि बाद में उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया।[1]
सीमा ने अपने पिता की बीमारी और अभ्यास की कमी के कारण अपने संवेदनशील दिमाग को भाग नहीं लेने के कारणों के रूप में उद्धृत किया। उन्होंने कहा, 'प्रशिक्षण के दौरान अपने मौजूदा प्रदर्शन और परिस्थितियों को देखते हुए मैं एशियाई खेलों में अच्छा प्रदर्शन करने की स्थिति में नहीं हूं। इसलिए, मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि मुझे खेलों को छोड़ने की अनुमति दें।" एएफआई ने सीमा पुनिया के खिलाफ सभी डोपिंग आरोपों को साफ कर दिया था और सुनवाई के बाद पैनल ने उन्हें निर्दोष घोषित कर दिया था।
ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक, 2020
भारत की कमलप्रीत कौर ने 64 मीटर के थ्रो के साथ क्वालिफिकेशन दौर में दूसरे स्थान पर रहकर टोक्यो ओलंपिक में महिलाओं की चक्काफेंक (डिस्कस थ्रो) स्पर्धा के फाइनल में जगह बना ली. अनुभवी सीमा पूनिया चूक गईं. कमलप्रीत ने अपने तीसरे प्रयास में 64 मीटर का थ्रो फेंका जो क्वालिफिकेशन मार्क भी था. क्वालिफिकेशन में शीर्ष रहने वाली अमेरिका की वालारी आलमैन के अलावा वह 64 मीटर या अधिक का थ्रो लगाने वाली अकेली खिलाड़ी रहीं . दोनों पूल में 31 खिलाड़ियों में से 64 मीटर का मार्क पार करने वाले या शीर्ष 12 ने क्वालिफाई किया. सीमा पूनिया पूल ए में 60.57 के थ्रो के साथ छठे स्थान पर रहीं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2
सीमा पुनिया जीवनी (हिंदी) kreedon.com। अभिगमन तिथि: 19 अगस्त, 2021। सन्दर्भ त्रुटि:
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अमान्य टैग है; "pp" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है