नहीं थी बात कोई भी जिसे कि भूले हम
रही हो याद कोई भी हमें तो याद नहीं
कुछ इस तरहा गुज़री ये ज़िन्दगी अपनी
जिया हो लम्हा कोई भी हमें तो याद नहीं
हरेक चोट पे मरहम लगा के देख लिया
भरा हो ज़ख़्म कोई भी हमें तो याद नहीं
पिलाई हमको गई, नहीं किसी से कम
हुआ हो हमको नशा भी हमें तो याद नहीं
मिले थे लोग बहुत, चले थे साथ कई
बना हो दोस्त कोई भी हमें तो याद नहीं