मीराबाई चानू
मीराबाई चानू
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पूरा नाम | साइखोम मीराबाई चानू |
जन्म | 8 अगस्त, 1994 |
जन्म भूमि | नोंगपोक काकचिंग गांव, इम्फाल, मणिपुर |
अभिभावक | पिता- साइखोम कृति मैटाई माता- साइखोम ओंगबी तोम्बी लीमा |
कर्म भूमि | भारत |
खेल-क्षेत्र | भारोत्तोलन (वेटलिफ़्टिंग) |
शिक्षा | स्नातक |
पुरस्कार-उपाधि | राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार (2018), पद्म श्री (2018) |
प्रसिद्धि | भारतीय महिला वेटलिफ़्टर |
नागरिकता | भारतीय |
वर्ग | 48 कि.ग्रा. |
लम्बाई | 4 फीट 11 इंच |
अन्य जानकारी | कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022 (22वें राष्ट्रमंडल खेल, बर्मिघम, इंग्लैंड) में मीराबाई चानू ने 49 किलोग्राम भारवर्ग में कुल 201 कि.ग्रा. वज़न उठाकर भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया। |
अद्यतन | 11:33, 3 अगस्त 2022 (IST)
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साइखोम मीराबाई चानू (अंग्रेज़ी: Saikhom Mirabai Chanu, जन्म- 8 अगस्त, 1994) भारतीय (भारोत्तोलक) वेटलिफ्टर हैं, जिन्हें वर्ष 2018 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा 'खेल रत्न पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। इसी के साथ मीराबाई चानू उन दो लोगों में शामिल हो गई थीं, जिन्हें वर्ष 2018 में देश का सबसे बड़ा खेल सम्मान 'राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार' दिया गया। कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022 (22वें राष्ट्रमंडल खेल, बर्मिघम, इंग्लैंड) में मीराबाई चानू ने 49 किलोग्राम भारवर्ग में कुल 201 कि.ग्रा. वज़न उठाकर भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया। इससे पहले भी मीराबाई चानू ने कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को वेटलिफ्टिंग में पहला गोल्ड मैडल दिलवाकर गौरवान्वित किया था। टोक्यो ओलंपिक, 2020 में 49 किलोग्राम कैटेगिरी की वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता में मीराबाई चानू ने रजत पदक जीता था। वह भारत की तरफ से टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली खिलाड़ी बनी थीं।
परिचय
मीराबाई चानू का जन्म 8 अगस्त, 1994 को मणिपुर के इंफाल से 20 कि.मी. दूर नोंगपोक काकचिंग गांव में हुआ था। वह अपने 6 भाई बहनों में सबसे छोटी हैं। इनका परिवार आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है। आर्थिक रूप से सक्षम न होने का कारण मीराबाई चानू को अपने भाई सैखोम सांतोम्बा मीतेई के साथ पहाड़ों पर लकड़ी बीनने के लिए जाना पड़ता था। इस दौरान उनकी उम्र सिर्फ 12 वर्ष थी। इनकी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव में ही पूरी हुई।[1]
कॅरियर व रिकॉर्ड
मीराबाई चानू ने मात्र 12 साल की उम्र में अंडर15 का खिताब जीत लिया था और 17 साल की उम्र में जूनियर चैंपियन बन गई थीं। आर्थिक रूप से सक्षम ना होने के कारण उनका परिवार लोहे की बार नहीं खरीद सकता था, इसलिए उन्होंने बाँस से ही बार बनाकर अपनी ट्रेनिंग को जारी रखा।
- वर्ष 2014 में मीराबाई चानू ने ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में भी 48 किलोग्राम वर्ग में सिल्वर मेडल जीता था।
- वर्ष 2016 में रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था परंतु इस ओलंपिक में इन्हें कोई भी पदक नहीं मिला।
- वर्ष 2016 में ही साउथ एशियन गेम्स जो कि गुवाहाटी में आयोजित हुए थे, उसमें उन्होंने गोल्ड मेडल जीता था।
- वर्ष 2017 में वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में 48 किलोग्राम वर्ग में मीराबाई चानू ने गोल्ड मेडल हासिल किया।
- वर्ष 2018 में चोट के चलते मीराबाई एशियन गेम्स में हिस्सा नहीं ले पाई थीं।
- 7 फरवरी, 2019 को मीराबाई चानू ने शानदार प्रदर्शन करते हुए थाईलैंड के चियांग-मे में आयोजित ईजीएटी कप में 48 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने 48 किलोग्राम वर्ग में कुल 192 किलो वजन उठाकर सिल्वर लेवल ओलिंपिक पात्रता स्पर्धा में स्वर्णिम सफलता हासिल की है। इस सफलता से उन्हें 2020 में आयोजित होने वाले टोक्यो ओलिंपिक के लिए अतिम रैंकिंग में मदद मिली।[1]
- भारतीय वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक में भारत को पहला मेडल दिलाया। उन्होंने शनिवार (24 जुलाई, 2021) को वेटलिफ्टिंग में सिल्वर मेडल अपने नाम किया। महिला वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने 49 किग्रा वर्ग में यह मेडल जीता। यह भारतीय वेटलिफ्टिंग इतिहास में ओलंपिक में भारत का दूसरा पदक है। भारत ने इससे पहले सिडनी ओलंपिक (2000) में वेटलिफ्टिंग में पदक जीता था। यह पदक कर्णम मल्लेश्वरी ने दिलाया था। मीराबाई चानू पहली भारतीय वेटलिफ्टर हैं जिन्होंने ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने का कारनामा किया है। मीराबाई चानू ने स्नैच में 87 किलो और क्लीन एंड जर्क में 115 किलो वजन उठाया। इस तरह मीराबाई ने कुल 202 किलो वजन उठाकर सिल्वर मेडल अपने नाम किया। वहीं चीन की वेटलिफ्टर हाऊ झिहू ने कुल 210 किलो वजन उठाकर गोल्ड पर कब्जा किया।[2]
कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022 में स्वर्ण
मीराबाई चानू ने 49 किलोग्राम भार वर्ग में वजन उठाकर कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022 में गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने स्नैच राउंड के बाद 12 किलो की भारी-भरकम बढ़त बना ली थी। वह शुरू से ही विश्वास से भरी नजर आ रही थीं। उन्होंने कुल 201 किलो वजन उठाया। स्नैच में उन्होंने 88 किलो वजन उठाया जबकि क्लीन और जर्क में 113 किलो वजन उठाया। उन्होंने इस कैटेगरी में रिकार्ड बनाया है।
अपनी पहली कोशिश में ही उन्होंने 84 किलो वजन उठाया था। दूसरी कोशिश में उन्होंने 88 किलो वजन उठाकर पर्सनल बेस्ट की बराबरी कर ली थी। मीराबाई चानू शुरू से ही गोल्ड मेडल पोजीशन पर बनी हुई थीं। ये इस कैटेगरी में स्नैच का गेम्स रिकॉर्ड भी है। तीसरे प्रयास में उन्होंने 90 किलो उठाने की कोशिश की थी लेकिन कामयाब नहीं हो सकीं। मीराबाई चानू टोक्यो ओलिंपिक की सिल्वर मेडलिस्ट हैं। यहां 49 किलो वेट कैटेगरी में यहां उनसे गोल्ड की उम्मीद थी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से किए गए ट्वीट में लिखा गया कि "मीराबाई चानू ने कॉमनवेल्थ गेम्स में वेटलिफ्टिंग में गोल्ड मेडल जीतकर नया रिकॉर्ड बनाया है। चल रहे खेलों में भारत के लिए उनके पहले स्वर्ण पदक ने पूरे देश में खुशी और उत्सव की लहर पैदा कर दी है। मीराबाई! भारत को आप पर और आपके पदकों पर गर्व है।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर के ज़रिए मीराबाई चानू को पदक जीतने पर बधाई दी। उन्होंने कहा, "असाधारण मीराबाई चानू ने एक बार फिर से भारत को गर्वित किया है। हर भारतीय उनके बर्मिंघम खेलों में नया रिकॉर्ड बनाने और स्वर्ण पदक जीतने से हर्षित है। उनकी कामयाबी कई भारतीयों के लिए प्रेरणा हैं, ख़ासकर उभरते हुए खिलाड़ियों के लिए।"
कोच
वेटलिफ्टिंग में मीराबाई चानू की कोच कुंजारानी देवी हैं जो खुद भी वेटलिफ्टिंग में एक भारतीय खिलाड़ी हैं। कुंजरानी देवी भी इम्फाल, मणिपुर की ही रहने वाली हैं।
पुरस्कार व सम्मान
- 2018 - भारत सरकार द्वारा मीराबाई चानू को 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया।
- 2018 - राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा भारत का सर्वोच्च खेल अवॉर्ड 'राजीव गांधी खेल रत्न' प्रदान किया गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 मीराबाई चानू का जीवन परिचय (हिंदी) dilsedeshi.com। अभिगमन तिथि: 24 जुलाई, 2021।
- ↑ मीराबाई चानू ने भारत को दिलाया पहला मेडल (हिंदी) news18.com। अभिगमन तिथि: 24 जुलाई, 2021।
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