कोई साहिलों से पूछे -आदित्य चौधरी

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कोई साहिलों से पूछे -आदित्य चौधरी

कोई साहिलों से पूछे [1]
लहरों की गिनतियों को
कोई माझियों से पूछे
कश्ती का वज़न क्या है

कोई वादियों से पूछे
सुबहों की गिनतियों को
कोई आसमाँ से पूछे
तारों का वज़न क्या है

कोई सागरों से पूछे
मौजों की गिनतियों को
कोई बादलों से पूछे 
बूँदों का वज़न क्या है

कोई बेख़ुदी से पूछे
यादों की गिनतियों को
कोई आशिक़ी से पूछे 
वादों का वज़न क्या है

कोई मामता से पूछे
सदक़ों की गिनतियों को
कोई गोदियों से पूछे
बच्चों का वज़न क्या है

कोई मंज़िलों से पूछे
रस्तों की गिनतियों को
कोई रहबरों से पूछे [2]
क़दमों का वज़न क्या है

कोई साक़ियों से पूछे
रिन्दों की गिनतियों को[3]
कोई मयक़शों से पूछे
जामों का वज़न क्या है

कोई वास्तों से पूछे
रिश्तों की गिनतियों को
कोई दोस्तों से पूछे 
बातों का वज़न क्या है

कोई क़ाफ़ियों से पूछे [4]
बहरों की गिनतियों को [5]
कोई शायरों से पूछे
मिसरों का वज़न क्या है [6]

सम्पादकीय विषय सूची
अतिथि रचनाकार 'चित्रा देसाई' की कविता सम्पादकीय आदित्य चौधरी की कविता


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. साहिल =किनारा
  2. रहबर= रास्ता दिखाने वाला
  3. रिन्द = शराबी
  4. क़ाफ़िया = शेर का आख़िरी शब्द
  5. बहर = छंद
  6. मिसरा = अच्छा पद