मिताली राज का परिचय

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मिताली राज का परिचय
मिताली राज
मिताली राज
व्यक्तिगत परिचय
पूरा नाम मिताली राज
जन्म 3 दिसम्बर, 1982
जन्म भूमि जोधपुर, राजस्थान
खेल परिचय
बल्लेबाज़ी शैली दाएँ हाथ से बल्लेबाज़ी
गेंदबाज़ी शैली दाएँ हाथ से लेगब्रेक
टीम भारतीय महिला क्रिकेट टीम, एयर इंडिया महिला टीम, एशिया महिला एकादश, इंडिया ब्ल्यू महिला टीम।
भूमिका हरफनमौला
पहला टेस्ट 14 जनवरी, 2002 विरुद्ध इंग्लैंड
पहला वनडे 26 जून, 1999 विरुद्ध आयरलैंड
कैरियर आँकड़े
प्रारूप टेस्ट क्रिकेट एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय टी-20 अन्तर्राष्ट्रीय
मुक़ाबले 10 212 89
बनाये गये रन 663 6938 2364
बल्लेबाज़ी औसत 51.00 51.37 37.52
100/50 1/4 7/54 0/17
सर्वोच्च स्कोर 214 125 नाबाद 97 नाबाद
फेंकी गई गेंदें 72 171 6
विकेट 0 8 0
गेंदबाज़ी औसत - 11.37 -
पारी में 5 विकेट - - -
मुक़ाबले में 10 विकेट - - -
सर्वोच्च गेंदबाज़ी - 3/4 -
कैच/स्टम्पिंग 11/- 53/- 19/-
अन्य जानकारी मिताली राज ने एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में 1999 में पहली बार भाग लिया था। यह मैच मिल्टन कीनेस, आयरलैंड में हुआ था, जिसमें मिताली ने नाबाद 114 रन बनाए थे।
अद्यतन

मिताली राज भारत की शीर्ष क्रिकेट खिलाड़ी और वर्तमान में महिला टीम की कप्तान हैं। अगस्त, 2002 में जब मिताली 19 साल की थीं, तब अपने कॅरियर के तीसरे टेस्ट मैच के दौरान इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 214 रन बनाते हुए ऑस्ट्रेलियाई महिला क्रिकेटर केरन रॉल्टन के 209 रन के रिकॉर्ड को तोड़ा था। पाकिस्तान की किरण बलूच ने 2004 में वेस्टइंडीज के विरुद्ध 242 रन बनाकर मिताली के इस रिकॉर्ड को तोड़ा था। 2006 में मिताली की कप्तानी में भारतीय महिला टीम ने पहली बार इंग्लैंड के विरुद्ध टेस्ट मैच और सीरीज जीतने का गौरव प्राप्त किया था।

परिचय

मिताली राज का जन्म 3 दिसम्बर, 1982 को जोधपुर, राजस्थान में हुआ था। उन्होंने 'भरतनाट्यम' नृत्य में भी प्रशिक्षण प्राप्त किया है और अनेक स्टेज कार्यक्रम दिए हैं। क्रिकेट के कारण वह अपनी भरतनाट्यम् नृत्य कक्षाओं से बहुत समय तक दूर रहती थीं। तब नृत्य अध्यापक ने उन्हें क्रिकेट और नृत्य में से एक को चुनने की सलाह दी। उनकी माँ लीला राज एक अधिकारी थीं। उनके पिता धीरज राज डोराई राज बैंक में नौकरी करने के पूर्व एयर फोर्स में थे। वे स्वयं भी क्रिकेटर रहे हैं, उन्होंने मिताली को प्रोत्साहित करने के लिए हर संभव प्रयत्न किया। उन्होंने मिताली के यात्रा खर्च उठाने के लिए अपने खर्चों में कटौती की।

इसी प्रकार उनकी माँ लीला राज को भी अनेक कुर्बानियाँ बेटी के लिए देनी पड़ीं। उन्होंने बेटी की सहायता हेतु अपनी नौकरी छोड़ दी ताकि जब खेलों के अभ्यास के पश्चात् थकी-हारी लौटे तो वह अपनी बेटी का ख्याल रख सकें। बचपन में जब उनके भाई को क्रिकेट की कोचिंग दी जाती थी, तब वह मौक़ा पाने पर गेंद को घुमा देती थीं। तब क्रिकेटर ज्योति प्रसाद ने उन्हें नोटिस किया और कहा कि वह क्रिकेट की अच्छी खिलाड़ी बनेंगी। मिताली के माता-पिता ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया तथा इस प्रकार की सहायता की, जिसके कारण वह अपने इस मुकाम तक पहुँच सकी हैं।

कीर्तिमान

मिताली ने अपना कीर्तिमान 19 वर्ष की अवस्था में ही बना दिया था, परंतु उन्हें लगता है कि उनका बचपन कहीं खेलों में ही गुम हो गया। हरदम खेलों के अभ्यास के कारण वह अपने बचपन की शरारतों का आनन्द नहीं उठा सकीं। शायद इसी कारण वह बड़ी होने के बाद भी माँ के हाथ से बना खाना खाती हैं, जब कभी उनकी इच्छा होती है। 214 रन का रिकार्ड बनाने के बाद उनके लिए यह बहुत बड़ी अहमियत की बात थी कि उनकी माँ उन्हें रेलवे स्टेशन पर लेने आई थीं। जबकि उससे पहले किसी भी टूर्नामेंट के बाद माँ उन्हें लेने स्टेशन नहीं आई थीं। उनके कोच सम्पत कुमार ने उन्हें आगे बढ़ाने के लिए उनसे कड़ी मेहनत कराई। गर्मी हो या बरसात, उन्हें अभ्यास करना ही होता था। जब वह ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ती थीं, तभी उन्हें क्रिकेट का बल्ला घुमाते समय देखकर उन्होंने कहा था- "मिताली कोई साधारण लड़की नहीं है। वह सचिन की भाँति अंतरराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी बन सकती है।"


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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