अंशू मलिक

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अंशू मलिक
अंशू मलिक
अंशू मलिक
पूरा नाम अंशू मलिक
जन्म 5 अगस्त, 2001
जन्म भूमि ग्राम निडानी, ज़िला जींद, हरियाणा
अभिभावक माता- मंजू मालिक

पिता- धर्मवीर मलिक

कर्म भूमि भारत
खेल-क्षेत्र कुश्ती
प्रसिद्धि भारतीय पहलवान
नागरिकता भारतीय
कोच रामचंद्र पवार, जगदीश श्‍योरण
विश्व चैम्पियनशिप ओस्लो, 2021 - 57 कि.ग्रा. वर्ग - रजत
कॉमनवेल्थ गेम्स बर्मिघम, 2022 - 57 कि.ग्रा. वर्ग - रजत
इंडीविजुअल विश्व कप बेलग्रेड, 2020 - 57 कि.ग्रा. वर्ग - रजत
एशियन चैम्पियनशिप अल्माटी, 2021 - 57 कि.ग्रा. वर्ग - स्वर्ण

उलानबातर, 2022 - 57 कि.ग्रा. वर्ग - रजत
नई दिल्ली, 2020 - 57 कि.ग्रा. वर्ग - कांस्य

विश्व जूनियर रेसलिंग चैम्पियनशिप त्रनवा, 2018 - 59 कि.ग्रा. वर्ग - रजत
एशियन जूनियर चैम्पियनशिप चॉन बुरी, 2019 - 59 कि.ग्रा. वर्ग - स्वर्ण
विश्व कैडेट चैम्पियनशिप एथेंस, 2017 - 60 कि.ग्रा. वर्ग - स्वर्ण

ज़ग्रेब, 2018 - 60 कि.ग्रा. वर्ग - कांस्य
तिब्लिसी, 2016 - 60 कि.ग्रा. वर्ग - कांस्य

अद्यतन‎

अंशू मलिक (अंग्रेज़ी: Anshu Malik, जन्म- 5 अगस्त, 2001) भारत की महिला पहलवानों में से एक हैं। विश्व चैंपियनशिप की रजत पदक विजेता, एशियन चैंपियन और 20 साल की उम्र से पहले ही ओलंपियन का तमगा हासिल करने वाली पहलवान अंशु मलिक के कॅरियर का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। नॉर्वे के ओस्लो में 2021 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में अंशु मलिक ने इतिहास रच दिया था। उन्होंने महिलाओं के 57 कि.ग्रा. वर्ग के फाइनल में प्रवेश करने के लिए यूक्रेनी सोलोमिया विनीक को मात दी थी। हाल ही में अंशू मलिक ने बर्मिंघम, इंग्लैंड में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022 में रजत पदक जीता है। उन्होंने कुश्ती में महिलाओं के 57 किलोग्राम भारवर्ग में यह पदक जीता। वह स्वर्ण की दावेदार थीं, लेकिन फाइनल मुकाबले में उन्हें नाइजीरिया की ओदुनायो फोलासादे के हाथों 7-4 से हार का सामना करना पड़ा।

परिचय

अंशू मलिक का जन्म 5 अगस्त, 2001 को हरियाणा में ज़िला जींद के निडानी गांव में एक किसान परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम धर्मवीर मलिक और चाचा का नाम पवन मलिक है और वे दोनों अंतरराष्‍ट्रीय पहलवना रह चुके है। उनके चाचा पवन मलिक तो दक्षिण एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक तक जीत चुके हैं। अंशु का एक छोटा भाई शुभम भी है और वह भी पहलवानी करता है। इस तरह इनका पूरा परिवार पहलवानी से जुडा हुआ है।[1]

शिक्षा

अंशु मलिक ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने गांव से ही चौधरी भारत सिंह मेमोरियल स्पोर्ट्स स्कूल से की है। पहलवानी के साथ-साथ उनकी पढ़ाई भी जारी है।

प्रशिक्षण

अंशु मलिक के पहलवान बनने की शुरुआत उनके घर से ही हुई क्योंकि अंशु के पिता और चाचा जी दोनों अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर के पहलवान रह चुके है। इसलिए अंशु के घर में शुरू से ही पहलवानी का माहौल था। जिसका अंशु ने भरपूर फायदा उठाया। अंशू मलिक ने महज 13 साल की छोटी उम्र में ही कुश्‍ती करना शुरू कर दिया था। उनके पहलवान बनने की शुरुवात उनके घर से हुई। बेटी की अच्‍छी ट्रेनिंग सुनिश्चित करने के लिए पिता धर्मवीर मलिक ने अपनी सुख सुविधाओं को त्यागकर सिर्फ बेटी के खेल पर ध्‍यान दिया और अंशु को चौधरी भारत सिंह मेमोरियल स्‍पोर्टस स्‍कूल निडानी में कोच जगदीश श्‍योरण के पास भेज दिया।

कोच जगदीश श्‍योरण ने 20 से अधिक अंतरराष्‍ट्रीय पहलवानों को प्रशिक्षित किया है। कोच जगदीश श्‍योरण के पास प्रशिक्षण के दौरान ही अंशू मलिक का कॅरियर धीरे-धीरे आकार लेने लगा और अंशु ने पदक जीतना शुरू कर दिया। उन्होंने राज्‍य स्‍तरीय जूनियर कुश्‍ती प्रतियोगिताओं में भाग लिया और पदक भी जीते। अंशू मलिक को अंतरराष्ट्रीय पहलवानों के समक्ष खड़ा करने का श्रेय कोच रामचंद्र पवार को जाता है।

कॅरियर

राष्ट्रीय स्तर पर पहला स्वर्ण मेडल 2016 में नेशनल स्कूल गेम्स में जीता। उस मेडल की अंशु को इतनी खुशी हुई थी कि अक्सर उसको निहारती थीं। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा और मेडल जीतने की धुन लग गई। पिता धर्मबीर के अनुसार, हर प्रतियोगिता में साए की तरह बेटी के साथ रहता हूं। अंशु ने ज्यादातर मुकाबले जीते हैं। कहीं हार भी जाती है तो उसका हौसला नहीं टूटने देता हूं। अब टोक्यो ओलिंपिक की ही बात ले लीजिए। बेटी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई। एक बार हमें भी निराशा हुई, क्योंकि सारे देश को उम्मीद थी। मैंने बेटी का हौसला बढ़ाया और कहा कि टोक्यो तो हमारे टारगेट में ही नहीं था। हमारा लक्ष्य तो पेरिस ओलिंपिक है। यह तो उसकी मेहनत थी कि ओलिंपिक से पहले सभी मुकाबले जीते और 19 साल की उम्र में 57 किलो के सभी पहलवानों को हराते हुए टोक्यो पहुंच गई।[2]

अंशु मलिक में साल 2016 में हुए विश्व कैडेट चैंपियनशिप में कांस्य अपने नाम किया था, यही नहीं उन्होंने इसी चैंपियनशिप में साल 2017 में 60 किलो वर्ग कैटेगरी में लड़ते हुए स्वर्ण अपने नाम किया। उन्होंने साल 2016 में हुए एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में दुबारा स्वर्ण अपने नाम किया। इससे पहले उन्होंने 2018 में हुए विश्व जूनियर कुश्ती चैंपियनशिप में रजत प्राप्त किया था। इसके बाद अंशु मलिक ने नई दिल्ली में हुए साल 2020 में एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य अपने नाम किया। यही नहीं उन्होंने 2022 में रजत तथा 2021 में स्वर्ण जीता।

पदक एवं उपलब्धियाँ

अंशु मलिक उपलब्धियाँ[1]
क्र.सं. वर्ष स्थान प्रतिस्पर्धा पदक
1. 2022 बर्मिंघम, इंग्लैंड कॉमनवेल्थ गेम्स रजत पदक
2. 2021 ओस्लो विश्व चैंपियनशिप रजत पदक
3. 2021 अल्माटी एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप स्वर्ण पदक
4. 2020 बेलग्रेड सीनियर वर्ल्ड कप रेसलिंग चैंपियनशिप रजत पदक
5. 2020 दिल्ली सीनियर एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप कांस्य पदक
6. 2020 रोम विश्व रैंकिंग कुश्ती चैंपियनशिप रजत पदक
7. 2019 चोन बुरी एशियन सब जूनियर चैंपियनशिप स्वर्ण पदक
8. 2018 विश्व सब जूनियर (कैडिट) चैंपियनशिप कांस्य पदक
9. 2018 तरनाया विश्व जूनियर चैंपियनशिप कांस्य पदक
10. 2018 एशियन सब जूनियर चैंपियनशिप स्वर्ण पदक
11. 2017 एथेंस विश्व कैडिट चैंपियनशिप स्वर्ण पदक
12. 2017 एशिया कैडिट कुश्ती चैंपियनशिप कांस्य पदक
13. 2017 विश्व खेल स्कूल चैंपियनशिप स्वर्ण पदक
14. 2016 त्बिलिसी विश्व कैडिट चैंपियनशिप कांस्य पदक
15. 2016 जार्जिया एशियन सब जूनियर चैंपियनशिप स्वर्ण पदक


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 अंशु मलिक पहलवान का जीवन परिचय (हिंदी) /jatsports.com। अभिगमन तिथि: 06 जुलाई, 2022।
  2. हरियाणा की ये छोरी छोरो से कम नहीं (हिंदी) jagran.com। अभिगमन तिथि: 06 जुलाई, 2022।

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