साहित्य कोश
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उपश्रेणियाँ
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- उड़िया साहित्य (1 पृ)
ऐ
- ऐतिहासिक कृतियाँ (7 पृ)
क
- कन्नड़ साहित्य (1 पृ)
ज
- जॉर्ज ग्रियर्सन पुरस्कार (1 पृ)
न
- नज़्म (18 पृ)
र
- राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान (15 पृ)
स
- स्वतंत्र लेखन (220 पृ)
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- ताहि कि संपति सगुन
- ताहि ते आयो सरन सबेरे -तुलसीदास
- ताहि देइ गति राम उदारा
- ताहि प्रसंसि बिबिधि
- ताहि बयरु तजि नाइअ माथा
- ताहि मारि मारुतसुत बीरा
- ताहि राखि कपीस पहिं आए
- तितली (उपन्यास)
- तितास एकटि नदीर नाम
- तिन्ह कर भय माता मोहि नाहीं
- तिन्ह कहँ कहिअ नाथ किमि चीन्हे
- तिन्ह के आयुध तिल सम
- तिन्ह कें गृह अवतरिहउँ जाई
- तिन्ह कै दसा देखि रघुबीरा
- तिन्ह ते पुनि मोहि प्रिय निज दासा
- तिन्ह नृपसुतहि कीन्ह परनामा
- तिन्ह पर एक एक बिटप बिसाला
- तिन्ह महँ जिन्ह देखे दोउ भ्राता
- तिन्ह महँ द्विज द्विज महँ श्रुतिधारी
- तिन्ह सब छयल भए असवारा
- तिन्ह सहस्र महुँ सबसुख खानी
- तिन्हहि ग्यान उपदेसा रावन
- तिन्हहि जीति रन आनेसु बाँधी
- तिन्हहि देइ बर ब्रह्म सिधाए
- तिन्हहि देखि सब सुर सुरनारीं
- तिन्हहि निपाति ताहि सन बाजा
- तिन्हहि बिलोकि बिलोकति धरनी
- तिन्हहि सोहाइ न अवध बधावा
- तिमि रघुपति निज दास
- तिमि सुख संपति बिनहिं बोलाएँ
- तिमिर ढलेगा -गोपालदास नीरज
- तिमिरु तरुन तरनिहि मकु गिलई
- तिरुक्कुरल
- तिरुमंत्रम्
- तिरुवल्लुवर
- तिल का ताड़ -रांगेय राघव
- तिसट्ठि महारुरिष गुणालंकार
- तिहारो दरस मोहे भावे -सूरदास
- तीतिर लावक पदचर जूथा
- तीन दोस्त -दुष्यंत कुमार
- तीन मछलियां
- तीनि अवस्था तीनि गुन
- तीरथपति पुनि देखु प्रयागा
- तुकाराम
- तुकाराम के अनमोल वचन
- तुज़्क-ए-जहाँगीरी
- तुज़्क-ए-बाबरी
- तुझहि चरन अरबिंद -रैदास
- तुझा देव कवलापती सरणि आयौ -रैदास
- तुम -सुभद्रा कुमारी चौहान
- तुम अपनी हो, जग अपना है -भगवतीचरण वर्मा
- तुम आए हो न शबे-इंतज़ार -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- तुम और मैं -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- तुम कीं करो या हूं ज्यानी -मीरां
- तुम झूम झूम गाओ -गोपालदास नीरज
- तुम तूफ़ान समझ पाओगे ? -हरिवंश राय बच्चन
- तुम दीवाली बन कर -गोपालदास नीरज
- तुम बिन नैण दुखारा -मीरां
- तुम बिन मेरी कौन खबर ले -मीरां
- तुम मन्द चलो -माखन लाल चतुर्वेदी
- तुम मिले -माखन लाल चतुर्वेदी
- तुम मृगनयनी -भगवतीचरण वर्मा
- तुम मेरे पास रहो -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- तुम लाल नंद सदाके कपटी -मीरां
- तुम सुणौ दयाल म्हारी अरजी -मीरां
- तुम सुधि बन-बनकर बार-बार -भगवतीचरण वर्मा
- तुम से आप -अशोक चक्रधर
- तुम हमारे हो -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- तुम ही नहीं मिले जीवन में -गोपालदास नीरज
- तुम.. -अशोक कुमार शुक्ला
- तुमने कितनी निर्दयता -गोपालदास नीरज
- तुमरे दरस बिन बावरी -मीरां
- तुम्ह अपराध जोगु नहिं ताता
- तुम्ह कहँ भरत कलंक
- तुम्ह कहुँ बन सब भाँति सुपासू
- तुम्ह कानन गवनहु दोउ भाई
- तुम्ह गलानि जियँ जनि
- तुम्ह जानहु कपि मोर सुभाऊ
- तुम्ह जो हमहि बड़ि बिनय सुनाई
- तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा
- तुम्ह तौ देहु सरल सिख सोई
- तुम्ह त्रिकाल दरसी मुनिनाथा
- तुम्ह त्रिभुवन गुर बेद बखाना
- तुम्ह निज मोह कही खग साईं
- तुम्ह परिपूरन काम
- तुम्ह पुनि पितु सम अति हित मोरें
- तुम्ह पुनि राम राम दिन राती
- तुम्ह पूँछहु मैं कहत डेराउँ
- तुम्ह पै पाँच मोर भल मानी
- तुम्ह प्रिय पाहुने बन पगु धारे
- तुम्ह प्रेरक सब के
- तुम्ह बिनु दुखी सुखी तुम्ह तेहीं
- तुम्ह मम सखा भरत सम भ्राता
- तुम्ह माया भगवान
- तुम्ह सब कहहु कढ़ावन टीका
- तुम्ह समरूप ब्रह्म अबिनासी
- तुम्ह सर्बग्य कहउँ सतिभाऊ
- तुम्ह सर्बग्य तग्य तम पारा
- तुम्ह सुग्रीव कूलद्रुम दोऊ
- तुम्ह सुचि सुमति परम प्रिय मोरें
- तुम्हरी कृपाँ कृपायतन
- तुम्हरी कृपाँ सुलभ सोउ मोरे
- तुम्हरे कटक माझ सुनु अंगद
- तुम्हरे कारण सब छोड्या, अब मोहि क्यूं तरसावौ हौ -मीरां
- तुम्हरें अनुग्रह तात कानन
- तुम्हरेइँ भजन प्रभाव अघारी
- तुम्हरेहिं भाग रामु बन जाहीं
- तुम्हहि आदि खग मसक प्रजंता
- तुम्हहि छाड़ि गति दूसरि नाहीं
- तुम्हहि न ब्यापत काल
- तुम्हहि न संसय मोह न माया
- तुम्हहि न सोचु सोहाग बल
- तुम्हहि नीक लागै रघुराई
- तुम्हहि बिचारि कहहु नरनाहा
- तुम्हहि बिदित सबही कर करमू
- तुम्हारा चित्र -माखन लाल चतुर्वेदी
- तुम्हारी जेब में एक सूरज होता था -अजेय
- तुम्हारी प्रेम-वीणा का अछूता तार -आरसी प्रसाद सिंह
- तुम्हारी भक्ति हमारे प्रान -सूरदास
- तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था -दाग़ देहलवी
- तुम्हारे बिना आरती का दीया यह -गोपालदास नीरज
- तुम्हें उदास सा पाता हूँ -साहिर लुधियानवी
- तुरग नचावहिं कुअँर
- तुरत आन रथ चढ़ि खिसिआना
- तुरत चले कपि सुनि प्रभु बचना
- तुरत नाइ लछिमन पद माथा
- तुरत निसाचर एक पठावा
- तुरत पवनसुत गवनत भयऊ
- तुरत बिमान तहाँ चलि आवा
- तुरत भयउँ मैं काग तब
- तुरत भवन आए गिरिराई
- तुरतहिं रुचिर रूप तेहिं पावा
- तुरतहिं सकल गए जहँ सीता
- तुलना -दुष्यंत कुमार
- तुलनात्मक भारतीय साहित्य एवं पद्धति विज्ञान का प्रश्न -डॉ. इंद्रनाथ चौधुरी
- तुलसी जसि भवतब्यता
- तुलसी तरुबर बिबिध सुहाए
- तुलसी देखि सुबेषु
- तुलसी रमण
- तुलसीदास
- तुलसीदास (खण्डकाव्य)
- तुलसीदास के अनमोल वचन
- तुलसीदास के दोहे
- तुलसीदास भक्ति प्रबंध का नया उत्कर्ष -विद्यानिवास मिश्र
- तुळु भाषा
- तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं
- तुहूँ सराहसि करसि सनेहू
- तू कांइ गरबहि बावली -रैदास
- तू जानत मैं किछु नहीं भव खंडन राम -रैदास
- तूँ तूँ करता तू भया -कबीर
- तूने रात गँवायी सोय के दिवस गँवाया खाय के -कबीर
- तूफ़ान -रांगेय राघव
- तृतीय तमिल संगम
- तृषा जाइ बरु मृगजल पाना
- तृष्ना सब रोगों का मूल -शिवदीन राम जोशी
- ते अब फिरत बिपिन पदचारी
- ते तव सिर कंदुक सम नाना
- ते तुम्ह सकल लोकपति साईं
- ते नर यह सर तजहिं न काऊ
- ते पितु मातु कहहु सखि कैसे
- ते पितु मातु धन्य जिन्ह जाए
- ते बिप्रन्ह सन आपु पुजावहिं
- ते सठ हठ बस संसय करहीं
- ते सिय रामु साथरीं सोए
- तेंतर -प्रेमचंद
- तेइ तृन हरित चरै जब गाई
- तेइ दोउ बंधु प्रेम जनु जीते
- तेइ रघुनंदनु लखनु
- तेउ बिलोकि रघुबर
- तेउ यह चरित देखि ठगि रहहीं
- तेउ सुनि सरन सामुहें आए
- तेऊ आजु राम पदु पाई
- तेज कृसानु रोष महिषेसा
- तेज न सहि सक सो फिरि आवा
- तेज पुंज रथ दिब्य अनूपा
- तेज राम शर्मा
- तेन्ह कर मरन एक बिधि होई
- तेरा जन काहे कौं बोलै -रैदास
- तेरा मेरा मनुवां -कबीर
- तेरा संगी कोइ नहीं -कबीर
- तेरा है -अशोक चक्रधर
- तेरा, मैं दीदार-दीवाना -मलूकदास
- तेरी आवाज़ -साहिर लुधियानवी
- तेरी उम्मीद तेरा इंतज़ार -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- तेरी महफ़िल में यह कसरत कभी थी -दाग़ देहलवी
- तेरी याद -कन्हैयालाल नंदन
- तेरी सूरत जो दिलनशीं की है -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- तेरी सोहबत भी मुझे कैसी सज़ा देती है -शिवकुमार बिलगरामी
- तेरे ग़म को जाँ की तलाश -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- तेरे सावरे मुखपरवारी -मीरां
- तेल नावँ भरि नृप तनु राखा
- तेली कौ ब्याह -काका हाथरसी
- तेलुगु एवं कन्नड़ लिपि
- तेलुगु भाषा
- तेलुगु साहित्य
- तेहि अवसर आए लखन
- तेहि अवसर एक तापसु आवा
- तेहि अवसर जो जेहि बिधि आवा
- तेहि अवसर दसरथ तहँ आए