"लेप्चा भाषा" के अवतरणों में अंतर

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*जब स्वर स्वयं या स्वयं के शब्दों में प्रकट होते हैं, तो उन्हें लिखने के लिए अलग-अलग अक्षरों का प्रयोग किया जाता है।
 
*जब स्वर स्वयं या स्वयं के शब्दों में प्रकट होते हैं, तो उन्हें लिखने के लिए अलग-अलग अक्षरों का प्रयोग किया जाता है।
 
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08:28, 27 दिसम्बर 2017 का अवतरण

लेप्चा भाषा
लेप्‍चा भाषा के अंतर्गत आने वाले व्यंजन
विवरण 'लेप्‍चा भाषा' भारत की संकटग्रस्त भाषाओं में से एक है। सिक्किम तथा दार्जिलिंग के अतिरिक्त यह भाषा भूटाननेपाल में भी बोली जाती है।
बोली क्षेत्र भारत, भूटान व नेपाल
भाषा परिवार लेप्चा
लेखन प्रणाली लेप्चा लिपि तथा तिब्बती वर्णमाला
अन्य जानकारी सिक्किम में प्रचलित लेप्चा भाषा की अपनी लिपि है। लेप्चा भाषा भारत की संकटग्रस्त भाषाओं में से एक है।

लेप्चा पूर्वी नेपाल, पश्चिमी भूटान और भारत के सिक्किम तथा पश्चिम बंगाल राज्य के दार्जिलिंग में रहने वाली जनजाति है। इस जाति द्वारा बोली जाने वाली भाषा को ही लेप्चा भाषा कहते हैं। सिक्किम में प्रचलित लेप्चा भाषा की अपनी लिपि है।

उत्पत्ति

  • लेप्चा परंपरा के अनुसार, लेप्चा लिपि का आविष्कार 17वीं शताब्दी के दौरान लेप्चा विद्वान थिकुंग मेन सोलोंग द्वारा किया गया था। लिपि के आविष्कारक शायद बौद्ध मिशनरियों से प्रेरित थे।
  • एक और सिद्धांत यह है कि 18वीं शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों के दौरान यह लिपि विकसित हुई।
  • आज लेप्चा लिपि का प्रयोग अखबारों, पत्रिकाओं, पाठ्यपुस्तकों, कविता संग्रह, गद्य और नाटकों में किया जाता है।

लेखन प्रणाली का प्रकार

लेप्‍चा भाषा के अंतर्गत आने वाले स्वर तथा अंक
वर्णमाला
  • प्रत्येक अक्षर में अंतर्निहित स्वर (a) है, अन्य स्वरों का प्रयोग संकेतक का उपयोग करके किया जाता है।
  • जब स्वर स्वयं या स्वयं के शब्दों में प्रकट होते हैं, तो उन्हें लिखने के लिए अलग-अलग अक्षरों का प्रयोग किया जाता है।
  • स्वर का उपयोग किसी भी क्रम के प्रारंभ या अंत में किया जा सकता है।
  • सभी व्यंजन को एक शब्दांश की शुरुआत में इस्तेमाल किया जा सकता है। केवल उनमें से कुछ शब्दांश-अंतिम स्थिति में प्रकट होते हैं।
लेखन की दिशा-

लेखन कार्य क्षैतिज रेखाओं में दाएं से दाएं किया जाता है और शब्दों के बीच में रिक्त स्थान रहता है।


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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख