"कृष्णावतार" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
[[चित्र:Krishna-Birth-Place-Janamashthmi-Mathura-5.jpg|thumb|[[कृष्ण जन्मभूमि]], [[मथुरा]]]]
 
[[चित्र:Krishna-Birth-Place-Janamashthmi-Mathura-5.jpg|thumb|[[कृष्ण जन्मभूमि]], [[मथुरा]]]]
 
प्रत्येक भारतीय [[भागवत पुराण]] में लिखित 'श्रीकृष्णावतार की कथा' से परिचित हैं। श्रीकृष्ण की बाल्याकाल की शरारतें जैसे - माखन व दही चुराना, चरवाहों व ग्वालिनियों से उनकी नोंक–झोंक, तरह - तरह के खेल, [[इन्द्र]] के विरुद्ध उनका हठ (जिसमें वे [[गोवर्धन]] पर्वत अपनी अँगुली पर उठा लेते हैं, ताकि गोकुलवासी अति वर्षा से बच सकें), सर्वाधिक विषैले कालिया नाग से युद्ध व उसके हज़ार फनों पर नृत्य, उनकी लुभा लेने वाली [[बाँसुरी]] का स्वर, [[कंस]] द्वारा भेजे गए गुप्तचरों का विनाश - ये सभी प्रसंग भावना प्रधान व अत्यन्त रोचक हैं।
 
प्रत्येक भारतीय [[भागवत पुराण]] में लिखित 'श्रीकृष्णावतार की कथा' से परिचित हैं। श्रीकृष्ण की बाल्याकाल की शरारतें जैसे - माखन व दही चुराना, चरवाहों व ग्वालिनियों से उनकी नोंक–झोंक, तरह - तरह के खेल, [[इन्द्र]] के विरुद्ध उनका हठ (जिसमें वे [[गोवर्धन]] पर्वत अपनी अँगुली पर उठा लेते हैं, ताकि गोकुलवासी अति वर्षा से बच सकें), सर्वाधिक विषैले कालिया नाग से युद्ध व उसके हज़ार फनों पर नृत्य, उनकी लुभा लेने वाली [[बाँसुरी]] का स्वर, [[कंस]] द्वारा भेजे गए गुप्तचरों का विनाश - ये सभी प्रसंग भावना प्रधान व अत्यन्त रोचक हैं।
 +
 
{{seealso|कृष्ण जन्माष्टमी|कृष्ण|कृष्ण संदर्भ}}
 
{{seealso|कृष्ण जन्माष्टमी|कृष्ण|कृष्ण संदर्भ}}
  
 +
 +
{| width="100%"
 +
|-
 +
|
 +
==टीका-टिप्पणी और संदर्भ==
 +
<references/>
 +
|-
 +
|
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
{{पर्व और त्योहार}}
 
{{व्रत और उत्सव}}
 
 
{{कृष्ण2}}
 
{{कृष्ण2}}
 
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}
 
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}
पंक्ति 13: पंक्ति 20:
 
[[Category:मथुरा]]
 
[[Category:मथुरा]]
 
[[Category:कृष्ण]]
 
[[Category:कृष्ण]]
 +
|}
 
__NOTOC__
 
__NOTOC__
 
__INDEX__
 
__INDEX__

13:13, 23 अगस्त 2015 के समय का अवतरण

प्रत्येक भारतीय भागवत पुराण में लिखित 'श्रीकृष्णावतार की कथा' से परिचित हैं। श्रीकृष्ण की बाल्याकाल की शरारतें जैसे - माखन व दही चुराना, चरवाहों व ग्वालिनियों से उनकी नोंक–झोंक, तरह - तरह के खेल, इन्द्र के विरुद्ध उनका हठ (जिसमें वे गोवर्धन पर्वत अपनी अँगुली पर उठा लेते हैं, ताकि गोकुलवासी अति वर्षा से बच सकें), सर्वाधिक विषैले कालिया नाग से युद्ध व उसके हज़ार फनों पर नृत्य, उनकी लुभा लेने वाली बाँसुरी का स्वर, कंस द्वारा भेजे गए गुप्तचरों का विनाश - ये सभी प्रसंग भावना प्रधान व अत्यन्त रोचक हैं।

इन्हें भी देखें: कृष्ण जन्माष्टमी, कृष्ण एवं कृष्ण संदर्भ


टीका-टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख