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*खासी [[भाषा]] को 'खसिया', 'कोसयाह' या 'क्यी' भी कहते हैं।  
 
*खासी [[भाषा]] को 'खसिया', 'कोसयाह' या 'क्यी' भी कहते हैं।  
*मॉन-ख्मेर परिवार की खासी शाखा के कई सदस्यों में से एक, जो अपने आप में ऑस्ट्रो-एशियाई मूल की भाषा है। प्रोफोसर महावीर सरन जैन की मान्यता भिन्न है। प्रोफेसर जैन ने ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा-परिवार की तीन शाखाएँ मानी हैं - (1) वियतनामी (2) मॉन-ख्मेर (3) भारतीय आग्नेय। खासी भाषा को प्रोफेसर जैन मॉन-ख्मेर के अनंतर्गत नहीं अपितु भारतीय आग्नेय शाखा की भाषा मानते हैं।
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*मॉन-ख्मेर परिवार की खासी शाखा के कई सदस्यों में से एक, जो अपने आप में ऑस्ट्रो-एशियाई मूल की भाषा है।  
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
*[प्रोफेसर महावीर सरन जैन का आलेख - आग्‍नेय परिवार (आस्‍ट्रो-एशियाटिक) की भारतीय भाषाएँ (रचनाकार, 28 मार्च 2014) http://www.rachanakar.org/2014/03/blog-post_28.html]
 
 
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==बाहरी कड़ियाँ==
 
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==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
*[प्रोफेसर महावीर सरन जैन का आलेख - आग्‍नेय परिवार (आस्‍ट्रो-एशियाटिक) की भारतीय भाषाएँ (रचनाकार, 28 मार्च 2014) http://www.rachanakar.org/2014/03/blog-post_28.html]
 
 
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09:45, 3 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण

  • खासी भाषा को 'खसिया', 'कोसयाह' या 'क्यी' भी कहते हैं।
  • मॉन-ख्मेर परिवार की खासी शाखा के कई सदस्यों में से एक, जो अपने आप में ऑस्ट्रो-एशियाई मूल की भाषा है।
  • खासी भाषा भारत के मेघालय राज्य में खासी और जैंतिया पहाड़ियों के आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लगभग 9 लाख लोगों द्वारा बोली जाती है।
  • खासी भाषा में भारतीय-आर्य भाषाओं, विशेषकर बांग्ला और हिंदी के कई गृहीत शब्द हैं।[1]



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. “भाग 2”, भारत ज्ञानकोश, 20।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख