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'''तवारीख़-ए-चगताई''' एक [[मुग़लकालीन भाषा साहित्य|मुग़लकालीन]] कृति है। इस प्रसिद्ध कृति में [[मुग़ल]] बादशाह [[फ़र्रुख़सियर]] के काल तक का इतिहास है। [[सवाई जयसिंह]] और [[मराठा|मराठाओं]] के सम्बन्ध तथा फ़र्रुख़सियर-अजीत सिंह सम्बन्धों पर यह कृति अच्छा विवरण प्रदान करती है।
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'''तवारीख़-ए-चगताई''' एक [[मुग़लकालीन भाषा साहित्य|मुग़लकालीन]] कृति है। इस प्रसिद्ध कृति में [[मुग़ल]] बादशाह [[फ़र्रुख़सियर]] के काल तक का इतिहास है। [[सवाई जयसिंह]] और [[मराठा|मराठाओं]] के सम्बन्ध तथा फ़र्रुख़सियर-अजीत सिंह सम्बन्धों पर यह कृति अच्छा विवरण प्रदान करती है।<ref>{{cite web |url=http://www.ignca.nic.in/coilnet/rj004.htm|title=फारसी तवारिखे : राजस्थान इतिहास में योगदान|accessmonthday= 09 मई|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
  
  

08:02, 9 मई 2014 के समय का अवतरण

तवारीख़-ए-चगताई एक मुग़लकालीन कृति है। इस प्रसिद्ध कृति में मुग़ल बादशाह फ़र्रुख़सियर के काल तक का इतिहास है। सवाई जयसिंह और मराठाओं के सम्बन्ध तथा फ़र्रुख़सियर-अजीत सिंह सम्बन्धों पर यह कृति अच्छा विवरण प्रदान करती है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. फारसी तवारिखे : राजस्थान इतिहास में योगदान (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 09 मई, 2014।

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